बेटियों ने फिर कमाल कर दिया है। देश की सबसे प्रतिष्ठित UPSC परीक्षा में टॉप-4 स्थानों पर बेटियां रहीं। यह लगातार दूसरा साल है जब बच्चियों ने टॉप-3 स्थानों पर कब्जा जमाया। टॉप-10 में 6 और टॉप-25 में 14 लड़कियों ने जगह बनाई।
हिंदी माध्यम के 54 प्रतिभागी सफल हुए। दिल्ली, दिल्ली यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वालों का दबदबा रहा। टॉप-20 में डीयू के 6 ग्रेजुएट, एक दिल्ली का IIT ग्रेजुएट और दो दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं। मप्र में पहले नंबर पर 15वीं रैंकिंग लाने वाली स्वाति और 26वीं रैंकिंग लाने वाली भोपाल की गुंजिता रहीं। मप्र से 33 अभ्यर्थी सफल हुए।

टॉप 10 उम्मीदवारों की लिस्ट:
1. इशिता किशोर
2. गरिमा लोहिया
3. उमा हरति एन
4. स्मृति मिश्रा
5. मयूर हजारिका
6. गहना नव्या जेम्स
7. वसीम अहमद
8. अनिरुद्ध यादव
9. कनिका गोयल
10. राहुल श्रीवास्तव
13 साल में 8वीं बार बेटियां टॉप पर
13 साल में 8वीं बार बेटियां टॉप पर हैं। 913 सफल उम्मीदवारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 320 रही। यानी 34% भागीदारी के साथ यह महिलाओं के लिहाज से सबसे सफल साल है। दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट करने वालीं नोएडा की इशिता किशोर ने टॉप किया।
टॉप-20 में 16 उत्तर भारत के उम्मीदवार, 60% तीसरे या चौथे प्रयास में सफल हुए
टॉप-20 में 17 सिर्फ ग्रेजुएट: टॉप-20 में 17 सिर्फ ग्रेजुएट हैं। तीन के पास मास्टर डिग्री है। 9 ऐसे हैं जिनके पास B Tech या BE की डिग्री है। दो B Sc और एक MBBS है। आर्ट्स स्ट्रीम के सभी पांचों ग्रेजुएट DU के हैं। दो कॉमर्स और एक लॉ ग्रेजुएट है।
टॉप-20 में 5 के पास एंथ्रोपोलॉजी विषय: टॉप-20 में वैकल्पिक विषय के रूप में सबसे ज्यादा 5 उम्मीदवारों के पास एंथ्रोपोलॉजी है। रैंक-1 समेत 3 उम्मीदवारों का विषय पॉलिटिकल साइंस व अंतरराष्ट्रीय संबंध था। दो-दो उम्मीदवार (10-10%) जूलॉजी, सोशियोलॉजी, इकोनॉमिक्स, कॉमर्स, मैथ्स, हिस्ट्री, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, फिलॉसफी व लॉ विषय से हैं।
टॉप-20 में सबसे ज्यादा 5 UP व 3-3 बिहार व दिल्ली से: टॉप-20 सफल उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 5 UP से हैं। दिल्ली व बिहार के तीन-तीन, जम्मू-कश्मीर व हरियाणा के दो-दो, तेलंगाना, असम, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान से एक-एक हैं।
35% ने तीसरे और 25% ने चौथे प्रयास में पाई सफलता: टॉप-20 में चार उम्मीदवार अपने पहले प्रयास में सफल रहे। 35% ने तीसरे व 25% ने चौथे प्रयास में कामयाबी हासिल की। 20वें पायदान पर आईं इंदौर की अनुष्का शर्मा एक मात्र ऐसी उम्मीदवार हैं जिन्होंने विदेश (न्यूयॉर्क) से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है।

हिंदी माध्यम के 54 सफल, बीते साल 24 थे
भास्कर एक्सपर्ट विकास दिव्यकीर्ति (फाउंडर, दृष्टि IAS) ने कहा कि इस बार UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे काफी खास हैं। इसकी वजह यह है कि 2022 बैच में हिंदी माध्यम से 54 उम्मीदवार सफल हुए हैं। यह UPSC के इतिहास में हिंदी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पिछले साल आए 2021 बैच के रिजल्ट में ऐसे 24 उम्मीदवार सफल हुए थे। यानी हिंदी का ग्राफ लगातार सुधर रहा है। इस बार टॉप-100 में 66वीं, 85वीं व 89वीं रैंक पर तीन उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की है।
हिन्दी माध्यम की टॉपर 66वीं रैंक हासिल करने वाली कृतिका मिश्रा कानपुर की रहने वाली हैं। दिव्या तंवर ने इस बार 105वीं रैंक हासिल की है। 2021 बैच में भी दिव्या ने 438वीं रैंक हासिल की थी और सबसे कम उम्र (महज 22 साल) की IPS चुनी गई थीं। अब वह IAS हो गई हैं।
इन नतीजों में सबसे खास बात यह है कि 54 उम्मीदवारों में से 29 ने वैकल्पिक विषय के रूप में हिंदी साहित्य लेकर यह कामयाबी हासिल की है। पांच-पांच उम्मीदवार ऐसे भी सफल हुए जिन्होंने इतिहास, भूगोल व राजनीति विज्ञान विषय लिया था। दो छात्रों ने गणित विषय लेकर हिंदी माध्यम से सफलता हासिल की, जिनमें से एक ने 120वीं रैंक हासिल की है। इन बच्चों ने हमारे साथ दिनभर लाइब्रेरी में पढ़ाई की।
यूपीएससी में सेकंड रैंक लाने वाली गरिमा लोहिया की सफलता की कहानी
गरिमा लोहिया के पिता बिहार के बक्सर जिले में कपड़े के थोक व्यापारी थे। गरिमा ने मंगलवार को घोषित परिणामों के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षा, 2022 में दूसरी रैंक हासिल की है। वुडस्टॉक स्कूल बक्सर से पढ़ाई करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गईं, जहां उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज में कॉमर्स की पढ़ाई की। गरिमा ने बताया कि मैं दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई की और 2020 में बी-कॉम परीक्षा उत्तीर्ण की। सिविल सेवा परीक्षा पास करना मेरा लक्ष्य था। स्नातक के बाद मैंने दो बार प्रयास किए। दूसरे प्रयास में मैंने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता बक्सर जिले में कपड़ों के थोक व्यापारी थे। 2015 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई थी। हम बिहार के बक्सर शहर में रहते हैं और हमारे सामने वही चुनौतियां हैं, जो एक छोटे शहर के व्यक्तियों के सामने रहती हैं। मैं हमेशा छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले लोगों के लिए कुछ करने के बारे में सोचती हूं। इसी ने मुझे सिविल सेवा परीक्षा में जाने के लिए प्रेरित किया।
अपने शेड्यूल के बारे में उन्होंने कहा कि मैं हर रोज 8 घंटे, 10 घंटे और कभी-कभी सिर्फ 4 घंटे पढ़ाई करती थी। गरिमा 13 सदस्यों वाले संयुक्त परिवार में रहती हैं। गरिमा ने बताया कि जब कोरोना देश में शुरू हुआ तो वह दिल्ली से वापस बक्सर आ गई, लेकिन उनकी मंजिल यूपीएससी ही रही। उस दौर में सारे कोचिंग बंद हो गए। वे कहती हैं कि उन्होंने कभी प्रॉपर कोचिंग नहीं ली और यू ट्यूब तथा अन्य मेटेरियल से ही तैयारी करती रहीं, आखिर उसका परिणाम आज सबके सामने है।