पाकिस्तानियों को जिस बात का डर था, वही हुआ। गोवा में SCO समिट के लिए आए बिलावल भुट्टो जरदारी को विदेश मंत्री जयशंकर ने खूब सुनाया। बैठक में खुलकर सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठा और बाद में एस. जयशंकर ने पाक विदेश मंत्री को आतंकी इंडस्ट्री का प्रवक्ता तक कह डाला। भारत से जाते-जाते बिलावल कश्मीर का मुद्दा उछालने से नहीं चूके। जयशंकर ने भुट्टो के लिए कॉफी वाला मुहावरा बोलते कहा, ‘…370 अब हिस्ट्री बन चुका है। जितनी जल्दी लोगों को यह एहसास हो जाएगा, उनके लिए उतना अच्छा होगा… बात तो अब पीओके पर पाकिस्तान के जबरन कब्जे की होगी।’ जयशंकर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इससे पहले एससीओ समिट में द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने की पाबंदियों के चलते भारत और पाकिस्तान के मंत्रियों ने इशारों में अपनी बात कही। हालांकि जयशंकर आतंकवाद पर चीन के सामने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को सुनाते रहे।
दो हफ्ते में कश्मीर में दूसरा आतंकी हमला हुआ है। इस महीने के आखिर में श्रीनगर में जी20 की बैठक भी होनी है। विदेश मंत्री ने हिंदी में कहा कि पाकिस्तान का न तो जी20 से कोई लेना देना है और न श्रीनगर से। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में जी20 मीटिंग की मेजबानी करना स्वाभाविक है। मोदी के ‘मिसाइल मिनिस्टर’ कहे जाने वाले जयशंकर ने आगे कहा, ‘जम्मू-कश्मीर को लेकर केवल एक मुद्दे पर बात होगी और वह है पीओके पर पाकिस्तान के जबरन कब्जे का मुद्दा। वे कब इसे खाली करेंगे?’
एस जयशंकर ने कहा, “भुट्टो जरदारी एससीओ सदस्य देश के विदेश मंत्री के रूप में आए थे, यह बहुपक्षीय कूटनीति का हिस्सा है और हम इससे ज्यादा कुछ नहीं देखते हैं.” पाकिस्तान के आतंकवाद से सामूहिक रूप से निपटने के आह्वान पर विदेश मंत्री ने कहा, आतंकवाद के पीड़ित आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए इसके अपराधियों के साथ नहीं बैठते हैं. उन्होंने कहा कि, जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन-पाक आर्थिक गलियारे को लेकर कहा कि, प्रगति के लिए संपर्कता (कनेक्टिविटी) अच्छी है, लेकिन यह क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रों की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं कर सकती है.
एससीओ की बैठक में दोनों विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई.
जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता, उसके विदेशी मुद्रा भंडार से भी तेजी से घट रही है.” एस जयशंकर ने विकराल वित्तीय संकट से घिरे पाकिस्तान पर स्पष्ट रूप से प्रहार करते हुए कहा, कि उसको लोन लेने के लिए घर-घर दस्तक देने पर मजबूर होना पड़ा है.
एस जयशंकर ने कहा कि, “मैं कहता हूं कि उनका (पाकिस्तान का) जी20 से कोई लेना-देना नहीं है. मैं यह भी कहूंगा कि उनका श्रीनगर से कोई लेना-देना नहीं है. कश्मीर पर चर्चा करने के लिए केवल एक ही मुद्दा है, कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर वह अपना अवैध कब्जे कब हटाएगा.”
एस जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब जम्मू-कश्मीर के पुंछ के पास एक जंगल में छिपे आतंकवादियों की खोज के लिए जारी अभियान के दौरान कार्रवाई में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए. संदिग्ध रूप से पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पिछले सप्ताह सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें पांच अन्य सैनिक शहीद हो गए.
भारत ने कई बार अपनी धरती पर आतंकवाद का समर्थन करने और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को भेजने में पाकिस्तान की सक्रिय भागीदारी के सबूत दिए हैं. संयुक्त राष्ट्र द्वारा ग्लोबल टेररिस्ट घोषित मसूद अजहर, 26/11 का मास्टरमाइंड हाफिज सईद और कई अन्य आतंकी पाकिस्तान में हैं.
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी लगभग 12 वर्षों में भारत का दौरा करने वाले पाकिस्तानी के पहले विदेश मंत्री हैं. साल 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया था.
एससीओ की बैठक में जयशंकर ने आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट प्रयासों का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से आंखें मूंदना एससीओ के लिए खराब होगा.
जयशंकर ने कहा, “हमें किसी को, व्यक्ति या राज्य को नॉन-स्टेट एक्टर के पीछे छिपने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. जब दुनिया कोविड और इसके नतीजों का सामना करने में लगी हुई थी, आतंकवाद का खतरा बेरोकटोक जारी रहा. हमारे सुरक्षा हित में इस खतरे से अपनी आंखें हटाना नुकसानदेह होगा.”
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 15 अहम समझौतों पर सहमति बनी
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक शुक्रवार को संपन्न हो गई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 15 अहम समझौतों पर सहमति बनी है। इन समझौतों को अब जुलाई, 2023 की राष्ट्र प्रमुखों की बैठक में अंतिम रूप दिया जाएगा और सार्वजनिक किया जाएगा। बैठक में एससीओ के दायरे में पांच और देशों को वार्ता साझीदार के तौर पर शामिल करने का फैसला भी शामिल है। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), म्यांमार, मालदीव, कुवैत और बहरीन शामिल हैं। जबकि ईरान और बेलारूस को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया है।
अंग्रेजी को भी शामिल करने पर बनी सहमति
बैठक में एससीओ की आधिकारिक भाषा में अंग्रेजी को शामिल करने के प्रस्ताव पर भी सहमति बन गई है। अभी तक रूस और चीन की भाषा मैंड्रियन को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा था। शुक्रवार को हुई बैठक में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के अलावा उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिजस्तान और ताजिकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। हर देश ने एससीओ को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है, लेकिन साथ ही अपने अपने हितों के मुद्दों को भी परोक्ष तौर पर सामने रखा। बताया जा रहा है कि जुलाई, 2023 में नई दिल्ली में होने वाली शिखर बैठक में कितने देशों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं और उसमें आगे का क्या एजेंडा तय होता है, उस पर एससीओ का भविष्य बहुत हद तक निर्भर करेगा। अभी भी इस संगठन से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर फैसला होना हैं। जैसे इसकी वित्त व्यवस्था या मुख्यालय आदि के विस्तारीकरण संबंधी मुद्दे लंबित है।