रहबरी का सवाल सिर्फ़ मणिपुर और बंगाल तक सीमित नहीं है. राजस्थान से भी गैंगरेप और बहन-बेटियों पर ज़ुल्म की भयानक ख़बरें आई हैं, लेकिन आजकल सब सेलेक्टिव हो गए हैं. अपराधी ‘तेरा मेरा’ हो गया है. कांग्रेस बंगाल में महिलाओं के साथ हुई बदसलूकी पर खामोश रही और ममता राजस्थान में गैंगरेप और बलात्कार की वारदातों पर चुप रहीं. क्या ये सिर्फ़ इसलिए कि दोनों में नई नई दोस्ती हुई है? क्या राजनीतिक गठबंधन प्रियंका और ममता को इस बात के लिए मजबूर करता है कि सिर्फ़ मणिपुर पर बोलना है? शुक्रवार को प्रियंका गांधी ने ग्वालियर की अपनी रैली में मणिपुर की घटना का जिक्र किया. कहा कि मणिपुर में महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 77 दिन से चुप हैं, और जब उन्हें मजबूरी में बोलना पड़ा, तो उसमें भी राजनीति कर दी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का नाम ले लिया. प्रियंका गांधी ने करीब 32 मिनट का भाषण दिया. मोदी पर महिलाओं के अपमान पर सियासत का इल्जाम लगाया लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुई घटनाओं पर कुछ नहीं कहा, एक शब्द भी नहीं बोला. असली बात ये है कि सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस के तमाम नेताओं को इस बात पर नाराजगी है कि कानून और व्यवस्था की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का नाम क्यों ले लिया. अशोक गहलोत कह रहे हैं कि राजस्थान में सबसे बेहतर कानून और व्यवस्था है, महिलाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन अशोक गहलोत को उन्ही की सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने आइना दिखा दिया. विधानसभा में खड़े होकर अशोक गहलोत की सरकार के मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कह दिया कि राजस्थान विधानसभा में मणिपुर की घटना पर चर्चा करने की बात हो रही जबकि चर्चा तो राजस्थान की कानून और व्यवस्था पर होनी चाहिए, क्योंकि ये सही है कि हमारी सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल रही है. राजेन्द्र गुढ़ा ने जैसे ही ये बात कही, बीजेपी के नेता मेजें थपथपाने लगे. राजेन्द्र गुढ़ा ने अपने दिल की बात कह दी लेकिन अपनी सरकार के ख़िलाफ़ बयान देने के बाद, जब वह घर पहुंचे तो वो पूर्व मंत्री हो चुके थे. अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्री पद से बर्ख़ास्त कर दिया, लेकिन राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि उन्हें मंत्री पद जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वो सच बोलते रहेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान में पिछले साढ़े चार साल में 10 लाख से ज्यादा अपराधिक मामले हुए, बलात्कार के मामलों में राजस्थान पूरे भारत में पहले स्थान पर है. राजस्थान में महिलाएं बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं. आपने देखा राजनीति करने वाले चाहे राजस्थान में हों, बंगाल में या मणिपुर में, सब अपराध और ज्यादती की इन घटनाओं का इस्तेमाल अपने अपने फ़ायदे के लिए करना चाहते हैं. सबको महिलाओं पर हुए ज़ुल्म से ज़्यादा आने वाले चुनाव की चिंता है . कोई कह रहा है हमने दो दिन में पकड़ लिया, तुमने 70 दिन क्यों लगाए ? कोई कह रहा है कि तुम्हारी अपनी सरकार के मंत्री-विधायक कह रहे हैं कि महिलाओं पर ज़ुल्म हो रहा है, महिलाएं सुरक्षित नहीं है. किसी ने कहा कि हमारे यहां पुलिस ने कम से कम FIR तो दर्ज की, तुम्हारे यहां तो FIR दर्ज करने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है.. कोई पुलिस को दोष देगा, कोई विरोधी दलों को झूठा बताएगा, पर सच क्या है, सब जानते हैं. दिल सबका दुखता है, लेकिन, कहने में सेलेक्टिव हैं… सबको मालूम है कि जब भी समाज में टकराव होता है, जब भी राजनीति में जंग होती है, तो सबसे पहले महिलाएं उसका शिकार बनती हैं. महिला को निर्वस्त्र करने वाले, परेड कराने वाले, बलात्कार करने वाले, न तो किसी राजनेता के काम आ सकते हैं और न ही किसी सभ्य समाज का हिस्सा हो सकते हैं. लेकिन कोई इस बात को समझना नहीं चाहता. महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए अपराधों पर राजनेता ‘तेरा मेरा’ अपराध देखते हैं.
क्या भारत की पहल से थम जाएगी रूस-यूक्रेन की जंग? PM मोदी ने अपने ‘जेम्स बॉन्ड’ को सौंपी जिम्मेदारी
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) रूस-यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने के उद्देश्य से चर्चा करने के लिए इस सप्ताह...