पिछले सप्ताह ब्रिटेन‚ अमेरिका‚ कनाड़ा और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावासों और मिशनों पर खालिस्तान समर्थकों ने उपद्रव मचाया जो सर्वाधिक चिंता की बात है। खालिस्तानी अलगाववादियों ने वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास पर हमला करने की कोशिश की और भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू को धमकियां दीं। हालांकि‚ उस समय संधू दूतावास परिसर में मौजूद नहीं थे‚ लेकिन प्रदर्शनकारियों ने घटना को कवर कर रहे पीटीआई के पत्रकार के साथ मारपीट की। ब्रिटेन और अमेरिका स्थित भारतीय मिशनों पर खालिस्तानी समूहों द्वारा हमले किए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाड़ा के उच्चायुक्त कैमरून मैक को तलब किया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा कि पुलिस की मौजूदगी में भारतीय मिशनों के पास उपद्रवी कैसे पहंच गए। भारतीय विदेश मंत्रालय को उसी समय सावधान हो जाना चाहिए था जब कनाड़ा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड़ो ने किसान आंदोलन के समर्थन में बयान दिया था। इस तथ्य को भुला दिया गया था कि खालिस्तान आंदोलन का आधारभूत ढांचा कनाड़ा में ही है। यही नेटवर्क खालिस्तान समर्थक तत्वों को समर्थन और संसाधन मुहैया कराता है। अमृतपाल और उसके समर्थकों को भी विदेश की धरती से समर्थन हासिल है। लोगों को याद होगा कि पिछले वर्ष जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ फिरोजपुर (पंजाब) में सुरक्षा चूक से संबंधित घटना हुई थी तब अमेरिकी धरती पर मुक्त रूप से विचरण करने वाला खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू जश्न मना रहा था। उसका संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ ही नहीं‚ ब्रिटेन‚ कनाड़ा और ऑस्ट्रेलिया में बैठे खालिस्तानी तत्व खुशी का इजहार कर रहे थे। अमेरिका और पश्चिमी देशों में खालिस्तान समर्थक मानसिकता के लोगों की संख्या कम नहीं है। ब्रिटेन में तो मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी भी खालिस्तानी दुष्प्रचार को हवा देती है। कनाड़ा के विरुद्ध भारत को कड़े़ राजनयिक कदम उठाने चाहिए। एक तो यह हो सकता है कि कनाड़ा के साथ राजनयिक संबंधों के दर्जे को कम कर दिया जाए। वहां राजनयिक मिशनों की संख्या भी कम की जा सकती है। पाकिस्तान की सरजमीं से सीमा पार आतंकवाद स्वीकार नहीं किया जा सकता तो कुछमामले में उससे भी अधिक खतरनाक भारत विरोधी वैचारिक आतंकवाद को भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पूरे घटनाक्रम में संतोष की बात है कि पूरे देश का सिख समाज खालिस्तानी दुष्प्रचार को खारिज करता है।
पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर पर आतंकी साजिशों में शामिल होने का आरोप…………..
पिछले छह सालों में भारत पर हुए बड़े आतंकी हमलों के पीछे एक ही शख्स का नाम बार-बार उभरकर सामने...