महागठबंधन सरकार में एक और बखेड़ा शुरू हो गया है। इस बार मामला राजस्व विभाग से जुड़ा है। दरअसल, 30 जून 2023 को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता की ओर से 480 अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की गई थी। सीएम नीतीश कुमार के आदेश के बाद इसे एक झटके में रद्द कर दिया गया है। 30 जून की रात सीओ, राजस्व पदाधिकारी और चकबंदी पदाधिकारियों की भारी पैमाने पर ट्रांसफर पोस्टिंग हुई थी। बताया जा रहा है कि इसमें बडे पैमाने पर खेल हुआ था।
ट्रासफर-पोस्टिंग में बड़े स्तर पर गड़बड़ी
खबरों की माने तो सीओ के ट्रांसफर और पोस्टिंग में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की गई थी। यही कारण था कि पूरा मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हरकत में आए। मामले की समीक्षा की। इसके बाद विभाग को ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश को रद्द करने का निर्देश दिया। राजस्व भूमि सुधार विभाग की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी अधिसूचना के अनुसार, बिहार राजस्व सेवा के राजस्व अधिकारी और समकक्ष पद तथा अंचल अधिकारी, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, चकबंदी पदाधिकारी, सहायक चकबंदी पदाधिकारी पद पर पदाधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन से संबंधित चार अधिसूचना 30 जून को जारी की गई थी, उसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।
डिप्टी सीएम के खास हैं मंत्री आलोक मेहता
बता दें कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग आरजेडी कोटे में है। इस विभाग के मंत्री आलोक मेहता डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के काफी करीबी बताए जाते हैं। अचानक सभी ट्रांसफर-पोस्टिंग आदेश को निरस्त किए जाने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग के बाद अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में बखेड़ा शुरू हो गया। संभव है इस मुद्दे पर जेडीयू और आरजेडी के नेता आमने-सामने भी आ जाएं।
एनडीए सरकार में भी तबादले को किया गया था रद्द
इस मामले को लेकर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि तबादले में अनियमितता बरती गई है. बता दें एनडीए सरकार में यह विभाग बीजेपी के पास था तब राम सूरत राय मंत्री थे और तबादले का आदेश दिया था, जिसको नीतीश ने रद्द कर दिया था. पिछली सरकार में भी इस विभाग में हुए तबादलों को रद्द किया गया था.