कर्नाटक के बेंगलुरू में विपक्षी एकता की बैठक में सीएम नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव शामिल तो हुए। लेकिन चार्टड प्लेन होने के बावजूद तीनों नेता वहां की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए बगैर वापस लौट आए। कहा जा रहा है कि नए गठबंधन का नाम नीतीश कुमार को पसंद नहीं था और उन्होंने इसके बारे में कहा भी। सियासी गलियारे में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कई तरह की चर्चाएं तैर रही हैं। उधर पटना लौटने के बाद भी नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव ने मीडिया से कोई बात नहीं की। इसी दौरान बीजेपी ने महागठबंधन पर ये कह कर हमला बोला है कि कर्नाटक बुलाकर नीतीश कुमार की बेइज्जती की गई।
बेंगलुरु में मंगलवार को विपक्षी दलों की दूसरी बड़ी बैठक हुई। इसमें कई अहम निर्णय लिए गए, लेकिन बैठक के बाद जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नहीं दिखे। बताया गया कि उन्हें फ्लाइट के लिए देर हो रही थी। हालांकि, वे अपने चार्टर्ड प्लेन से गए थे।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जब वे चार्टर प्लेन से गए थे तो फिर उन्हें फ्लाइट में देरी कैसे हो सकती है। दूसरी ओर प्रेस कॉन्फ्रेंस से इनके गायब रहने पर कई सवाल उठने लगे हैं। इसमें सबसे अहम ये है कि क्या विपक्षी एकता के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव नाराज हो गए हैं।
हालांकि, इसपर न तो नीतीश कुमार कुछ बोल रहे हैं और न ही कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी की तरफ से कोई औपचारिक बयान जारी किया गया है, लेकिन भाजपा को मौका जरूर मिल गया है। भाजपा नेताओं ने ट्वीट करके नीतीश को निशाने पर ले लिया।
संयोजक के नाम पर सहमति नहीं बनी
23 जून को पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी। इसमें तय किया गया था कि अगली बैठक कांग्रेस के नेतृत्व में होगी। इसमें गठबंधन का नाम, संयोजक और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले की घोषणा की जाएगी, लेकिन बेंगलुरु मे हुई बैठक में सिर्फ गठबंधन के नाम की घोषणा की गई।
न तो संयोजक के नाम पर सहमति बन पाई और न ही सीट फॉर्मूले पर कोई बात बनी। इसके लिए अब अगली बैठक मुंबई में होगी। चर्चा इस बात की भी है कि नीतीश को ये रास नहीं आया। वहीं, कई मीडिया चैनलों का ये भी मानना है कि नीतीश को महागठबंधन का नाम INDIA रखना सही नहीं लगा।
आरजेडी ने पहले INDIA के नाम का पोस्ट किया फिर डिलीट किया
आरजेडी के ट्विटर अकाउंट से पहले महागठबंधन के नए नाम की घोषणा की गई। इसमें लिखा गया कि अब भाजपा को INDIA कहने में भी दिक्कत होगी। हालांकि, प्रेस ब्रिफिंग शुरू होने से थोड़ी देर पहले इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। इसके बाद आरजेडी के नेता बयान देने से बच रहे हैं।
अंदर की खबर- संयोजक के पद पर हुई खूब माथापच्ची, नहीं बन पाई सहमति
वहीं बैठक में शामिल एक नेता की मानें तो संयोजक के पद के लिए मीटिंग में खूब माथापच्ची हुई। इसके लिए दो नाम की चर्चा तेज थी। पहला अरविंद केजरीवाल और दूसरा नीतीश कुमार।
इस पर सहमति नहीं बनी तो चार संयोजक बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया, जो देश के चार कोने से होंगे, लेकिन छोटे दलों ने इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संयोजक के चयन के लिए 11 सदस्यीय जॉइंट कमेटी का गठन कर दिया गया।
इससे भी बढ़ी बिहार के नेताओं की टेंशन…
1. पोस्टर में ड्राइविंग सीट से बैक सीट पर पहुंचे नीतीश
महागठबंधन की चर्चा के शुरुआत से ही नीतीश कुमार इसकी ड्राइविंग सीट पर रहे हैं। विपक्षी एकता की सबसे पहली पहल उन्होंने ही की। कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर पांच स्टेट में विपक्षी नेताओं से से वन टू वन मीटिंग की। सभी क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए मनाया।
