राज्य में शनिवार से जाति आधारित गणना के दूसरे चरण की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पैतृक आवास बख्तियारपुर से इसकी शुरुआत की। उन्होंने सामान्य नागरिक की तरह गणना कार्य से संबंधित आंकड़़े दर्ज करवाये। इस दौरान गणना कर्मी ने मुख्यमंत्री नीतीशकुमार और उनके पुत्र निशांत कुमार से गणना से संबंधित सवाल पूछे और उनसे जानकारी लेकर कॉलम को भरा।
मुख्यमंत्री ने जातीय गणना शुरू होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि जाति आधारित गणना से लोगों की जाति के साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलेगी। चाहे वो किसी भी जाति का हो‚ सभी लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। अपने पैतृक आवास बख्तियारपुर से जाति आधारित गणना–२०२३ के दूसरे चरण की शुरुआत करने के बाद संवाददताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि सभी चीजों की जानकारी मिलने से राज्य के विकास के लिए आगे और काम करेंगे। लोगों को उपजाति नहीं‚ बल्कि अपनी जाति बतानी है। कोई भ्रम होने पर पड़ोस में रहने वाले लोगों से इस संबंध में जानकारी लेनी है‚ ताकि जाति आधारित गणना के काम में कोई दिक्कत नहीं हो। मुख्यमंत्री ने जाति आधारित गणना की रिपोर्ट प्रकाशित किये जाने के सवाल पर कहा जाति आधारित गणना पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की जायेगी। एक–एक चीज की जानकारी मिलने से लोगों की क्या स्थिति है‚ उन सब चीजों की जानकारी लेकर इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जायेगी। किस जाति की कितनी आबादी है और उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है‚ इसकी जानकारी मिल सकेगी। किसी जाति की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है‚ तो इसे बेहतर करने का प्रयास किया जायेगा। इन सब चीजों को ध्यान में रखकर जाति आधारित गणना करवाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराये जाने को लेकर बिहार विधानसभा और विधान परिषद से दो बार प्रस्ताव पारित कर दिल्ली भेजा गया था। इसके बाद सभी पार्टियों के नेताओं के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी और उनसे हमलोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की थी। इसके बाद उनके पास खबर आयी कि हमलोग जातीय जनगणना नहीं करायेंगे‚ आप लोग अपने–अपने राज्यों में जाति आधारित गणना करवा लीजिये।
हमलोगों ने सभी पार्टियों की एक बार फिर से बैठक करके तय किया कि बिहार में जाति आधारित गणना करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनगणना कराना केंद्र सरकार का अधिकार है‚ हमलोग जाति आधारित गणना करवा रहे हैं। लोगों की गिनती कर उनके संबंध में जानकारी लेकर राज्य के विकास और लोगों की सुविधा के लिए काम होगा। विभिन्न राज्यों से लोग यहां आकर बिहार में कैसी जाति आधारित गणना हो रही है‚ उसे देखना चाहते हैं। जाति आधारित गणना अच्छे ढंग से हो‚ इसको लेकर बार–बार बैठक कर सभी गणना कर्मियों का प्रशिक्षण कराया गया है। सभी लोगों की ठीक ढंग से जानकारी लेनी है। बिहार में जाति आधारित गणना अच्छे ढंग से होगी‚ तो दूसरे राज्य भी इसे देखकर प्रभावित होंगे। देश के ज्यादातर राज्य कह रहे हैं कि जाति आधारित गणना होनी चाहिए। सीएम ने कहा कि मैं जाति आधारित जनगणना कराने की पहले से मांग कर रहा था। संसद में भी इसको लेकर हमलोग बात कहते रहते थे। वर्ष २०११ में एक बार केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने की कोशिश की थी‚ लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी प्रकाशित नहीं हुई। वर्ष २०१४ के बाद जो सरकार केंद्र में आयी‚ उन लोगों ने कहा कि उसकी रिपोर्ट ठीक नहीं है। इसका मतलब है कि उस समय जो जनगणना हुई‚ वो ठीक ढंग से नहीं हुई।
पहले हर १० वर्षों पर जनगणना का काम होता था‚ लेकिन इतना साल बीत जाने के बाद भी अभी जनगणना नहीं शुरू हुई है। यह आश्चर्य की बात है‚ कभी भी इतना विलंब नहीं हुआ था। जब बिहार में अच्छे ढंग से जाति आधारित गणना होगी‚ तो इसे देखकर दूसरे राज्य भी ऐसा करने की कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री ने जाति आधारित गणना का असर आरक्षण के दायरे पर पड़ने को लेकर पत्रकारों के सवाल पर कहा कि वह सब बाद की चीज है। एक बार जब जाति आधारित गणना का काम पूरा हो जायेगा‚ तो इस सब चीजों के बार में जो कुछ भी करना होगा वो किया जायेगा। लोगों की आर्थिक स्थिति भी देखी जायेगी और उनकी मदद की जायेगी। अपर कास्ट को भी १० प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया है। अनुसूचित जाति और जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए करीब ५० प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान पहले से ही है।
मुख्यमंत्री ने कहा‚‘हमलोग जाति आधारित गणना करके केंद्र सरकार को भी बता देंगे कि लोगों की ऐसी स्थिति है। केंद्र को मदद करनी है या नहीं करनी है‚ वे लोग जानें‚ लेकिन राज्य को अपने हिसाब से लोगों की जो भी मदद करनी है‚ वो की जायेगी। सभी राज्यों में एक बार जाति आधारित गणना हो जाने से यह बहुत ही उपयुक्त चीज होगी। पूरे देश में एक साथ जाति आधारित जनगणना कराने से बहुत अच्छा होगा। बहुत लोगों को इसको लेकर बेकार का भ्रम है। जाति आधारित गणना होनी चाहिए।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित गणना का काम पूरा होने के बाद इसके आंकड़ा के मुख्य चीजों पर काम शुरू होगा। इसकी रिपोर्ट को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पेश किया जायेगा। इसके बाद इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जायेगी। उन्होंने जाति आधारित गणना को लेकर लोगों में जागरूकता के सवाल पर कहा कि धीरे–धीरे लोगों को यह पता चलेगा कि इससे कितना फायदा होगा। उनका मकसद सभी लोगों को आगे बढाना है। कोई पीछे नहीं छूट जाये‚ इसलिए हम यह सब करवा रहे हैं। इसको लेकर अब सभी राज्यों में बात होने लगी है।