लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने मंजूरी दे दी।
दोपहर 12 बजे लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
स्पीकर ने नियमों के तहत 50 से ज्यादा सांसदों के समर्थन के बाद कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का समय सभी दलों से बातचीत के बाद तय करेंगे।
हालांकि विपक्ष नारेबाजी करते हुए PM मोदी की मौजूदगी की मांग करने लगे। इसके बाद लोकसभा 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।
दोबारा कार्रवाई शुरू होने पर वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ। हालांकि विपक्ष के हंगामे के चलते इसे गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा से विपक्ष का वॉकआउट
राज्यसभा में दोबारा कार्रवाई शुरू हुई। लेकिन विपक्षी सांसद लगातार वी वॉन्ट जस्टिस, PM मोदी जवाब दो… के नारे लगाते रहे। बाद में इसे दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
दोपहर 2 बजे जब कार्रवाई शुरू हुई तो विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन सदन से वॉकआउट कर दिया। हालांकि, सदन में कुछ विधेयक पास होने के बाद कार्रवाई 27 जुलाई तक स्थगित कर दी गई।
अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों के बयान….
- सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम- अविश्वास प्रस्ताव प्रधानमंत्री को संसद में आने मजबूर करेगा। हमें संसद में देश के मुद्दों, खासकर मणिपुर के मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है।
- संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी- लोगों को पीएम और BJP पर भरोसा है। वे पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। जनता ने उन्हें सबक सिखाया है।
- संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल- पहले वे चर्चा चाहते थे। जब हम तैयार हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। अब वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आकर चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है ये सभी बहाने हैं।
- शिव सेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी- अगर पीएम को संसद में लाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हम इस देश की बहुत बड़ी सेवा करेंगे।
- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी सांसद एनके प्रेमचंद्रन- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा ताकि प्रधानमंत्री संसद में आएं। यह अजीब है, देश ने ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी।
अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाना चाहता है विपक्ष
दरअसल, विपक्ष जानता है कि सरकार सदन में आसानी से बहुमत साबित कर देगी, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार होता है, तो प्रधानमंत्री का भाषण भी होगा। इससे सभी पार्टियों को चर्चा का मौका मिलेगा। यह सिर्फ सदन में सरकार को घेरने का तरीका है।
अगर आंकड़ों की बात करें, तो अभी लोकसभा में NDA के 335 सांसद हैं। मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 में आया। तब सरकार को 325, विपक्ष को 126 वोट मिले थे।
बता दें कि संसद में मंगलवार को भी मणिपुर मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा हुई. लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने मणिपुर पर पीएम मोदी के बयान की मांग को लेकर नारेबाजी की. लोकसभा में सांसदों ने सदन में नारेबाजी की और अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंचकर इंडिया फॉर मणिपुर के पोस्टर दिखाए. हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई थी. इस बीच विपक्ष ने केंद्र के खिलाफ लोकसभा में बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है. उधर, राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किए गए आप सांसद संजय सिंह संसद परिसर में ही विरोध प्रदर्शन के दौरान बैठे हुए हैं.
स्पीकर के साथ सर्वदलीय बैठक में बहुजन समाज पार्टी और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का स्टैंड बाकी विपक्षी दलों से अलग रहा है. इन दोनों दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाब दें या न दें लेकिन मणिपुर पर चर्चा के दौरान वो सदन में मौजूद रहें. पीएम को अगर लगे कि कुछ बोलना चाहिए तो बोलें, अगर नहीं लगे तो न बोलें. राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किए गए आप सांसद संजय सिंह संसद परिसर में ही विरोध प्रदर्शन के दौरान बैठे हुए हैं. संजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर चुप क्यों हैं? हम केवल संसद में आकर इस पर बोलने की मांग कर रहे हैं. संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाना हमारी जिम्मेदारी है.”