कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्लियामेंट चैंबर में बुधवार को 16 विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बैठक की। यहां तय हुआ कि अडाणी मामले की जांच को लेकर एक चिट्ठी लिखी जाएगी, जिस पर सभी विपक्षी सांसदों के दस्तखत होंगे। इसे ED को सौंपा जाएगा और जांच की मांग की जाएगी।
जब विपक्षी दलों के नेता मार्च के लिए निकले, तो उन्हें ED दफ्तर से पहले ही रोक लिया गया। खड़गे बोले- ‘हम तो सिर्फ ED के ऑफिस जाकर अडाणी मामले की डिटेल इन्वेस्टिगेशन के लिए शिकायती चिट्ठी देना चाहते थे। हमें रोकना कौन सा लोकतंत्र है।’
CBI और NIA से भी ज्यादा पावर ED के पास
आपको 2020 का वो किस्सा तो याद होगा, जब एक के बाद एक 8 राज्यों ने CBI को अपने यहां बिना परमिशन घुसने से रोक दिया था। इनमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम जैसे राज्य शामिल थे।
मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत बनी CBI को किसी भी राज्य में घुसने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है। हां, अगर जांच किसी अदालत के आदेश पर हो रही है तब CBI कहीं भी जा सकती है। पूछताछ और गिरफ्तारी भी कर सकती है। करप्शन के मामलों में अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए CBI को उनके डिपार्टमेंट से भी अनुमति लेनी होती है।
इसी तरह नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी यानी NIA को बनाने की कानूनी ताकत NIA Act 2008 से मिलती है। NIA पूरे देश में काम कर सकती है, लेकिन उसका दायरा केवल आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित है।
इन दोनों से उलट ED केंद्र सरकार की इकलौती जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। ED छापा भी मार सकती है और प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है। हालांकि, अगर प्रॉपर्टी इस्तेमाल में है, जैसे मकान या कोई होटल तो उसे खाली नहीं कराया जा सकता।
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में ED जिसे गिरफ्तार करती है, उसे जमानत मिलना भी बेहद मुश्किल होता है। इस कानून के तहत जांच करने वाले अफसर के सामने दिए गए बयान को कोर्ट सबूत मानता है, जबकि बाकी कानूनों के तहत ऐसे बयान की अदालत में कोई वैल्यू नहीं होती।
18 साल में 147 प्रमुख नेता ED के शिकंजे में, इनमें 85% विपक्षी नेता
पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि ED ने पिछले 18 साल में 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की। इनमें 85% विपक्षी नेता थे। वहीं 2014 के बाद NDA शासन के 8 सालों में नेताओं के खिलाफ ED के इस्तेमाल में 4 गुना बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान 121 राजनेता जांच के दायरे में आए जिनमें 115 विपक्षी नेता हैं। यानी इस दौरान 95% विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई हुई।UPA शासन यानी 2004 से 2014 के बीच ED ने सिर्फ 26 राजनेताओं की जांच की। इनमें विपक्ष के 14 यानी करीब 54% नेता शामिल थे।
BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था।
अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। ED इस मामले में सोनिया और राहुल से कई बार पूछताछ कर चुकी है।
22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उप राज्यपाल ने नई शराब नीति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश की। 19 अगस्त को CBI ने शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया के आवास समेत 21 जगहों पर छापेमारी की।
सिसोदिया समेत 15 को आरोपी बनाया। 14 अक्टूबर 2022 को ED ने 25 ठिकानों पर छापेमारी की। 26 फरवरी 2023 को CBI सिसोदिया से 8 घंटे पूछताछ करती है। इसके बाद शाम को सिसोदिया को CBI गिरफ्तार कर लेती है। 9 मार्च 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद ED ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया।
ED ने महाराष्ट्र के पूर्व CM उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना नेता संजय राउत को 1 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। राउत पर मुंबई के गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर के एक चॉल में 672 फ्लैटों के पुनर्निमाण के मामले में जमीन की हेरफेर का आरोप है।
तीन महीने बाद 10 नवंबर 2022 को सशर्त जमानत मिली। उस वक्त संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार न गिराने पर जांच एजेंसियों ने उन्हें परेशान किया।
3 सितंबर 2019 को ED ने कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार को टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले उनसे 2 दिन तक पूछताछ हुई थी।
INX मीडिया मामला भी इसका एक उदाहरण है। पी. चिदंबरम पर न केवल विदेशी निवेश के लिए INX मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड यानी FIPB से मंजूरी दिलाने में रिश्वत लेने का आरोप लगा बल्कि CBI ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। ED ने चिदंबरम से पूछताछ भी की थी। इसी मामले में चिदंबरम के बेटे कार्ति भी गिरफ्तार हो चुके हैं।
ED ने NCP प्रमुख पवार को महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक यानी MSC में 2,500 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड के संबंध में समन जारी किया और उन्हें घोटाले का प्रमुख खिलाड़ी बताया।
NCP के एक अन्य नेता प्रफुल्ल पटेल से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची की अवैध संपत्ति से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में पूछताछ की गई थी।
दलित स्मारक घोटाला : मायावती
2017 में UP विधानसभा चुनाव से 3 महीने पहले ED ने बसपा से जुड़े खाते में 104 करोड़ रुपए और पार्टी प्रमुख मायावती के भाई आनंद कुमार के खाते में लगभग 1.5 करोड़ रुपए का पता लगाया था। जनवरी 2019 में ED ने 1400 करोड़ रुपए के दलित स्मारक घोटाले में UP में कई स्थानों पर भी छापे मारे। यह मामला मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान का है।
अवैध खनन मामला : अखिलेश यादव
2019 में ED ने अवैध खनन मामले में UP के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
अब जानते हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून यानी PMLA विपक्षी नेताओं के लिए गले का फंदा कैसे बना
ED विख्यात हुए मनी लॉन्ड्रिंग कानून यानी PMLA लागू होने के बाद से है। इसे समझने से पहले मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ बने PMLA का मतलब समझ लेते हैं। आम बोली में इसका मतलब है दो नंबर के पैसे को हेरफेर से ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून।
मजेदार बात यह कि इस कानून को बनाया तो अटल सरकार ने 2002 में था, लेकिन इसे धार देकर 2005 में लागू किया मनमोहन सरकार के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने। अब यही कानून कांग्रेसी समेत सभी विपक्षी नेताओं के लिए गले का फंदा बना हुआ है।
विपक्षी दलों के आरोप के बाद ED ने डेटा जारी किया
विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद ED ने बुधवार को 31 जनवरी 2023 तक दर्ज केसों के बारे में डेटा जारी किया है। ED के मुताबिक, PMLA कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5,906 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से सिर्फ 2.98% यानी 176 केस विधायक, पूर्व विधायक, MLC, सांसद, पूर्व सांसदों के खिलाफ दर्ज किए गए।
इन केसों में से 1,142 में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 25 केस में ट्रायल पूरा हो चुका है। 24 केसों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं, जबकि एक में बरी कर दिया गया। ED के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत के तहत इन 24 केसों में 45 आरोपी दोषी पाए गए हैं।