प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार देर शामिल अपनी दो देशों की यात्रा से दिल्ली पहुंच गए. पीएम मोदी की फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात यात्रा से देसी यूपीआई (UPI) का रुतबा बढ़ गया और अब दोनों देशों यानी फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात में UPI के इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई. पिछले दो दिनों में 2 देशों में UPI के इस्तेमाल को मंजूरी मिलना पीएम मोदी की यात्रा की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. पीएम मोदी की यात्रा से यूपीआई के लिए यूरोपियन यूनियन के बाद दुबई में भी इजाजत मिल गई.
बता दें कि शनिवार को पीएम मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात के शासक और राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के बीच MoU साइन हुआ है. जिसके बाद दुबई में भी UPI के प्रयोग को मंजूरी मिल गई. बता दें कि भारत और यूएई ने कारोबारी लेन-देन भारतीय रुपये में शुरू करने और UPI को दुबई में तत्काल प्रभाव से पेमेंट के इस्तेमाल के लिए दुबई के डिजिटल पेमेंट मोड IPP से जोड़ने को लेकर सहमति जताई है.
पीएम मोदी की यूएई यात्रा से दो डील हुई फाइनल
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी फ्रांस यात्रा के दूसरे पड़ाव में शनिवार सुबह संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचे. इस दौरान यूएई में दो डील फाइनल हो गई. जिसमें पहली UPI के इस्तेमाल को मंजूरी और दूसरा लोकल करेंसी यानी भारतीय रुपये में लेन-देन शामिल है. जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऑफिसियल बयान जारी कर कहा कि उसने स्थानीय मुद्राओं यानी भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए UAE के सेंट्रल बैंक के साथ एक डील की है.
इसी के साथ आपसी लेन-देन में भारतीय रूपये का इस्तेमाल होने से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही पेमेंट मोड तेज और आसान हो जाएंगे. इसके साथ ही व्यापार के भुगतान की लागत भी कम होगी. इसके अलावा दोनों देश में आपसी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा. यही नहीं इन डील्स से यूएई में रह रहे भारतीय और और वहां घूमने जाने वालों को भी फायदा होगा.
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि ये एमओयू दोनों देशों के केंद्रीय बैंक रुपये और दिरहम का सीमापार लेनदेन में इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एक ढांचा खड़ा करने और दोनों देशों की भुगतान प्रणालियों यूपीआई एवं आईपीपी को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए सहयोग करने से संबंधित हैं.
भारत अमेरिकी डॉलर में होने वाले कारोबार पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय मुद्राओं में लेनदेन को बढ़ावा देने की कोशिश में लगा हुआ है। इसी क्रम में कई देशों के साथ रुपये में कारोबार शुरू किया गया है. आरबीआई ने कहा, ‘दोनों एमओयू का उद्देश्य निर्बाध सीमापार लेनदेन एवं भुगतान की सुविधा प्रदान करना और दोनों देशों के बीच अधिक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.’
भारत और यूएई के बीच स्थानीय मुद्राओं में कारोबार करने से संबंधित समझौता ज्ञापन में एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (एलसीएसएस) भी स्थापित करने का इरादा जताया गया है. इससे भारतीय रुपये और यूएई दिरहम दोनों का द्विपक्षीय इस्तेमाल बढ़ेगा. आरबीआई ने कहा, ‘एलसीएसएस के गठन से निर्यातक और आयातक अपनी संबंधित स्थानीय मुद्राओं में बिल बनाने और भुगतान करने में सक्षम बनेंगे. इससे भारतीय रुपये और यूएई दिरहम विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का विकास होगा. इस व्यवस्था से दोनों देशों के बीच निवेश और प्रेषण को भी बढ़ावा मिलेगा.’
आरबीआई ने कहा कि समझौता ज्ञापन में चालू खातों के सारे लेनदेन और स्वीकृत पूंजी खाता लेनदेन भी शामिल हैं.स्थानीय मुद्राओं में कारोबार शुरू होने से लेन-देन की लागत और निपटान समय में कमी आने के साथ यूएई में रहने वाले भारतीय नागरिकों के स्वदेश पैसा भेजने में भी फायदा होगा. दोनों देशों के केंद्रीय बैंक अपनी त्वरित भुगतान प्रणालियों- यूपीआई और आईपीपी को जोड़ने की दिशा में काम करने के लिए भी सहमत हुए हैं. इसके साथ दोनों देशों के कार्ड स्विच रुपे और यूएईस्विच को भी जोड़ने पर सहमति जताई गई है.
इसके अलावा दोनों देशों के केंद्रीय बैंक अपनी-अपनी भुगतान संदेश प्रणालियों को संबद्ध करने की भी संभावनाएं तलाशेंगे.इसके तहत भारत की संरचित वित्तीय संदेश प्रणाली (एसएफएमएस) को यूएई की समान प्रणाली से जोड़ने की कोशिश की जाएगी. आरबीआई ने कहा, ‘यूपीआई और आईपीपी को जोड़ने से दोनों देशों के उपयोगकर्ता तेज, सुविधाजनक, सुरक्षित और किफायती ढंग से सीमापार राशि अंतरण कर पाएंगे.’ वहीं कार्ड स्विचेज को जोड़ने से घरेलू कार्डों की आपसी स्वीकृति और कार्ड से लेनदेन के प्रसंस्करण में मदद मिलेगी. इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि दोनों देशों की भुगतान संदेश प्रणालियों को जोड़ने से द्विपक्षीय वित्तीय संदेश गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.