का हाल बा… सब ठीक बा… मंच से जब पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) ने भक्तों से पूछा तो लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के जवाब से पूरा पंडाल गूंज उठा. शनिवार (13 मई) से नौबतपुर के तरेत पाली में शुरू हुए पांच दिवसीय हनुमंत कथा के पहले दिन काफी संख्या में लोग पहुंचे थे. चार बजे से सात बजे तक कार्यक्रम था, लेकिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री करीब एक घंटे की देरी से पहुंचे. मंच से बाबा बागेश्वर ने लेट होने का कारण खुद बताया. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि उन्हें यह कहा गया था कि कार्यक्रम स्थल तक जाने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे, लेकिन एक घंटे 20 मिनट लग गए.
कार्यक्रम शुरू होने से पहले बागेश्वर बाबा के साथ बीजेपी के कई मंत्री और सांसद भी पहुंचे थे. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, रामकृपाल यादव, बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू, बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत अन्य बीजेपी के नेताओं ने बाबा का स्वागत किया. मंच पर बाबा के सामने दाहिने साइड में ये सभी वीआईपी बैठे थे.
बिहार भक्ति का राज्य है: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा की शुरुआत में कहा कि अगले पांच दिनों तक वे बिहार के लोगों को सुंदरकांड सुनाएंगे. बागेश्वर बाबा ने कहा कि पूरे रास्ते में मुझे पागल ही पागल दिखे. उन्होंने कार्यक्रम में आए भक्तों से पूछा कि आप पांच दिन के लिए तैयार हैं न? आगे बाबा ने कहा कि बिहार भक्ति का राज्य है. भक्तों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हम आपका मुंह देखकर यह नहीं कह रहे हैं. बिहार जानकी जी की भूमि है. माता जानकी जी भक्ति की देवी हैं, इसलिए बिहार भक्ति का राज्य है.
लाइट कटी तो बाबा बोले- जल्दी ठीक करो भाई
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि बिहार वो भूमि है जिसने शून्य दिया. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक बिहार राममय नहीं हो जाता है वो बिहार आते रहेंगे. बागेश्वर सरकार ने कहा कि रामचरितमानस लोगों को जगाने का काम करती है. कथा के दौरान थोड़ी देर के लिए लाइट कट गई तो बाबा ने कहा कि जल्दी ठीक करो भाई.
बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हनुमंत कथा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमडा। जैसे ही बागेश्वर सरकार मंचासीन हुए जय श्री राम के जयकारों से कथा स्थल गूंज उठा। धीरेंद्र शास्त्री ने श्रद्धालुओं का हाथ जोडकर अभिनंदन किया। बाबा ने विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सभी की जय हो‚ साथ में हमारा विरोध करने वालों की भी जय हो। जो आज हमारा विरोध कर रहे हैं वह भी कल मेरे साथ आ जाएंगे। सुंदरकांड के एक प्रसंग के माध्यम से बाबा ने विरोधियों पर शब्दों का बान छेडा तो आयोजन स्थल तालियों से गूंज उठा। दरअसल बाबा ने कहा कि अच्छा कार्य करने पर व्यवधान होता ही है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आप राम के कार्य में लगे हैं तो आगे बढते रहिए। हाथी चलता है तो लोग भगवान गणेश का स्वरूप मानकर उसे पूजते हैं। वहीं कुत्ता पीछे पड जाता और भौंकने लगता है। हाथी कभी पीछे मुडकर कुत्ते को नहीं देखता‚ आगे बढता रहता है। अगर वह कुत्ते के पीछे पडे तो हाथी का महत्व भी कम हो जाता है। उन्होंने बिहार की भूमि को माता सीता की भूमि बताया और कहा कि जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं।
बाबा का सज गया दरबार‚ एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हनुमंत कथा में लिया भाग
शनिवार को नौबतपुर के तरेत स्थान में बाबा का दरबार सजा। मंच से जैसे ही बाबा ने संबोधन किया का हाल बा‚ ठीक बा हम भी ठीक बानी‚ पंडाल जय श्री राम‚ जय हनुमान के नारों से गूंज उठा। कहा कि बिहार ने शून्य दिया। बिहार आर्य भ^ की नगरी है। बिहार माता जानकी की नगरी है। ऐसे बिहार को मैं प्रणाम करता हूं। एक घंटा २५ मिनट विलंब से आने के लिये उन्होंने क्षमा भी मांगी। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं का उत्साह देख कर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि बिहार में भक्तों की बहार है।
