बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर पॉलिटिकल पार्टियों में हलचल तेज हो गई है। कई पार्टियां हैं जो अभी से चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कड़ी में सबसे आगे हैं। वे लगातार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत करने में लगे हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के उदेश्य से नीतीश और तेजस्वी देश के कई भाजपा विरोधी नेताओं से मिल रहे हैं। हालांकि, बिहार में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसपर नीतीश सरकार चौतरफा घिरती जा रही है।
दूसरी तरफ, लालू प्रसाद यादव भी सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद राजनीति में एक्टिव हो गए हैं। लालू पटना में कैंप कर रहे हैं। इन सब के बावजूद बिहार में 4 ऐसे मुद्दे हैं, जिसपर नीतीश सरकार चौतरफा घिरती जा रही है।
चार पॉइंट में जाने कि वो कौन से ऐसे मुद्दे जिन पर नीतीश सरकार चौतरफा घिरी हुई है…।
1. जाति आधारित गणनाः कोर्ट में फजीहत के साथ सवर्णों की नाराजगी
जाति आधारित गणना पर मामला जब हाईकोर्ट में गया तो सरकार की फजीहत हो गई। कोर्ट ने माना कि सरकार जिस तरह से जाति आधारित गणना करा रही है वह जाति जनगणना ही है। इसे कराने का अधिकार केंद्र को ही है। कोर्ट ने सवाल उठाए कि बिहार सरकार अगर गणना करा ही रही है तो इसके लिए कानून क्यों नहीं बनाया। ऐसे ही अलग-अलग कई सवाल जब कोर्ट में सामने आए तो इसपर तत्काल रोक लगा दी गई। बिहार सरकार हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई में जल्दबाजी जरूरी नहीं समझा। अब मामले की अगली सुनवाई पहले से तय की गई तारीख यानी 3 जुलाई को ही होगी। सरकार 500 करोड़ खर्च करके इसे करवा रही है। जाति आधारित गणना से कोर्ट में तो सरकार घिरी ही सरकार का अगड़ा वोट बैंक भी नाराज हो गया। अगड़ी जातियों में ये मैसेज ताकतवर तरीके से गया है कि सरकार जाति गणना के बाद पिछड़ों- अतिपिछड़ों की संख्या बढ़ने पर आरक्षण का दायरा बढ़ा सकती है। सवर्णों की पुख्ता समझ बनी है कि जाति गणना से उनको बड़ा नुकसान होगा…।
2. आनंद मोहन की रिहाईः नाराज हुआ दलित वोट बैंक
बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश-तेजस्वी सरकार ने जेल मैनुअल के नियम में बदलाव किया। इसके बाद भीड़ में मारे गए तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की गई है। उमा कृष्णैया के कोर्ट जाने के बाद जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई करते हुए काउंटर एफिडेविट देने को कहा है। साथ ही आनंद मोहन को भी नोटिस सर्व करने का आदेश दिया है। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।
23 अप्रैल को आनंद मोहन को रिहा किया गया और 27 अप्रैल को दलित डीएम कृष्णैया की पत्नी सुप्रीम कोर्ट चली गई। आनंद मोहन की रिहाई को राजपूत-भूमिहार वोट बैंक से जोड़ कर देखा जा रहा है। इससे बिहार के दलितों के बीच नीतीश-तेजस्वी सरकार के बारे में गलत मैसेज गया। उमा कृष्णैया ने भी कहा कि राजपूतों के वोट के लिए सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया। दलितों के बीच नीतीश-तेजस्वी की छवि को सरकार के कदम से धक्का लगा है।
3. नई शिक्षक नियमावली से 50 लाख लोगों में रोष
शिक्षक बहाली के लिए नीतीश- तेजस्वी सरकार ने नई शिक्षक नियमावली 2023 को बिहार कैबिनेट से स्वीकृत किया है। अब बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए शिक्षक बहाली की वेकेंसी आने वाली है। सरकार नियोजित शिक्षकों को वर्षों से प्रमोशन, ट्रांसफर और राज्यकर्मी का दर्जा दिए बिना यह वेकेंसी निकालने वाली है। इसको लेकर साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों और सातवें चरण के नियोजन का इंतजार कर रहे तीन लाख अभ्यर्थियों में काफी गुस्सा है। यानी करीब सात लाख लोग सरकार की नई शिक्षा नियमावली से गुस्से में हैं। इससे करीब 50 लाख वोट बैंक पर असर पड़ने की संभावना है।
