मुंबई में 25-26 अगस्त को विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की तीसरी बैठक होने वाली है। इस बैठक से पहले 7-8 अगस्त को कोर्ट से तीन बड़े फैसले आएंगे। दिल्ली के कोर्ट से आने वाले फैसलों का सीधा असर बिहार की सियासत पर पड़ेगा।
तीसरी बैठक से पहले ये तय हो जाएगा कि बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लैंड फॉर जॉब मामले में कितने बड़े आरोपी हैं। लालू यादव पर IRCTC मामले में किस तरह का केस चलेगा। इसके साथ ही जेल से बाहर आए पूर्व सांसद आनंद मोहन क्या एक बार फिर से जेल जाएंगे? ये भी तय हो जाएगा।
लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव मामले की सुनवाई 7 और 8 अगस्त को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी। आनंद मोहन की रिहाई मामले में 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
सबसे पहले तेजस्वी यादव का लैंड फॉर जॉब मामला जानिए
लालू परिवार पर लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। इस मामले में अभी तक दो चार्जशीट दायर हो चुकी हैं। एक में लालू-राबड़ी और उनकी बेटियों समेत 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है और दूसरी चार्जशीट में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम जोड़ा गया है। तेजस्वी के खिलाफ 3 जुलाई को CBI की ओर से लैंड फॉर जॉब मामले में चार्जशीट दायर की गई थी।
इस मामले में 8 अगस्त को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई होगी। चार्जशीट एक्सेप्ट करने के साथ-साथ तेजस्वी यादव पर आरोप भी तय किया जाएगा। बता दें कि 19 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन 8 अगस्त तक के लिए टाल दी गई है।
चार्जशीट एक्सेप्ट होने पर तेजस्वी को लेनी पड़ सकती है जमानत
जानकारों के मुताबिक, तेजस्वी के खिलाफ दायर चार्जशीट को कोर्ट एक्सेप्ट कर लेती है तो उन्हें तत्काल जमानत लेनी पड़ेगी।
तेजस्वी पर इस्तीफे का बीजेपी बनाएगी दबाव
एक्सपर्ट की माने तो तेजस्वी यादव बिहार सरकार में न केवल नंबर-2 हैं। बल्कि भाजपा के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर भी हैं। ऐसे में अगर तेजस्वी यादव पर चार्ज फ्रेम होता है तो विपक्ष खासकर भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिल जाएगा। भाजपा उन्हें सरकार से इस्तीफा देने का दबाव बनाएगी। इससे पहले मानसून सत्र में केवल चार्जशीट दायर होने पर बीजेपी तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर लगातार हंगामा की थी।
चारा घोटाले के बाद अब IRCTC मामले में लालू यादव पर चार्ज फ्रेम होगा
IRCTC घोटाला मामले में कोर्ट ने 31 जुलाई को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने को लेकर दलील पूरी हो गई है। अब इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई की तारीख निर्धारित की गई है।
लालू यादव के वकील की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि CBI ने ऐसा कोई भी सबूत पेश नहीं किया है, जिससे यह साबित होता है कि लालू प्रसाद यादव ने किसी का पक्ष लिया है। लालू प्रसाद के वकील ने कोर्ट में यह भी कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सबूतों के साथ कोर्ट में आना चाहिए। सिर्फ हवा-हवाई बातों पर चार्ज फ्रेम करने की मांग नहीं हो सकती। इसके जवाब में CBI के वकील ने कोर्ट में कहा कि पॉलिसी बदलने के मामले में लालू प्रसाद यादव की दखलअंदाजी थी।
गिरफ्तारी का खतरा नहीं है, अब दोषी पाए जाने के बाद ही होगी गिरफ्तारी
पटना हाईकोर्ट के वकील शाश्वत कहते हैं कि चार्जशीट दायर होने के बाद चार्ज फ्रेम होना एक कानूनी प्रक्रिया है। इसमें अरेस्ट होने की संभावना नहीं है। इसके बाद दोनों पक्षों की तरफ से अपने-अपने एविडेंस पेश किए जाएंगे। आरोपी का स्टेटमेंट दर्ज किया जाएगा। पूरी सुनवाई के बाद अगर वे दोषी पाए जाते हैं। इसके बाद ही उनकी गिरफ्तारी होगी। इससे पहले ही वो इस मामले में जमानत ले चुके हैं।
क्या आनंद मोहन को दोबारा जेल जाना पड़ेगा
आनंद मोहन की रिहाई (परिहार) के खिलाफ IAS जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बिहार सरकार की ओर से कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के साथ ही आनंद मोहन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। बिहार सरकार और आनंद मोहन दोनों ने इस संबंध में अपने-अपने जवाब दे दिए हैं। 8 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है।
आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार का जवाब जान लीजिए
सरकार की तरफ से दायर जवाब में आनंद मोहन की रिहाई को सही ठहराया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने जेल में रहते हुए 3 किताबें लिखी हैं। जेल में जो भी काम दिया गया, वो पूरा किया है। राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का भी हवाला दिया है। सरकार ने नियमों को बदलने पर कहा है कि किसी दोषी की रिहाई इसलिए नहीं रोकी जा सकती, क्योंकि उस पर लोक सेवक की हत्या का आरोप है। पीड़ित चाहे आम आदमी हो या खास, दोषी की रिहाई हो या न हो…इसकी वजह नहीं बन सकता।
सुप्रीम कोर्ट किस आधार पर सुना सकती है फैसला
इस मामले सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आनंद मोहन की रिहाई का नोटिफिकेशन रद्द हो सकता है? इस पर पटना हाईकोर्ट के वकील शाश्वत कहते हैं कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड का एक प्रॉसिजर होता है। इसके आधार पर ही आनंद मोहन को रिलीज किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट इस बात को देखेगी कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की तरफ से किसी मापदंड का उल्लंघन तो नहीं किया है। अगर सब कुछ सही रहेगा तो उनकी रिहाई पूरी तरह बरकरार रहेगी।