बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपने विधायकों-सांसदों से मिल चुके। नीतीश ने अपने मौजूदा जनप्रतिनिधियों के अलावा इस बार पूर्व प्रतिनिधियों की भी सुधि ली है। दरअसल उनकी इस कवायद के पीछे विपक्ष का वह हौवा है, जिसमें विपक्षी दलों के नेता दावा करते रहे हैं कि जेडीयू के कई विधायक-सांसद उनके संपर्क में हैं। लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही जेडीयू में भगदड़ मचेगी। माना जा रहा है कि विपक्षी नेताओं के दावे सुन कर नीतीश में घबराहट है। वैसे यह तो मानना ही पड़ेगा कि नीतीश कुमार का सूचना तंत्र काफी मजबूत है। उनके पास अपने दल ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के प्रमुख घटक दल आरजेडी के नेताओं के बारे में भी पुख्ता सूचनाएं रहती हैं। कौन किससे मिल रहा है, किसने किसके साथ फोटो खिंचवाई, कौन क्या लिख रहा है, ये सारी जानकारियां नीतीश के पास है। तभी तो महागठबंधन विधानमंडल दल की बैठक में उन्होंने आरजेडी के एमएलसी सुनील कुमार सिंह को बेनकाब कर दिया था। उन्होंने उनके बारे में यहां तक कह दिया था कि आप भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। उनके साथ फोटो जारी करते हैं। हालांकि सुनील सिंह ने सख्त लहजे में उन्हें जवाब भी दिया था कि क्यों वे भाजपा मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाते हैं और शेयर करते हैं।
JDU के नेताओं पर भी नीतीश को शक
नीतीश कुमार को अपने कुछ नेताओं पर भी शक है कि वे भाजपा या उसके साथी दलों के संपर्क में हैं। बताया जा रहा है कि इसी की पड़ताल के लिए उन्होंने अपने मौजूदा सांसदों-विधायकों और राज्यसभा-विधान परिषद के सदस्यों से वन टू वन मुलाकात की है। उन्हें यह भी सूचना है कि बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष जेडीयू विधायक महेश्वर हजारी ने भी एलजेपी (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान से मुलाकात की थी। कुछ विधायकों पर उन्हें संदेह है कि वे लोकसभा के टिकट के लिए भाजपा या एनडीए के दूसरे दलों के संपर्क में हैं। इनमें कुछ तो पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी में तो कुछ पूर्व संसद सांसद, जो अभी विधायक हैं, वे भी लोकसभा टिकट के लिए जेडीयू छोड़ सकते हैं। महेश्वर हजारी पहले उद्योग विभाग और योजना एवं विकास विभाग के मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।
जिन पर शक, उनसे अलग से मुलाकात
नीतीश कुमार अब तक मिले फीडबैक और अपनी सूचनाओं के आधार पर उन विधायकों-सांसदों को बुलाने वाले हैं, जिन पर उन्हें भी संदेह होने लगा है। ऐसे चुनिंदा लोगों को जल्दी ही नीतीश बुलाने वाले हैं। उनसे सबूतों के साथ नीतीश कुमार बात करेंगे। उनसे साफ-साफ जानना चाहेंगे कि वे इधर रहें या उधर, स्पष्ट बताएं। उधर जाना हो तो उपेंद्र कुशवाहा की तरह जल्दी चले जाएं। दुविधा में न अपने रहें और न उन्हें रखें। आगे से विपक्षी नेताओं से संपर्क न रखने की वे हिदायत भी देंगे। इसके बाद भी अगर कोई शिकायत मिलती है तो उन्हें पार्टी छोड़ने के पहले ही निकालने की कार्रवाई भी नीतीश कर सकते हैं।
जेडीयू में नहीं थम रहा टूट का सिलसिला
नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को भी साफ-साफ कहा था कि जिधर जाना चाहते हैं, उधर जल्दी चले जाएं। नीतीश कुमार के इस बयान के बाद आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़ ही दिया। उसके बाद जेडीयू से नेताओं के जाने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थम नहीं रहा है। जेडीयू से अभी तक 6 बड़े नेता किनारा कर चुके हैं। जेडीयू छोड़ कर जाने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के अलावा पूर्व सांसद मीना सिंह, माधव आनंद, सुहेली मेहता, पूर्व सांसद मोनाजिर हसन, शंभुनाथ सिन्हा, राशि खत्री जैसे नेता हैं। इनमें कई तो बीजेपी ज्वाइन भी कर चुके हैं।