जमीन के बदले रेलवे में नौकरी मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवार पर पहले सीबीआई और अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू की है। इस प्रकरण में पहले सीबीआई ने पिछले साल 18 मई को मुकदमा दर्ज किया और 20 मई को पटना में राबड़ी देवी के आवास सहित देश भर में 16 ठिकानों पर छापेमारी की।
ईडी की एंट्री के बाद पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में आ गया है। ईडी ने 10 मार्च को पटना, दिल्ली, एनसीआर, मुंबई और रांची में 24 ठिकानों पर छापेमारी की। दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित चार मंजिला आलीशान बंगला भी केस में जुड़ा जिसमें तेजस्वी रहते हैं।
कागज में यह बंगला मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. और मेसर्स एके इंफोसिस्टम प्रा. लि. का घोषित कार्यालय है। ईडी का दावा है कि मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. कंपनी तेजस्वी यादव के स्वामित्व और नियंत्रण में है। दिलचस्प यह है कि सीबीआई हो या ईडी, दोनों जिन तथ्यों के आधार पर गड़बड़ियां प्रमाणित कर रहे हैं, चार साल पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अब राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी की किताब में हूबहू ज्यादातर तथ्य दर्ज हैं। चाहे वह हृदयानंद चौधरी का मामला हो, या एबी एक्सपोर्ट्स प्रा. लि. का या फिर कोई और।

किताब में दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के बंगले, हृदयानंद और ललन का जिक्र
‘लालू-लीला’ में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित बंगले की कहानी दर्ज है, जहां मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का ऑफिस है। फर्क बस इतना है कि किताब इस बंगले की पूरी कहानी कहती है। बंगले का दाम 115 करोड़ बताती है।
एबी एक्सपोर्टर्स प्रा.लि. : पेज 64-66 पर इस कंपनी का जिक्र। फ्रेंड्स कॉलोनी में जमीन खरीदने में पैसा लगाने वालों व तेजस्वी के निदेशक बनने और इस्तीफा देने का विवरण है।
हृदयानंद चौधरी : पेज 86-88 पर इनके बारे में रेलवे के खलासी की दारवीरता शीर्षक से जिक्र। चौधरी ने पटना की 7.76 डिस्मिल जमीन हेमा को दी। उनकी नियुक्ति पूर्व मध्य रेल में हुई।
ललन चौधरी : पेज 82-85 पर ‘ललन लालू के भामाशाह’ शीर्षक से पर इनके बारे में चर्चा है। चौधरी विधान परिषद में हैं। इन्होंने 2014 में राबड़ी देवी बेटी हेमा को जमीन दान दी।

सीबीआई की FIR में भी जमीन के लेन-देन का वही ब्योरा जो किताब में
सीबीआई जांच में हृदयानंद, ललन चौधरी और एके इंफोसिस्टम प्रा.लि. का नाम आया है। इन पर लालू परिवार को वह जमीनें गिफ्ट करने का आरोप है जिनके मूल मालिकों के परिजनों को रेलवे के विभिन्न जोन में नौकरी मिली।
प्वाइंट 2.4: रामचलितर राय ने दिल्ली की एके इंफोसिस्टम प्रा.लि. को जमीन दी। राय के दो भतीजों को रेलवे में नौकरी मिली। 2014 में राबड़ी व उनकी बेटी की कंपनी में निदेशक बनीं।
प्वाइंट 2.6: महुआ बाग के बृजनंदन राय ने जमीन हृदयानंद को बेची। चौधरी की नियुक्ति 2005 में पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में हुई थी। चौधरी ने यह जमीन हेमा यादव को गिफ्ट कर दी।
प्वाइंट 2.6: विशुन देव राय ने 3375 वर्ग फीट जमीन सिवान के ललन चौधरी को बेची। राय के पोते पिंटू की रेलवे में नौकरी लगी। चौधरी ने यह जमीन हेमा के नाम ट्रांसफर कर दी।

ईडी के भी तथ्य वही जो किताब के पेज 64 पर
दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित मकान संख्या D-1088 (एबी एक्सपोर्ट्स प्रा.लि. के नाम रजिस्टर्ड है। इस कंपनी के मालिक तेजस्वी प्रसाद यादव व उनका परिवार है।) का आज बाजार मूल्य 150 करोड़ है। इसे खरीदने में मुंबई के जेम्स व ज्वेलरी के कारोबारियों ने पैसा लगाया है। कागज पर यह कंपनी का ऑफिस है, लेकिन तेजस्वी इसे अपने घर की तरह इस्तेमाल करते हैं। किताब में जिक्र है कि तेजस्वी ने 9 नवंबर 2015 को इस कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था।