कोलकाता में मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और दिल्ली संबंधी अध्यादेश के विरोध के मुद्दे पर उनकी पार्ची का समर्थन मांगा। ममता बनर्जी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि सभी विरोधी दलों को मिलकर मोदी का मुकाबला करना होगा..क्योंकि मोदी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दिल्ली के LG को पुरानी पावर्स लौटाने के लिए जो ऑर्डिनेंश जारी किया है, सारे विपक्षी दल उसका विरोध करें। इसी सिलसिले में केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा को लेकर ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे थे। लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस को किसी कीमत पर किसी मुद्दे पर केजरीवाल का साथ नहीं देना चाहिए।
दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल जिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की बात कर रहे हैं, उसी सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में साफ कहा है कि संसद के पास पूरा अधिकार है कि वो एलजी को कोई भी पावर दे सकती है, इसलिए केन्द्र सरकार ने आर्डिनेंश जारी करके कोई गलत काम नहीं किया। केजरीवाल सिर्फ अफसरों पर हुक्म चलाने की चाहत में इसे सियासी रंग दे रहे हैं, जनता की लड़ाई बता रहे हैं, ये सही नहीं है। अजय माकन की बात को कांग्रेस के एक और नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि केजरीवाल ने हमेशा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की., कांग्रेस पर झूठे इल्जाम लगाए. इसलिए जब तक केजरीवाल सार्वजनिक तौर पर नहीं मानते कि वो झूठे हैं..उन्होंने सत्ता के लालच में झूठ बोला, केजरीवाल को समर्थन देने की बात सोचना भी नहीं चाहिए। अजय माकन दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता हैं, इसलिए कांग्रेस हाईकमान उनके विरोध को अनदेखा नहीं कर सकता।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा है कि कांग्रेस ने अभी कोई फैसला नहीं किया है, कांग्रेस पहले दिल्ली यूनिट से बात करेगी., उसके बाद कोई फैसला लेगी। पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रताप सिंह बाजवा ने भी कहा है कि आम आदमी पार्टी बीजेपी की बी-टीम है, विपक्षी दलों को केजरीवाल से सावधान रहना चाहिए, वो कभी भी धोखा दे सकते है। कांग्रेस के नेताओं की चिंता तो जायज़ है..क्योंकि केजरीवाल ने अपनी जमीन उन्ही राज्यों में बनाई जहां कांग्रेस मजबूत थी। दिल्ली और पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की सरकार बन गई.और कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। इसी तरह गुजरात, उत्तराखंड और गोवा में जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से था, वहां केजरीवाल ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा और कांग्रेस हार गई।
अब राजस्थान, मध्य प्रदेश.और छत्तीसगढ़ में चुनाव होना है, हरियाणा में अगले साल चुनाव हैं, .इन सभी राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं। केजरीवाल ने एलान कर दिया कि उनकी पार्टी इन राज्यों में भी चुनाव लड़ेगी। इसीलिए कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि जब विधानसभा चुनाव में केजरीवाल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं तो लोकसभा चुनाव में केजरीवाल कांग्रेस के साथ की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। ये तो सिर्फ एक पार्टी का झगड़ा है.. जब सीटों के बंटवारे की बात आएगी तो दूसरे राज्यों में विपक्षी एकता धरी रह जाएगी। ऐसा महाराष्ट्र में दिखने लगा है…वहां सीटों पर झंझट शुरू हो गया है..