पटना में हुई पहली बैठक में नीतीश कुमार पोस्टर बॉय थे। वे हर पोस्टर के सेंटर में थे, लेकिन बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस की तरफ से जारी पोस्टर में नीतीश को तरजीह कम दी गई। साथ ही नीतीश की जगह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को दी गई।
बेंगलुरु में नीतीश कुमार पोस्टर के सबसे आखिरी कतार में पहुंच गए। चर्चा इस बात की भी है कि बिहार के मुख्यमंत्री को कांग्रेस का यह अंदाज रास नहीं आया।
2. कर्नाटक में नीतीश कुमार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए
बैठक से पहले सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए थे। पोस्टर में उन्हें अनस्टेबल प्राइमिनिस्ट्रियल कंटेंडर यानी प्रधानमंत्री पद का अस्थिर दावेदार बताया गया था। साथ ही सुल्तानगंज ब्रिज गिरने को लेकर भी पोस्टर लगाए गए। जिसमें लिखा-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वागत। सुल्तानगंज ब्रिज- नीतीश कुमार का बिहार को तोहफा, जो गिरता रहता है।
जबकि दूसरे पोस्टर में सुल्तानगंज ब्रिज कब-कब गिरा इसका जिक्र है। हालांकि, बेंगलुरु पुलिस ने ये पोस्टर हटा दिए हैं, लेकिन तब तक देशभर की मीडिया में यह खबर आ चुकी थी। बाद में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी शिवकुमार ने इसे भाजपा नेताओं का दुष्प्रचार बताया।
अब समझिए बिहार की राजनीति में इसका असर
तेजस्वी को सीएम बनाने की लालू की मुहिम को झटका लगेगा
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में आगे कर अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। जब नीतीश ने एक बार घोषणा कर दी थी कि अब सब कुछ तेजस्वी ही देखेंगे।
2025 का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जब से नीतीश कुमार एनडीए से पाला बदल कर महागठबंधन का हिस्सा बने हैं तब से लालू यादव इस मुहिम में जुटे हैं। वे खुद इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से वे लगातार नेताओं से मिल रहे हैं। विपक्षी दलों की दोनों बैठक में शामिल हुए। आरजेडी को लगने लगा था कि अगर नीतीश संयोजक बन जाते हैं तो तेजस्वी बिहार की कमान संभाल लेंगे।
ऐसे में बात बिगड़ती है तो लालू प्रसाद यादव के मुहिम को बड़ा झटका लगेगा। तेजस्वी यादव को सीएम बनने के लिए 2025 तक इंतजार करना होगा।
अगर नीतीश साथ नहीं होंगे तो फिर आरजेडी का क्या रुख कांग्रेस को लेकर क्या होगा। बिहार में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। इसका सीधा फायदा एनडीए को होगा।
सूत्रधार के गठबंधन से हटने का लाभ भाजपा को मिलेगा
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि नीतीश और लालू का नाराज होना केंद्र के खिलाफ बन रहे गठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं है। इसका असर बिहार में गठबंधन सरकार पर भी पड़ेगा। ये दोनों हो वे शख्स हैं जब गठबंधन का कहीं कोई जिक्र नहीं था तब उन्होंने ही इसका जिक्र किया था।
इन्होंने न केवल इसका स्वरूप तैयार किया बल्कि एक छाते के नीचे देशभर के क्षेत्रीय पार्टियों को लाया। अगर सूत्रधार ही हट जाएंगे तो इसका देश के मतदाता और पार्टियों के बीच गलत संदेश जाएगा।
इसका सीधा लाभ एनडीए गठबंधन और नरेंद्र मोदी को मिलेगा। बिहार में कांग्रेस सरकार से भी बाहर हो सकती है और लोकसभा का मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।
बिहार के नेताओं ने नीतीश पर ली चुटकी
प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार के शामिल नहीं होने पर बिहार के नेताओं ने चुटकी ली है। सबसे पहले राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर पूछा- नीतीश और लालू प्रेस कांफ्रेंस में बिना भाग लिए क्यों निकल गए? संयोजक नहीं बनाने से कहीं नाराज तो नहीं?
सुशील मोदी ने कहा कि बेंगलुरु में नीतीश कुमार के नाम से ज्यादा पोस्टर नहीं लगे हुए थे। जो पोस्टर थे उसमें भी उन्हें पीछे भेज दिया गया था. इसके कारण वे कहीं न कही नाराज होकर निकल गए होंगे।
वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी ट्वीट कर कहा- सुने हैं बिहार के महाठगबंधन के बड़े-बड़े भूपति बेंगलुरु से पहले ही निकल आए। दूल्हा तय नहीं हुआ, फूफा लोग पहले ही नाराज हो रहे।