इसी साल जनवरी में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह (Adani Group) के शेयरों में आई गिरावट से जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners) के सह-संस्थापक राजीव जैन (Rajiv Jain) समूह में भारी निवेश करने से पीछे नहीं हटे, क्योंकि उनका मानना है कि अदाणी समूह में कुछ खासियतें हैं, जिनकी बदौलत लम्बे समय में समूह बेहद शानदार प्रदर्शन करेगा.
55-वर्षीय राजीव जैन ने ब्रिटिश समाचारपत्र ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ से कहा कि अदाणी समूह पर फ्रॉड का आरोप लगाने वाली अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने अदाणी समूह के शेयरों को नुकसान ज़रूर पहुंचाया है, लेकिन उसमें समूह की खास जानकारियों का ज़िक्र नहीं किया गया है.
उनका कहना था कि समूह बेहद आकर्षक कीमतों वाली ऐसी संपत्ति हासिल करता जा रहा है, जो सब कुछ बदल सकती है. अमेरिका में फ्लोरिडा स्थित फर्म के मालिक राजीव जैन का कहना था, “भौतिक संपत्ति, नियमित संपत्ति, ऐसी संपत्ति जिस पर आपका एकाधिकार है – इनके विकल्प पैदा करना मुश्किल होता है…”
‘फाइनेंशियल टाइम्स’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें अदाणी समूह पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट से कोई चिंता नहीं, क्योंकि उभरते बाज़ारों में मौजूद कंपनियों में कुछ लक्षण तो ऐसे होते ही हैं, जो कुछ निवेशकों को असहज कर दें.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद शेयरों की कीमत में भारी गिरावट के बावजूद राजीव जैन ने पिछले माह अदाणी समूह में 1.9 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जिसने उन्हें एक ऐसे शख्स के तौर पर सुर्खियों में ला दिया, जो बेहद अस्थिर वैश्विक आर्थिक हालात के बीच बहाव के ख़िलाफ़ गया.
‘फाइनेंशियल टाइम्स’ से बातचीत में राजीव जैन ने समझाया कि वह अदाणी समूह में अपने निवेश को लेकर चिंतित क्यों नहीं हैं, जबकि यह निवेश उनकी लिस्टेड कंपनियों में से चार में फैला हुआ है. उनका कहना था कि दरअसल वह लाभ कमाने के लिए पांच साल की लम्बी अवधि की तरफ देख रहे हैं.
ब्रिटिश समाचारपत्र के अनुसार, राजीव जैन के पास कुशल लोगों की 20-सदस्यीय निवेश टीम है, जिसने अदाणी के ईको-सिस्टम में मौजूद लोगों से ‘सवाल-जवाब किए’ और इस नतीजे पर पहुंचे कि अदाणी समूह के आधारभूत ऑपरेशन बेहद ठोस हैं.
राजीव जैन ने कहा, “आखिरकार, हमारा व्यापार छवि और वास्तविकता के बीच के अंतर से पैसा कमाने का है, और हम असलियत को वैसा नहीं देखते, जैसा हिंडनबर्ग देखता है…”
अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को भारत, भारतीय संस्थाओं और भारतीय विकास पर ‘सुनियोजित हमला’ करार दिया है. उनका कहना था कि यह रिपोर्ट अमेरिकी फर्म ने वित्तीय लाभ कमाने के लिए ‘गलत इरादे’ से तैयार की गई थी.