भारत में विशेष रूप से कोरोना महामारी के बीच एवं इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा गरीब वर्ग के लाभार्थ चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। विशेष रूप से प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना के अंतर्गत देश के ८० करोड़ नागरिकों को मुफ्त अनाज की जो सुविधा प्रदान की गई है एवं इसे कोरोना महामारी के बाद भी जारी रखा गया है‚ इसके परिणामस्वरूप देश में गरीब वर्ग को बहुत लाभ हुआ है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में गरीबी के अनुमान पर एक वर्किंग पेपर जारी किया है। इस वर्किंग पेपर में अलग अलग मान्यताओं के आधार पर भारत में गरीबी को लेकर अनुमान व्यक्त किए गए हैं। इस वर्किंग पेपर के अनुसार‚ हाल ही के समय में भारत में १.२ करोड़ नागरिक अति गरीबी रेखा के ऊपर आ गए हैं।
वर्ष २०२२ में विश्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार‚ वर्ष २०११ में भारत में २२.५ प्रतिशत नागरिक गरीबी रेखा के नीचे जीवन–यापन करने को मजबूर थे‚ परंतु वर्ष २०१९ में यह प्रतिशत घटकर १०.२ रह गया है। वर्ष २०१६ में भारत में अतिगरीब वर्ग की आबादी १२.४ करोड़ थी जो वर्ष २०२२ में घटकर १.५ करोड़ रह गई है। पिछले दो दशकों के दौरान भारत में ४० करोड़ से अधिक नागरिक गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। दरअसल‚ पिछले लगभग ९ वर्षों के दौरान भारत के सामाजिक‚ आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं‚ जिसके चलते भारत में गरीबी तेजी से कम हुई है और भारत को गरीबी उन्मूलन के मामले में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। अतिगरीबी का आकलन १.९ अमेरिकी डॉलर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन आय के आधार पर किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार किए गए आकलन के अनुसार अब भारत में केवल ०.९ प्रतिशत नागरिक ही इस गरीबी रेखा के नीचे जीवन–यापन कर रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक भारत में करोड़ों नागरिक अति गरीबी में जीते थे। वैश्विक स्तर पर एक दूसरी परिभाषा के अनुसार भी गरीबी का आकलन किया जाता है। इसके अनुसार जिस नागरिक की प्रतिदिन आय ३.२ अमेरिकी डॉलर से कम है‚ वह व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन करने वाला नागरिक माना जाता है। इसी प्रकार‚ संयुक्त राष्ट्र (यूएनडीपी) द्वारा जारी एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार भी पिछले १५ वर्षोंके दौरान भारत में गरीबी आधे से ज्यादा घटी है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ा है। भारत सरकार ने गरीब वर्ग के नागरिकों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने में सफल नेतृत्व प्रदान किया है। स्वास्थ्य‚ शिक्षा एवं जीवन स्तर जैसे मानकों के आधार पर भारत ने अच्छा काम किया है एवं भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में लागू की गई विभिन्न योजनाओं का अच्छा असर हुआ है। भारत ने गरीबी के खिलाफ जंग में एक मिसाल पेश की है। भारत की इस सफलता पर यूएनडीपी ने भारत सरकार की काफी सराहना की है।
भारत में अति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले करोड़ों नागरिकों का इतने कम समय में गरीबी रेखा के ऊपर आना विश्व के अन्य देशों के लिए सबक है। इतने कम समय में किसी भी देश में इतनी तादाद में लोग अपनी आर्थिक स्थिति सुधार पाए हैं ऐसा कहीं नहीं हुआ है। भारत में गरीबी का जो बदलाव आया है वह धरातल पर दिखाई देता है। इससे पूरे विश्व में भारत की छवि बदल गई है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक २०२२ प्रतिवेदन के अनुसार ग्लोबल मल्टी डाईमेंशनल पावर्टी इंडेक्स को जारी करने के पूर्व‚ पूरे विश्व के १११ देशों के परिवारों में सर्वे किए गए। कुल मिलाकर पूरे विश्व के ६१० करोड़ नागरिकों का सर्वेक्षण किया गया एवं यह पाया गया कि पूरे विश्व में १२० करोड़ नागरिक अभी भी अतिगरीबी से जूझ रहे हैं। ॥ वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी प्रतिवेदन में बताया गया है कि विश्व के विभिन्न देशों में ५९ करोड़ गरीब नागरिकों को इंधन की सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। यह परिवार भोजन पकाने के लिए इंधन एवं घरों में रोशनी के लिए बिजली की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। जबकि भारत गरीबी के खिलाफ जंग को मजबूती के साथ लड़ रहा है। भारत में ४१.५ करोड़ नागरिक गरीबी रेखा के ऊपर लाए जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसे ऐतिहासिक बदलाव बताया है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएनडीपी) द्वारा जारी एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार भी पिछले १५ वर्षों के दौरान भारत में गरीबी आधे से ज्यादा घटी है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ा है। भारत सरकार ने गरीब वर्ग के नागरिकों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने में सफल नेतृत्व प्रदान किया है