नई शिक्षक नियमावली को कैबिनेट से पास हुए २ दिन नही हुए लेकिन राजनीती अपने चरम पर पहुँच चुकी है . विरोश करने में अकेली बीजेपी ही नही है भाकपा–माले भी है । राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस नियमावली को शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ छलावा बता रही है वहीं सत्ता पक्ष इस नियमावली को शिक्षा में सुधार के लिए ऐतिहासिक कदम बता रहा है। इधर, शिक्षक संघ और शिक्षक अभ्यर्थी इस नई नियमावली को लेकर आंदोलन करने का मन बना रहे हैं। सरकार के इस नियमावली के विरोध में बुधवार को लाखों शिक्षक काला दिवस मना रहे हैं। शिक्षक सभी जिला मुख्यालयों में नियमावली की प्रति जलाकर विरोध करेंगे।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि विहार राज्य अध्यापक नियमावली २०२३ पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थियों और नियोजित शिक्षकों के साथ छलावा है। श्री सिन्हा ने कहा कि नियमावली अधिसूचित करने से पूर्व इसे राज्य में लोकमत जानने हेतु परिचारित कराया जाना चाहिए था। लेकिन सरकार ने विधानसभा सत्र समाप्त होने के ५ दिन वाद इसे आनन–फानन में लागू कर दर्शा दिया है कि सरकार को किसी की चिंता नहीं है। मामले को लटकाने के लिये नियमावली में ऐसे प्रावधान किए हैं जिसमें न तो बहाली हेतु आयोग तय किया गया है न ही अभ्यर्थियों की उच्चतम आयु सीमा तय की गई है। ये सभी कार्य भविष्य के लिए छोडे गये हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में नियुक्त किए जाने वाले शिक्षकों के वेतन का प्रावधान नहीं किया है। सम्पूर्ण वेतन मद में इस वर्ष 30000 करोड रुपये का प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष से मात्र ४००० करोड रुपये अधिक है। यह राशि कर्मियों के बढे हुए मंहगाई भत्ता और बकाया वेतन मद में भुगतान की व्यवस्था है। श्री सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि नियमावली को वापस लेते हुए इसपर विस्तृत विचार –विमर्श किया जाय। इसमें पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थियों और नियोजित शिक्षकों की सीधी भर्ती की व्यवस्था की जाये और भविष्य में होने वाली शिक्षक नियुक्ति के लिये नयी व्यवस्था लागू हो।
भाकपा–माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि नई शिक्षक नियमावली २०२३ सातवें चरण की शिक्षक बहाली के अभ्यर्थियों और वर्षों से बिहार सरकार में अपनी सेवा दे रहे नियोजित शिक्षकों के लिए निराशाजनक है। सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों को इस प्रक्रिया से मुक्त रखा जाना चाहिए और उन्हें पुराने तरीके से नियोजित किया जाना चाहिए। सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थी तो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार उनके लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी‚ लेकिन अब वह एक और परीक्षा की बात कर रही है। यह उन अभ्यर्थियों से विश्वासघात है। विदित हो कि सरकार ने २०१९ में एसटीईटी परीक्षा को एक प्रतियोगी परीक्षा के बतौर आयोजित किया था‚ लेकिन बाद में वह उसे महज पात्रता परीक्षा कहने लगी। इसके कारण सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों में पहले से ही काफी आक्रोश है। नियमावली में यह प्रावधान है कि सरकारी कर्मी का दर्जा हासिल करने के लिए नियोजित शिक्षकों को भी यह परीक्षा पास करनी होगी। बीपीएससी से परीक्षा लेने के बाद भी शिक्षकों को नियमित शिक्षक की भांति वेतनमान और सेवा शर्त की व्यवस्था करने का मामला स्पष्ट नहीं है। हमारी मांग है कि नियोजित शिक्षकों के पूर्ण समायोजन के साथ पुराने शिक्षकों की भांति सेवा शर्त और वेतनमान दिया जाए।
बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने बयान जारी कर कहा कि बिहार में एक और जॉब स्कैम शुरू होने वाला है! इस स्कैम को अंजाम कोई और नहीं‚ बिहार सरकार से जुडे लोग देंगे। बिहार सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली बदल कर लूट की छूट दे दी है। महज कुछ ही दिनों में बडे स्तर पर भ्रष्टाचार का मामला उजागर होगा और इसके जिम्मेदार कोई और नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे।
श्री शर्मा ने कहा कि बिहार सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति की नई नियमावली बनाई है‚ जिसमें कई खामियां हैं। अब जो शिक्षक पिछले १४ साल से पढा रहे हैं उन्हें फिर से नौकरी स्थायी करने के लिए परीक्षा देनी होगी। उन्हें पास कराने के लिए बडा टेंडर निकलेगा‚ बोली लगेगी‚ फिर शुरू होगा शिक्षकों का दोहन। नए शिक्षकों का परीक्षा देकर नौकरी लेना तो समझ में आता है लेकिन‚ पुराने शिक्षकों के लिए फिर से परीक्षा देने का दबाव बनाना समझ से परे है।
राजद ने सुशील मोदी पर लगाया शिक्षक अभ्यर्थियों को भ्रमित करने का आरोप
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने भाजपा नेता सुशील मोदी पर सोमवार को कैबिनेट द्वारा मंजूर की गयी अध्यापक नियमावली २०२३ के सम्बन्ध में शिक्षक अभ्यर्थियों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि नई नियमावली से सुशील मोदी सहित अन्य भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। वे नहीं चाहते कि शिक्षकों की बहाली हो और बेरोजगार नौजवानों को नौकरी मिले। इसीलिए एक सोची–समझी रणनीति के तहत उनके द्वारा नियमावली के सम्बन्ध में भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। जबकि‚ नियमावली में उन सारी बातों को शामिल किया गया है जिनकी मांग की जा रही थी। साथ ही उन अवरोधों को भी दूर कर दिया गया है जिसकी वजह से प्रक्रिया के बाधित होने की संभावना बनती।
जिला राजद की संगठनात्मक समीक्षा बैठक की रिपोर्ट समर्पितः युवा राजद के प्रदेश प्रवक्ता सह मीडि़या प्रभारी अरुण कुमार यादव‚ राजद के महामंत्री सह कार्यालय प्रभारी राजेश यादव एवं छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष गगन कुमार ने राजद के राज्य कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को विस्तार से जिला संगठनात्मक समीक्षा बैठक की रिपोर्ट समर्पित की। प्रथम चरण में मोतिहारी‚ बेतिया‚ बगहा‚ भागलपुर‚ नवगछिया‚ बांका‚ सहरसा‚ मधेपुरा‚ सुपौल और अररिया में जिला राजद की जिलास्तरीय संगठनात्मक समीक्षा बैठक हुई थी। दूसरे चरण की जिलास्तरीय संगठनात्मक समीक्षा बैठक १५ अप्रैल से शुरू होगी।