बड़ी बात यह है कि महागठबंधन के अंदर की तीनों लेफ्ट पार्टियों, बिहार कांग्रेस की मांग है कि नई शिक्षक नियमावली में संशोधन किया जाए। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाने के लिए बनाया है। कुछ दिन पहले पटना के आईएमए हॉल में शिक्षक संघों का संयुक्त सम्मेलन हुआ और आगे के आंदोलन के लिए रणनीति बनीं। साफ है सरकार ने नियमावली में संशोधन नहीं किया तो मामला कोर्ट में तो जाएगा। साथ ही इसका असर लोकसभा चुनाव में जेडीयू-आरेजडी के वोट बैंक पर भी पड़ेगा। शिक्षक संघ का आरोप है कि महागठबंधन ने चुनाव से पहले जो वादा किया था, उसे नहीं निभा रही। जेडीयू के वोट बैंक से ज्यादा खराब असर आरजेडी के वोट बैंक पर पड़ने की आशंका है।
4. धीरेंद्र शास्त्री के विरोध से बहुसंख्यक हिन्दुओं में गुस्सा
बाबा बागेश्वरधाम धीरेंद्र शास्त्री पटना आने वाले हैं। उनके आने से पहले महागठबंधन की बड़ी पार्टी आरजेडी ने उनका तीखा विरोध किया है। धीरेंद्र शास्त्री सनातनी हिंदुओं को एकजुट करने की बात करते हैं। उनके आने से पहले आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता जगदानंद सिंह ने कहा, ‘धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसे लोगों को सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह (शास्त्री) जेल में नहीं। भाजपा बिहार में सांप्रदायिक गुंडों को खड़ा कर रही है। इस देश के लोगों की संतों पर बहुत आस्था है, लेकिन भाजपा उसे नष्ट कर रही है।’ रामचरित मानस पर विवादित बयान देने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है, लालकृष्ण आडवाणी को लालू यादव ने जेल भेजा था। तेजस्वी यादव बाबा बागेश्वर को जेल भिजवाएंगे।’ लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने कहा, ‘ बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री डरपोक हैं और देशद्रोही हैं। उनके लोग रोज हमारे गेट पर आ रहे हैं और हमसे आकर मांफी मांग रहे हैं। जल्द ही मैं माफी मांगने वालों का वीडियो जारी करूंगा।’ धीरेंद्र शास्त्री का विरोध जब आरजेडी कर रही है तो इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि आरजेडी मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है…। धीरेंद्र शास्त्री के विरोध से हिन्दुओं के बड़े वोट बैंक में सरकार के प्रति नाराजगी है ! आरेजेडी जितना विरोध कर रही है भाजपा को उतना ज्यादा फायदा होता दिख रहा है।
नीतीश और तेजस्वी सरकार 2024 के चुनाव के पहले अपने ही जाल में उलझ कर रह गई है। सरकार जो भी निर्णय सरकार ले रही है उल्टा पड़ रहा है। जाति गणना शुरू हो गया, लेकिन न्यायालय ने रोक लगा दी। पहले ही नीतीश कुमार के लालू प्रसाद के साथ जाने से सवर्ण नाराज हो गए थे। बची खुची कमी जाति गणना पूरी कर देगी। आनंद मोहन का जलवा आज से 25-30 साल हुआ करता था, पहले वाली बात नहीं रही। राजपूत वोट बैंक योगी आदित्यनाथ की वजह से भाजपा की तरफ है, लेकिन नीतीश-तेजस्वी सरकार ने आनंद मोहन को बरी करवाने के लिए जो कुछ किया उससे नीतीश-तेजस्वी के साथ वाला दलित वोट बैंक नाराज हो गया है।
बात शिक्षकों की करें तो शिक्षक चुनाव में बूथ पर तैनाती से लेकर वोटर रूप में बड़ी भूमिका निभाते हैं। नई नियमावली से प्रभावित शिक्षक महज चार-पांच लाख शिक्षक नहीं है। बल्कि 40-50 लाख वोट बैंक के बिगड़ने की आशंका है। शिक्षक और कर्मचारी किसी सरकार से नाराज हो जाएं तो हर बूथ पर 50 से 100 वोट प्रभावित कर सकते हैं। अभी जो भारत का माहौल है उसमें धीरेंद्र शास्त्री को लेकर आरजेडी का खुला विरोध है। यही स्थिति रही तो हिन्दू वोट बैंक भाजपा की तरफ पूरी तरह से चला जाएगा। इसलिए नीतीश कुमार को ठीक से फैसला लेने की जरूरत है। शिक्षकों के लिए डिपाटमेंटल एग्जाम सरकार ले सकते हैं।