राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा हुए 5 दिन बीत चुके हैं। उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द की जा चुकी है। इसके बावजूद राहुल ने अभी तक हायर कोर्ट में अपील नहीं की है। कुछ लोग इसके पीछे कानूनी मजबूरी बता रहे हैं तो कुछ राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश।
कानूनी मजबूरी की वजह से लग रही है देरी
पूर्व एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल के. सी. कौशिक के मुताबिक राहुल गांधी के हायर कोर्ट में अपील न करने के पीछे दो मजबूत लीगल वजहें दिखाई देती हैं…
1. इस बात की संभावना है कि राहुल और उनकी पार्टी दिल्ली के वकीलों को ये मामला सौंपने की तैयारी कर रही हो। सूरत कोर्ट ने गुजराती में फैसला लिखा है। ऐसे में दिल्ली के वकीलों को 168 पेज के इस गुजराती फैसले का अंग्रेजी ट्रांसलेशन चाहिए होगा। इसमें कम से कम तीन से चार दिन लग जाते हैं। हो सकता है इसी वजह से राहुल को कोर्ट पहुंचने में देरी हो रही हो।
2. इस फैसले में दो बातें हैं- सेंटेंस और कनविक्शन। सूरत CJM कोर्ट के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती देकर राहुल को बेल तो तुरंत मिल सकती है, लेकिन संभव है कि राहुल इस फैसले को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहे हों। इस पूरी प्रक्रिया में समय लगने की वजह से वह अब तक कोर्ट नहीं पहुंचे हैं।
पूर्व एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा का कहना है कि वो कब कोर्ट जाएंगे, ये उनकी चॉइस है। किसी फैसले को चुनौती देने के लिए एविडेंस को एनालाइज करने और कोर्ट में कौन से मुद्दे उठाने हैं, इसे तय करने में समय लगता है। लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन जारी नहीं हुए होते तो उन्हें जल्दी होती, लेकिन अब संसद सदस्यता नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। अभी तुरंत उप चुनाव भी नहीं होने वाला है। ऐसे में उन्हें कोर्ट जाने की कोई जल्दबाजी नहीं है।
पूर्व एडिशिनल सॉलिसिटर जनरल के. सी. कौशिक के मुताबिक राहुल के अब तक कोर्ट नहीं पहुंचने में लीगल से ज्यादा पॉलिटिकल वजह लग रही है…
कांग्रेस इस मुद्दे से अपने गिरे स्टॉक को उठाना चाहती है
पॉलिटिकल एक्सपर्ट और CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक राहुल गांधी के अब तक कोर्ट नहीं जाने की 3 मुख्य पॉलिटिकल वजह हो सकती हैं…
1. कोर्ट में अपील करने के बाद सूरत कोर्ट के फैसले यानी कन्विक्शन पर रोक नहीं लगती है तो इससे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। ऐसे में काफी सोच-विचार कर कांग्रेस अगला कदम उठाएगी।
2. संभव है कि कांग्रेस पार्टी इस बात पर विचार कर रही हो कि इस मुद्दे को कोर्ट में ले जाने में ज्यादा पॉलिटिकल माइलेज मिलेगा या नहीं ले जाने में। अगर राहुल की संसद सदस्यता बहाल नहीं होती है तो कांग्रेस उन्हें शहीद की तरह लोगों के बीच ले जाएगी। इसकी वजह यह है कि पहले भी कई नेताओं ने इस तरह के बयान दिए थे, लेकिन कार्रवाई सिर्फ राहुल के खिलाफ हुई है। मार्केट की भाषा में कहूं तो कांग्रेस अपने गिरे हुए स्टॉक को इस मुद्दे से उठाना चाह रही है।
3. विपक्षी दलों की एकता में सबसे बड़ा रोड़ा राहुल गांधी का नाम ही है। ऐसे में हो सकता है कि कांग्रेस BJP को 2024 में जीतने से रोकने और विपक्षी एकता के लिए अभी कोर्ट न जाए। इससे राहुल गांधी की सदस्यता तो चली जाएगी, लेकिन सभी विपक्षी दल एक हो जाएंगे। राहुल गांधी की सदस्यता जाने का सांत्वना वोट कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को मिलेगा। चुनाव के बाद कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनते ही राहुल गांधी को लेकर कोई रास्ता निकाला जाए।
संजय कुमार का कहना है कि कोर्ट जाने से पहले कांग्रेस इन सभी बातों पर विचार कर रही है। इसीलिए राहुल गांधी को कोर्ट जाने में लेट हो रही है।
अगर राहुल गांधी अदालत जाते हैं, तो उनके पास दलीलें क्या-क्या हैं?
राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं। राहुल के डिफेंस में ये दलीलें हो सकती हैं। इन्हें हमने कांग्रेस नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस से लिया है…
1. कानून के मुताबिक अवमानना की शिकायत वही कर सकता है, जिसकी मानहानि हुई हो। शिकायत करने वाले को बताना होता है कि आरोपी व्यक्ति की टिप्पणी से उनकी मानहानि किस तरह से हुई है। सूरत में BJP विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर मुकदमा चला, उनके बारे में राहुल गांधी ने कोई टिप्पणी नहीं की थी।
2. अगर किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ टिप्पणी नहीं है और आरोप स्पष्ट नहीं हैं या उनके दायरे में बहुत बड़ी संख्या आ जाती है, तो उसे मानहानि नहीं कहा जा सकता।
3. करीब एक साल पहले शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में केस पर स्टे लगाने के लिए याचिका दायर किया, जिसके बाद केस पर स्टे लग गया। कुछ समय बाद सूरत CJM कोर्ट के मजिस्ट्रेट का तबादला हो गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने ऊपरी अदालत में डाली गई अपनी अर्जी को वापस ले लिया। केस एक बार फिर से निचली अदालत में आ गया। सूरत के CJM कोर्ट में आए नए मजिस्ट्रेट ने एक महीने के भीतर सुनवाई करके सजा सुना दी। ऐसे में ये देखना होगा कि इस दौरान न्यायिक प्रक्रिया का सही ढंग से पालन हुआ है या नहीं।
4. CrPC के सेक्शन 202 के मुताबिक एक जगह हुई वारदात के लिए कोई बहुत दूर के इलाके में शिकायत दर्ज कराए, तो मजिस्ट्रेट को न्यायिक प्रक्रिया शुरू करने से पहले जांच करनी होगी कि यह केस उसके भौगोलिक अधिकार-क्षेत्र में आता भी है या नहीं। हमें लगता है कि मौजूदा मामले में इस प्रावधान की अनदेखी हुई है।
राहुल की सदस्यता छिननाः कांग्रेस कह रही राजनीति, BJP कह रही कानूनी मसला
26 मार्च को राजघाट पर अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने कहा कि 13 अप्रैल 2019 को जिस पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में आरोप लगाया। पिछले साल उसी पूर्णेश मोदी ने खुद कोर्ट में कहा है कि इस मामले पर स्टे लगा दीजिए।
इसके बाद एक साल तक इस केस पर स्टे लगा रहा। अब 8 फरवरी 2023 को राहुल गांधी ने सदन में अडाणी के खिलाफ भाषण दिया। इसके एक सप्ताह बाद पूर्णेश मोदी इस केस को खुलवाने के लिए वापस कोर्ट गए। शख्स की मांग पर केस से स्टे हटा दिया जाता है और राहुल गांधी को 2 साल की सजा दी जाती है।
इसके बाद प्रियंका कहती है कि जेल में लोग 10-10 साल से बंद होते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती है। वहीं, इस केस में तो सुनवाई भी तुरंत हुई, दोष भी तुरंत साबित हो गया और सजा भी तुरंत सुना दी गई। फैसले के अगले दिन ही लोकसभा सचिवालय ने संसद सदस्यता भी खत्म कर दी।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट राशिद किदवई का मानना है कि अपने बयान में क्रोनोलॉजी के जरिए प्रियंका ने इस पूरे मामले को लीगल से ज्यादा पॉलिटिकल बताने की कोशिश की है।
केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री एस पी एस बघेल ने इस मामले को पॉलिटिकल मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कानून के सामने हर कोई समान है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक BJP विधायक को हाल ही में आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद UP विधानसभा में उसकी सदस्यता को रद्द कर दिया गया था।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार का कहना है कि BJP किसी भी तरह से कांग्रेस को इस मामले में फायदा उठाने नहीं देना चाहती है। वो राहुल को राजनीतिक शहीद बताने के कांग्रेस के प्रयास को सफल नहीं होने देना चाहती है। इसलिए BJP इसे लीगल बता रही है।
इस मामले में अब आगे क्या संभावनाएं हैं?
राशिद का कहना है कि कांग्रेस इस मामले में अब दो तरह से लड़ाई को आगे बढ़ाएगी। एक कानूनी और दूसरी राजनीतिक। जहां तक कानूनी लड़ाई की बात है तो कांग्रेस इसके लिए दो मोर्चे पर तैयारी कर रही है…
- मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।
- दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।
मानहानि केस में राहुल की कन्विक्शन को रद्द नहीं किया जाता या उस पर रोक नहीं लगती तो उन्हें एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी और वह इसके 6 साल बाद भी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राहुल के चुनावी राजनीति के करियर में 8 साल का ब्रेक लग जाएगा।
वहीं, BJP इस मुद्दे को OBC समुदाय के अपमान से जोड़कर 2024 लोकसभा चुनाव और उससे पहले 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस इस पूरे मामले को BJP की सोची-समझी साजिश का नतीजा बताने की कोशिश करेगी। कांग्रेस दक्षिण भारत समेत पूरे देश में सांत्वना वोट हासिल करना चाहेगी।