बिहार विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार रहा। सदन में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे और शिक्षकों के साथ न्याय करने की मांग गूंजती रही। सदन में नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई। आखिर में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज के विरोध में बीजेपी विधायकों ने सदन में काला दिवस भी मनाया।
इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा रही सीएम नीतीश कुमार के खामोशी की। सदन में हंगामा होता रहा, लेकिन वे खामोश रहें। बीजेपी विधायक तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग करते रहे, वो खामोश रहे। सदन के बाहर कृषि सलाहकारों पर लाठियां चली, वो खामोश रहे।
विधानसभा मार्च के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर जमकर लाठियां बरसाई गईं। इसमें बीजेपी के एक कार्यकर्ता की मौत भी हो गई, इसके बाद भी नीतीश कुमार की खामोशी बरकरार रही। जानकार कहते हैं कि ऐसा संभवत: पहली मर्तबा हुआ है जब सत्र के दौरान सदन के भीतर और बाहर नीतीश कुमार खामोश रहे हों। सीएम भले खामोश रहे, लेकिन डिप्टी सीएम हर मुद्दे पर खुलकर बोले…आइए अब इनके मायने समझते हैं…
हंगामे के बीच बिना विपक्ष के ही मानसून सत्र के चौथे दिन विधानसभा में तेजस्वी यादव सदन से जमकर बीजेपी पर बरसे। वे भले नगर विकास व आवास विभाग के अनुदान मांग पर अपनी बात बोलने उठे थे, लेकिन 30 मिनट के अपने भाषण में वे 25 मिनट तक लगातार भाजपा पर हमलावर रहे। इस दौरान उन्होंने भाजपा में परिवारवाद, भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की पूरी लिस्ट भी गिना दी।
मानसून सत्र के आखिरी दिन जब विधानसभा पोर्टिको में मीडिया हर बार की तरह इस बार भी सीएम नीतीश कुमार का इंतजार कर रही थी। उनके सामने डिप्टी सीएम ही आए। यहां भी उन्होंने ही भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज पर उठ रहे सवालों का जवाब दिया।
तारीख 9 जुलाई; विदेश से लौटने के बाद
विदेश से छुटि्टयां मनाकर लौटने के बाद तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, “हम सभी एकजुट हैं। जब हम लोग ऑपरेशन और सर्जरी करेंगे तो भाजपाई कहां फेंकाएंगे, पता भी नहीं चलेगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन अटूट है। हम लोग मजबूती के साथ नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम कर रहे हैं। बीजेपी अफवाह फैला रही है और कुछ नहीं है।”
इस दौरान लैंड फॉर जॉब मामले में अपने ऊपर दायर चार्जशीट के जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी सबसे अधिक लालू यादव से ही डरती है। मेरे ऊपर दर्ज की गई चार्जशीट में कोई दम नहीं है। इससे पहले 2017 में भी चार्जशीट दर्ज हुई है। 6 साल हो गए, उसमें कुछ नहीं हुआ। जब बीजेपी हारती है तो जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इससे हम लोग डरने वाले नहीं हैं।
तारिख-13 जुलाई; विधानसभा में मानसून सत्र के चौथे दिन
विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सदन से बीजेपी पर हमला बोला। नगर विकास व आवास विभाग के अनुदान मांग की चर्चा पर तेजस्वी यादव लगभग 30 मिनट बोले। इसमें 25 मिनट तक भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा, “ केंद्र सरकार बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। बिहार और बिहारियों से नफरत करती है। बिहार को केंद्र से कोई मदद नहीं मिल रही है। बीजेपी में जो भ्रष्टाचारी जाते हैं, उसका भ्रष्टाचार खत्म हो जाता है। क्रिमिनल का क्राइम खत्म हो जाता है। इस दौरान तेजस्वी यादव ने भाजपा के परिवारवाद और आपराधिक मामलों में जुड़े नेताओं का लिस्ट भी गिनाई।”
तारिख- 14 जुलाई; मानसून सत्र के समापन के बाद मीडिया ब्रिफिंग में
मानसून सत्र के समापन के बाद मीडिया ब्रीफिंग के लिए तेजस्वी यादव सामने आए। गुरुवार को विधानसभा मार्च के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज और इसमें एक की मौत के बाद सरकार पर लग रहे आरोपों पर उन्होंने सफाई दी।
डिप्टी सीएम ने कहा कि अगर कल के प्रदर्शन मे हुए लाठी चार्ज में महागठबंधन की सरकार दोषी है तो किसान प्रदर्शन में हुए किसानों की मौत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं। मणिपुर में बीजेपी के सरकार है तो वहां जो लोग मारे जा रहे हैं क्या इसके लिए बीजेपी पर आरोप लगने चाहिए। बीजेपी नकारात्मक राजनीति कर रही है। ये नहीं होना चाहिए।
अब तीन पॉइंट में समझिए तेजस्वी यादव को आगे करने के मायने…
क्या नीतीश कुमार अपनी विरासत तेजस्वी को सौंपना शुरू कर दिए हैं?
सीएम नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि 2025 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। ऐसे में विधानसभा में सरकार पर लग रहे आरोपों का जवाब देने के लिए आगे आने पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को अपनी विरासत सौंपने लगे हैं?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट फिलहाल इस बात से इनकार करते हैं। उनका मानना है कि फिलहाल नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ने वाले हैं। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि नीतीश कुमार ने अघोषित तौर पर सत्ता का स्थानांतरण कर दिया है।
नीतीश का खामोश रहना क्या उनकी मजबूरी है ?
17 जुलाई के बाद नीतीश कुमार लगभग मीडिया से दूरी बना लिए हैं। वे किसी राजनीतिक घटनाक्रम पर कोई बयान नहीं दे रहे हैं। वे लगभग खामोश हैं। हालांकि, बिहार की सियासत में नीतीश कुमार की खामोशी को खतरनाक माना जाता है।
पिछले 20 वर्षों से ज्यादा वक्त से बिहार विधानसभा की कार्यवाही पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्र के दौरान सदन के अंदर और बाहर नीतीश कुमार खामोश रहे हों। वे कहते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले पर नीतीश कुमार पहले भी 6 से ज्यादा मंत्रियों का इस्तीफा ले चुके हैं। इस बार वे ऐसा करने में असमर्थ हैं इसलिए भी वे भाजपा के आरोपों पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
क्या कोई बड़ा उलटफेर होने वाला है बिहार की सियासत में ?
17 और 18 जुलाई को बीजेपी विरोधी दलों की दूसरी बड़ी बैठक कर्नाटक में होनी है। इसकी अगुवाई खुद कांग्रेस कर रही है। इस दिन विपक्षी दल न केवल भाजपा के खिलाफ एकजुट होंगे। बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के फॉर्मूले से लेकर गठबंधन की बागडोर किसके हाथ में रहेगी। ये सब तय हो जाएगा। माना जा रहा है कि इस रोज नीतीश कुमार को महागठबंधन में कोई बड़ी भूमिका दी जाएगी। इसके बाद बिहार में सियासी उलटफेर हो सकता है। हालांकि पॉलिटिकल एक्सपर्ट इस पर एकमत नहीं हैं।