सुप्रीम कोर्ट ने सेना में भर्ती की केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ दो अपीलों को सोमवार को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने टिप्पणी में कहा कि यह योजना मनमानी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक हित अन्य विचारों से अधिक महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले रक्षा भर्ती प्रक्रिया में चयनित हो चुके उम्मीदवारों को नियुक्ति का अधिकार नहीं है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने ये कहते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया कि उम्मीदवारों के पास भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
पीठ ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि ‘वचनबद्धता विबंधन का सिद्धांत’ लागू होगा। यह देखा गया है कि जब व्यापक जनहित शामिल होता है तो प्रॉमिसरी एस्टॉपेल लागू नहीं होगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमारे लिए हस्तक्षेप करने के लिए कुछ भी नहीं है। यह सार्वजनिक रोजगार का मामला है, अनुबंध का नहीं।”