पांच दिन कथा चलेगी‚ आप लोग सुनेंगे न। इसके पूर्व मंच पर आते ही दोनों हाथ हिलाकर और जोडकर श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। कार्यक्रम के आरंभ में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह‚ अश्विनी चौबे‚ सांसद राम कृपाल यादव‚ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी आदि ने संयुक्त रूप से आरती उतारी। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमंत कथा के पहले दिन यानी शनिवार को सुंदर कांड से कथा आरंभ की। कहा कि सुंदर कांड के पाठ से आत्मविश्वास बढता है और मन शांत होता है। श्री राम चरित मानस के पन्नों के भीतर‚ हनुमान जी हमें सिखाते हैं कि कैसे सीमित समय सीमा के भीतर महान चीजों को पूरा किया जाए। देवी सीता की खोज में हनुमान के लिए समुद्र पार करना और लंका पहुंचना आवश्यक था। समुद्र के पार उडते समय‚ उन्हें रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी का सामना करना पडा। सुरसा का इरादा हनुमान को भस्म करने का था। जब उसने अपना मुंह चौडा किया‚ तो भगवान हनुमान ने भी अपना रूप बडा कर लिया। जैसे ही सुरसा का मुंह बढता गया‚ हनुमान ने अपना रूप छोटा कर लिया और उसके मुंह में प्रवेश कर वापस लौट आए। नौबतपुर के तरेत में आयोजित हनुमंत कथा में दूर दूर से भक्त आये हैं।
तरेत स्थान में चल रहे हनुमंत कथा के पहले दिन कार्यक्रम स्थल पर काफी लचर व्यवस्था दिखी। इसके लिये वहां मौजूद लोग आयोजक मंडली को दोषी ठहरा रहे थे। पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर चुका था। दिल्ली‚ यूपी जैसे कई प्रदेशों से आये श्रद्धालुओं को सडक से कार्यक्रम देखना–सुनना पडा। ऐसे में वहां मौजूद हर कोई आयोजक एवं वोलेंटियर को दोषी ठहरा रहा था। स्थिति यह थी कि विशिष्ट व्यक्तियों के बैठने लिये बनाये गए स्थानों पर कल से ही दूसरे लोगों का कब्जा था। मीडिया एवं सुरक्षाकर्मियों के लिये भी कोई व्यवस्था नहीं दिखी। इसके चलते डी एरिया में ही मीडिया‚ सुरक्षाकर्मी एवं विशिष्ट व्यक्ति बैठे नजर आए। इससे कई बार सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी और मीडिया कर्मियों के बीच नोक झोंक की स्थिति उत्पन्न हो गई। धीरेंद्र शास्त्री के मंच पर आगमन के समय दो सौ से ज्यादा लोग डी एरिया में घुस आये। थानाध्यक्ष प्रशांत भारद्वाज ने बताया कि कई बार आयोजन समिति के सचिव से इस संबंध में पूछा गया था कि विशिष्ट व्यक्ति और मीडिया कर्मियों के लिये अलग बैठने की व्यवस्था की गई है या नहीं। इस पर आयोजन समिति के सचिव राजशेखर ने कहा था कि दोनों के लिये अलग–अलग दीर्घा हैं। विशिष्ट व्यक्तियों के लिये पास की कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन शनिवार को कार्यक्रम के दौरान कई लोग पास लेकर इधर–उधर भटकने लगे। उस परिस्थिति में प्रशासन के पास उन्हें बैठाने के लिये कोई विकल्प नहीं था। आयोजक मंडली को सुनिश्चित करना था कि कौन कहां बैठेगा। पुलिस की जिम्म्मेवारी सिर्फ सुरक्षा को लेकर है।
कई जगह आयोजक की ओर से दिखी कमी
इस कार्यक्रम को लेकर कई दिनों से तैयारी चल रही थी लेकिन पहले दिन भक्तों से लेकर मीडियाकर्मियों तक को परेशानी झेलनी पड़ी. कार्यक्रम शुरू होने से एक दिन पहले तक आयोजक की ओर से कहा गया था कि स्टेज के सामने डी एरिया का निर्माण किया गया है जहां मीडिया या वीवीआईपी के लिए बैठने की व्यवस्था होगी. कुर्सियां रहेंगी, लेकिन यहां कुछ नहीं दिखा. डी एरिया तो था लेकिन वहां भक्त ही बैठे थे. इस दौरान मीडियाकर्मियों को एक घंटे तक परेशानी झेलनी पड़ी. एंट्री नहीं दी जा रही थी. अंत में बैक साइड से एंट्री दी गई जिसके बाद मंच के सामने सभी जमीन पर बैठे. वहीं कुछ लोग तो वीआईपी पास लेकर भी भटकते रहे.
कुछ भक्तों ने शिकायत की और कहा कि भीड़ इतनी ज्यादा है लेकिन एलईडी स्क्रीन को नहीं चलाया गया है. ऐसे में पीछे बैठने वाले लोगों के पास आवाज तो पहुंच रही है लेकिन वे मंच पर बैठे बाबा को ठीक से देख नहीं पा रहे हैं. कार्यक्रम के बीच लाइट भी चली गई थी.