23 जून को पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद 17 जुलाई को बेंगलुरु में दूसरी बैठक होनी है। बिहार से जो दो बड़े नेता इसमें भाग लेंगे। वे हैं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के रथ को रोकने के लिए यह बड़ी पहल है। इसमें दो दर्जन पार्टियां शामिल होने जा रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद की मदद से देश के कई नेताओं से जाकर मुलाकात की और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता पर फोकस किया।
आम आदमी पार्टी पर नजर
इससे पहले विपक्षी एकता की बड़ी बैठक पटना में महागठबंधन की ओर आयोजित की गई थी। बेंगलुरु में होने वाली बैठक को लेकर सभी की नजर आम आदमी पार्टी पर है। पटना की बैठक में अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले से निकल गए थे। उन्होंने केन्द्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन मांगा था। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तो अध्यादेश के खिलाफ अपनी राय पहले ही रख चुके थे, इसलिए केजरीवाल पटना की बैठक में आए भी थे। कांग्रेस की नाराजगी केजरीवाल से इसलिए है कि वे सोनिया गांधी की आलोचना कर चुके हैं।
अध्यादेश का विरोध क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे। इसके बाद केंद्र सरकार 20 मई को एक अध्यादेश लाई और ये अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए। केजरीवाल इसी अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता बबलू प्रकाश से भास्कर ने बात की। वे कहते हैं कि जैसा लग रहा है आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के बैठक में शामिल होने की संभावना कम है।
कारण यह है कि दो दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने पटना की बैठक के बाद कहा था कि मानसून सत्र के पहले कांग्रेस अध्यादेश पर अपना रुख साफ करेगी। लेकिन कांग्रेस ने अब तक अपना रुख अब तक साफ नहीं किया है। बैठक के लिए निमंत्रण आया है लेकिन कांग्रेस के रवैया की वजह से मुझे लगता है कि आप पार्टी के कोई नेता बैठक में शामिल नहीं होंगे।
जानकारी का है कि बेंगलुरु की बैठक में पार्टी के सुप्रीमो या राष्ट्रीय अध्यक्ष शामिल होंगे। कांग्रेस से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और वेणुगोपाल बैठक में रहेंगे। आरजेडी से लालूू प्रसाद, तेजस्वी यादव और मनोज झा रहेंगे। जेडीयू से नीतीश कुमार, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, मंत्री संजय झा रहेंगे। भास्कर ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि रविवार को शाम वे भी बेंगलुरु जा रहे हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि मैं बेंगलुरु नहीं जा रहा हूं।
‘मुकाबला दिलचस्प होगा’
विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की जो कोशिश पटना से शुरू हुई। इसके बाद यह बैठक बेंगलुरु में होनी है। लेकिन केजरीवाल की बैठक में जाने की संभावना कम है। केजरीवाल की शर्त है कि कांग्रेस अध्यादेश के मुद्दे पर साथ देगी तभी वे आगे बढ़ेंगे। अभी और भी लोग हटेंगे और और जुटेंगे भी। अभी गठबंधन एक जरूरत है, जिस तरह से 1977 और 89 में जरूरत थी। जब भी गठबंधन बना है, सत्ता पार्टी को कुर्सी से हटाने में सफलता मिली है।
संतोष का कहना है कि इस बार भी यह शुरुआत बिहार से हुई है। पिछली बार जितने दल विपक्षी बैठक में आए थे, उन्हें मिलाकर 400 सीटें पूरी हो जाती हैं। 400 सीटों पर वन-बाय-वन मुकाबला होगा तो सत्ता पक्ष को नुकसान होगा। नरेन्द्र मोदी सरकार के 10 साल पूरे हो गए हैं और एंटी इनकांबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) दिख रहा है। रोजगार, महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगों की नाराजगी है। केजरीवाल के साथ ही महबूबा, उमर अब्दुल्ला भी हट सकते हैं और कई जुट भी सकते हैं। लेकिन 2024 में विपक्षी एकता की वजह से मुकाबला दिलचस्प होगा।