राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि रोजगार का मतलब केवल नौकरी नहीं है। श्री अर्लेकर ने बुधवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के ४७वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों को नई ऊर्जा वाले एवं समाज को नई दिशा दिखाने वाले लोग ऐसे कार्यक्रमों में ही मिलते हैं। छात्र–छात्राएं युवा मित्र की तरह हैं और वे उनसे कुछ सीखने आए हैं। उनकी मेहनत का फल आज उनके हाथ में डिग्री के रूप में है। छात्र जब विश्वविद्यालय से बाहर कदम रखें तो वे सफल हों। कुछ छात्र ऐसे भी होंगे जिन्होंने पढाई के साथ रोजगार भी किया होगा और उन्होंने डिग्री प्राप्त की। ॥ कुलाधिपति ने कहा कि दीक्षा समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से काम करने का नाम है। उन छात्रों को अपने मेडल और डिग्री पर गर्व है और होना भी चाहिए। यह दीक्षांत है शिक्षांत नहीं। शिक्षा की कोई आयु नहीं होती। जो ज्ञान छात्रों ने महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की चाहरदीवारी में प्राप्त किया वह पर्याप्त नहीं है। जब छात्र बाहर जाएंगे तब उन्हें यह एहसास होगा। ॥ श्री अर्लेकर ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम जिनके नाम पर है अर्थात तिलकामांझी‚ उनके जीवन के आदर्श को अपने सामने रखेंगे तो यह भी काफी होगा। तिलकामांझी ने अपने समाज के समर्पित लोगों‚ देश और जनता के लिए त्याग किया है। वे केवल वनवासियों के लिए नहीं बल्कि हम सभी के आदर्श हैं। हम उनके आदर्शों पर चलें। उनका आदर्श है देश और समाज के लिए समर्पित होकर कार्य करना।
राज्यपाल ने कहा‚ ‘ जब मैं दीक्षांत समारोह में जाता हूं तो युवाओं के सामने एक विषय रखता हूं। मैं युवाओं से पूछता हूं कि आगे क्या करने वाले हैं। कई छात्र ऐसे भी होंगे जिन्होंने अभी सोचा भी नहीं होगा लेकिन उनके अभिभावक इसे लेकर चिंतित रहते हैं। यह चिंता छात्रों की होनी चाहिए। विश्वविद्यालय से बाहर निकलें तो उनका ख्याल रखें जिन्होंने आप को इस मुकाम तक पहुंचाया है। उन लोगों के लिए हमारा कर्तव्य बनता है। इसी का नाम दीक्षांत है।’॥ श्री अर्लेकर ने कहा कि डिग्री लेकर नौकरी ढूंढने के लिए जाएंगे। ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि स्वयं अपने पैर पर खड़े हों डिग्री के आधार पर खुद का कुछ निर्माण करें। यह छात्रों को तय करना है कि वे नौकरी करने वाले बनना चाहेंगे या नौकरी देने वाले। आज प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर सभी योजनाओं का जिक्र है। रोजगार का मतलब केवल नौकरी नहीं है। युवाओं में इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि वे खुद के पैरों पर खड़े होकर कुछ नया स्टार्टअप करें। सरकारी नौकरी मतलब गारंटीड पोवर्टी है। वेतन निश्चित है जबकि खुद के व्यवसाय में नौकरी की तुलना में कई गुना अधिक कमा सकते हैं। युवाओं को तय करना है कि गारंटीड पॉवर्टी चाहिए या रिस्की पॉसिबिलिटी। युवाओं में हिम्मत होनी चाहिए वह अपने पैरों पर खड़े होकर देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें।
श्री अर्लेकर ने कहा कि युवाओं को स्वयं अपना रास्ता तय करना होगा। वे समाज और राष्ट्र के हित को प्राथमिकता में रखें। उन्होंने बोध कथा के तौर पर मशहूर तबला वादक अल्लाह रखा खान के जीवन से जुड़े प्रसंग को सुनाया।