बिहार में जाति आधारित गणना पर हाईकोर्ट में सुनवाई के मामले पर सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा बयान दिया है. सीएम ने कहा कि सबकी सहमति पर जातीय गणना हो रही है. जातीय गणना की पहले से मांग हो रही थी. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से इसको पारित करके गणना करवाने का फैसला किया था. 10 वर्षों पर जनगणना होती थी, लेकिन अब तो वह केंद्र सरकार नहीं करवा रही है. पूरे देश में जाति आधारित जनगणना की मांग की गई थी. सभी दोनों के साथ प्रधानमंत्री के साथ ही मिले थे, लेकिन देश में यह नहीं की गई. बिहार में सभी दलों की सहमति के बाद इसे करने का फैसला किया. अब इसका विरोध क्यों हो रहा है यह समझ में नहीं आ रहा है. नीतीश कुमार ने कहा कि यदि यह गिनती हो जाती है तो इससे नुकसान किसको है. सभी जाति एवं धर्मों के लोगों की आर्थिक स्थिति कैसी है इसका पता चल जाएगा. पूरे बिहार के लोगों में इस बात को लेकर के खुशी है.
तीय गणना पर हाईकोर्ट के सवाल
- जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है?
- जातीय गणना कराने का अधिकार राज्य सरकार के पास है या नहीं?
- जातीय गणना से निजता का उल्लंघन होगा क्या?
याचिका में क्या कहा गया?
- बिहार सरकार के पास नहीं है जातियों को गिनने का अधिकार
- ऐसा करके संविधान का उल्लंघन कर रही है सरकार
- लोगों के गोपनीयता के अधिकार का हनन कर रही सरकार
- जाति, कामकाज और योग्यता का ब्यौरा लेना लोगों के अधिकार का हनन
- प्रदेश सरकार को जातीय गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं
- जातीय गणना के लिए 500 करोड़ की खर्च टैक्स के पैसों की बर्बादी