तेजस्वी यादव के नाम पर बिदक कर उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से रिश्ता तोड़ लिया। पूर्व सांसद मीना सिंह ने जंगलराज के युवराज के नाम पर बिदक कर जेडीयू को अलविदा कह दिया। तमिलनाडु में बिहारियों के साथ हुई मारपीट के मुद्दे पर तेजस्वी की वजह से नीतीश की किरकिरी हुई। सारण जिले में यादवों ने राजपूत बिरादरी के युवकों की हत्या कर दी। कभी जेडीयू में नीतीश कुमार के भरोसेमंद साथी रहे उपेंद्र कुशवाहा और प्रशांत किशोर नीतीश की सियासी कब्र खोदने में लगे हैं। आरजेडी के नेता लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ अनाप-शनाप बोल रहे हैं। इस बीच बीजेपी के बड़े केंद्रीय नेता लगातार किसी न किसी बहाने नीतीश के संपर्क में लगातार बने हुए हैं। विपक्षी एकता की हवा निकल गयी है। सब अपनी डफली बजा कर अपना राग अलाप रहे हैं। रही सही कसर नार्थ ईस्ट के तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों ने पूरी कर दी है। इन तमाम स्थितियों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक इसके मायने तलाश रहे हैं। संभावना जतायी जा रही है कि सात माह में ही नीतीश का महागठबंधन से मन भर गया है और वे किसी भी वक्त कोई भी कदम उठा सकते हैं।
आरजेडी से नजदीकी भारी पड़ रही नीतीश कुमार को
बीजेपी से उकता कर नीतीश ने महागठबंधन से रिश्ता जोड़ लिया था। बीजेपी के साथ चल रही चल रही सरकार के साझीदार झटके में उन्होंने बदल लिये। अपनी उम्र और आरजेडी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्होंने अपना उत्तराधिकारी भी तेजस्वी यादव को घोषित कर दिया। जेडीयू में खटपट की शुरुआत यहीं से हो गयी। उपेंद्र कुशवाहा ने इस पर आपत्ति जतायी। कुशवाहा ने खुलासा किया कि नीतीश कुमार जेडीयू का विलय आरजेडी में करना चाहते हैं। इस आशंका को बल इसलिए भी मिला कि जेडीयू में नीतीश कुमार ने दूसरी पंक्ति का नेतृत्व पनपने ही नहीं दिया। आरसीपी सिंह, प्रशांत किशोर और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता तामझाम से जेडीयू में जरूर लाए गए, लेकिन उन्हें नीतीश ने एक-एक कर किनारे लगा दिया। ऐसा उन्होंने शायद इसलिए किया कि सुप्रीमो की तरह फैसला ले सकें। चिराग पासवान जैसे नेता से उन्हें मात खानी पड़ी। कभी सबसे बड़ी पार्टी रहे जेडीयू को विधायकों की संख्या के हिसाब से तीसरे नंबर पर आना पड़ा। ऐसा नहीं कि नीतीश इन बातों को नहीं समझते होंगे।
तमिलनाडु मसले पर तेजस्वी यादव ने करायी किरकिरी
आरजेडी नेता और नीतीश मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की खूब किरकिरी करायी है। पहले गलवान के शहीद सैनिक के पिता की गिरफ्तारी पर तेजस्वी के टेढ़े बयान आए। बाद में नीतीश ने इसे संभाला और मामले की जांच के आदेश दिये। दूसरा मौका तमिलनाडु में बिहारी श्रमिकों की पिटाई का आया, जब तेजस्वी यादव ने तमिलनाडु सरकार को क्लीन चिट दे दिया। इसे लेकर विधान मंडल में बीजेपी सदस्यों ने नीतीश कुमार पर जम कर हमला बोला। अंत में नीतीश कुमार ने मोर्चा संभाला। पहले उन्होंने इस बारे में तमिलनाडु के अधिकारियों से बात के लिए चीफ सेक्रेट्री औऔर डीजीपी को निर्देश दिया। बाद में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल के आग्रह पर जांच टीम तमिलनाडु भेजी। तमिलनाडु से लौटे बिहारी श्रमिकों के बयान साबित करते हैं कि वहां उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। इससे भी नीतीश की किरकिरी हुई।
आरजेडी कोटे के मंत्री भी लगातार बिगाड़ रहे हैं माहौल
आरजेडी कोटे के मंत्री चंद्रशेखर, आलोक मेहता और सुरेंद्र यादव भी महागठबंधन के भीतर माहौल बिगाड़ते रहे हैं। चंद्रशेखर तो नीतीश की इच्छा के विरुद्ध लगातार रामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान देते रहे हैं। नीतीश की मनाही का भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा। आलोक मेहता ने तो सवर्णों के खिलाफ ऐसी टिप्पणी कर दी, जिससे जेडीयू में ही घमासान मच गया। सवर्ण नेताओं में विधान पार्षद नीरज कुमार ने खुल कर इसका विरोध किया। सुरेंद्र यादव ने सेना पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। नीतीश को ये सारी बातें नागवार लगीं। जेडीयू और खुद नीतीश ने अपनी नाराजगी का शालीन तरीके से इजहार किया।
सुधाकर ने तो नीतीश के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है
आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह तो नीतीश कुमार से खार ही खाये हुए हैं। नीतीश को शिखंडी, नपुंसक, भिखमंगा जैसे संबोधन के बाद मंडी कानून के लिए उन्होंने नीतीश सरकार के खिलाफ मोरचा ही खोल दिया है। नीतीश ने जब इस पर आपत्ति जतायी और उन पर कार्रवाई का जिम्मा आरजेडी नेनृत्व पर छोड़ दिया तो आरजेडी ने उन्हें महज शोकाज देकर खानापूर्ति कर ली। वे अब भी बेलगाम हैं। नीतीश के खिलाफ लगातार जहर उगल रहे हैं। आरजेडी ने तो अब इस मुद्दे पर चुप्पी ही साध ली है। ऐसे में नीतीश के मन में क्या चल रहा होगा, यह अनुमान लगाया जा सकता है।
नीतीश को लगातार आ रहे बीजेपी नेताओं के फोन
गलवान के शहीद सैनिक के पिता की जब गिरफ्तारी हुई तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीतीश को फोन किया। नीतीश ने सदन को न सिर्फ इसकी जानकारी दी, बल्कि मामले की जांच के आदेश भी दिए। राज्यपाल बदले जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश को फोन किया। यह जानकारी भी नीतीश ने खुद सार्वजनिक की। नीतीश कुमार के जन्मदिन पर पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं देने के लिए फोन किए। और तो और, नीतीश सरकार में कभी डिप्टी सीएम रहे तारकिशोर प्रसाद के पिता के निधन पर नीतीश कुमार उनके गांव पहुंच गए। इस नजदीकी से ही यह संभावना जतायी जा रही है कि नीतीश का मन अब महागठबंधन से भर गया है। ऐसे में वे अचानक कोई अप्रत्याशित फेसला ले लें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। वैसे भी नीतीश जब ऐसा कोई फैसला लेते हैं तो किसी को भनक नहीं लगती।