सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि कल यानी 11 मई को कोर्ट शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले पर अपना फैसला सुना सकता है. सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं. महाराष्ट्र में पिछले कई महीनों से चल रहे राजनीतिक घमासान का अंत जल्द हो सकता है. शिवसेना के 16 बागी विधायकों के निलंबन पर फैसला सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (11 मई) को सुनाएगा. पिछले साल जून 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर ली थी. जिसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी.
इस मामले में पीठ ने विभिन्न याचिकायों पर 17 फरवरी से सुनवाई शुरू कि थी। जिसके बाद 16 मार्च को सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह की दलीलें भी सुनीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में राज्यपाल कार्यालय की पैरवी की। वहीं MVA गुट कि तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने दलीलें पेश कीं।
बता दें की उद्धव गुट कि तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा गया था कि राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट करने के आदेश को रद्द किया जाए। उद्धव गुट ने कहा था कि राज्यपाल का जून 2022 का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और यह देश कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि गवर्नर अपने ऑफिस का इस्तेमाल किसी खास नतीजे के लिए नहीं होने दे सकता है।
क्या है ठाकरे गुट का दावा?
ठाकरे गुट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 10 का हवाला देते हुए दलील रखी, अगर कोई विधायकों का समूह दो तिहाई से ज्यादा लोग बगावत करते हैं तो उन्हें किसी ना किसी दल में विलीन होना होगा. लेकिन शिंदे और उनके गुट ने ऐसा नहीं किया. इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाये. वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष पर आए अविश्वास पर भी उठे सवाल को ठाकरे गुट ने गलत बताया.
शिंदे गुट का दावा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकीलों ने कहा कि उनके विधायकों ने पार्टी में कोई बगावत नहीं की वे आज भी शिवसेना में हैं और पहले भी शिवसेना में ही थे. लिहाजा जिस संविधान के दसवें शेड्यूल का हवाला देखकर निष्कासित करने की मांग की जा रही है वो तथ्यहीन है. एकनाथ शिंदे शिवसेना पार्टी के विधानसभा में ग्रुप लीडर है. बहुमत उनके पास है ऐसे में विधायकों का कोरम पूरा किए बगैर ही उन्हें गैरकानूनी तरीके से हटाने की कोशिश उद्धव ठाकरे ने की.
इन 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग
याचिका में एकनाथ शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर, को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है.
कानूनी जानकारों की राय
सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर विधायकों के निलंबन पर कोई फैसला नहीं ले सकता. कार्यपालिका यानी विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप माना जा सकता है. कानूनी जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट विधायकों को योग्य की अयोग्य करार देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के पास मामला भेज सकता है.