ल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आज शिवसेना(यूबीटी) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से उनके मातोश्री स्थित निवास पर मिलेंगे। वहीं 25 मई को वह एनसीपी नेता शरद पवार से भी मिलेंगे। इस दौरान केजरीवाल इन दोनों नेताओं से केंद्र सरकार के अध्याधेश के खिलाफ राज्यसभा में उनका समर्थन पाने की कोशिश करेंगे।
दरअसल दिल्ली में अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिया है। अब इस अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने के लिए केजरीवाल पूरी कोशिश कर रहे हैं और विपक्षी पार्टियों का समर्थन पाने में जुटे हैं। हालही में सीएम केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की थी, जिसके बाद ममता ने दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध किया था और सभी गैर बीजेपी दलों से राज्यसभा में इस अध्यादेश का विरोध करने की अपील की थी। केजरीवाल बिहार के सीएम नीतीश कुमार से भी मुलाकात कर चुके हैं।
क्या है पूरा मामला, वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी पर टिकी नजर
दरअसल मोदी सरकार चाहती है कि दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में उपराज्यपाल ही असली बॉस बने रहें। इसीलिए केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण’ बनाने का अध्यादेश लाई है। मॉनसून सत्र में संसद में मंजूरी के लिए अगर इस अध्यादेश को पेश किया जाता है तो जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजेडी बड़ा रोल अदा कर सकती है।
यही वजह है केजरीवाल विपक्ष की गोलबंदी में जुट गए हैं क्योंकि अगर केजरीवाल को विपक्ष का साथ मिल गया तो राज्यसभा में ये अध्यादेश पारित नहीं हो पाएगा। लोकसभा में सदस्यों का संख्याबल होने की वजह से सरकार वहां तो अध्यादेश को आसानी से पास करा लेगी, लेकिन राज्यसभा में अगर केजरीवाल को विपक्ष का साथ मिल गया तो वहां अध्यादेश पारित होने का मामला लटक सकता है क्योंकि राज्यसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बहुमत प्राप्त नहीं है।
यही वजह है वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी पर सभी की नजर टिकी हुई है कि वह इस मामले में क्या फैसला लेती है। क्योंकि ये दोनों ही पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी की नीति अपनाती हैं।
क्या है राज्यसभा का समीकरण
राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 होती है, लेकिन इस समय राज्यसभा में 238 सदस्य हैं और बहुमत के लिए 120 सदस्यों का होना जरूरी है। एनडीए के पास राज्यसभा में 110 सदस्यों का समर्थन है। यूपीए के पास 64 सदस्य हैं। वहीं अन्य विपक्षी दलों के पास भी 64 सदस्य हैं।