बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में ८३वीं एवं ८४वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक शनिवार को संपन्न हुई। बैठक में उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ‚ वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ‚ उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप कुमार पौ्ड्रिरक‚ भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव भूषण कुमार सिंह‚ जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी राहुल कुमार‚ भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक संजीव दयाल‚ नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कुमार‚ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य महाप्रबंधक शिव ओम दीक्षित सहित वित्त विभाग‚ उद्योग विभाग एवं विभिन्न बैंकों के वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में सभी बैंकों से राज्य के विकास में पूर्ण सहभागिता की अपील की गई।
बैठक में राज्य में कार्यरत बैंकों द्वारा वित्तीय वर्ष २०२२–२३ की तीसरी तिमाही तक किये गए कार्यों की समीक्षा की गई। इस तिमाही तक बैंकों के द्वारा कुल मिलाकर अच्छा कार्य किया गया है। वित्तीय वर्ष २०२२–२३ में राज्य के बैंकों को वार्षिक साख योजना हेतु २‚०४‚१४५ करोड रुपये का लक्ष्य दिया गया था। इस लक्ष्य के विरुद्ध दिसम्बर‚ २०२२ तक १‚५८‚९७९ करोड रुपये का साख बैंकों द्वारा वितरित किया जा चुका है‚ जो लक्ष्य का ७७.८८ प्रतिशत है। अगले वित्तीय वर्ष २०२३–२४ के लिए एसीपी का लक्ष्य २‚६३‚ १५० करोड रुपये प्रस्तावित है। यह लक्ष्य वित्तीय वर्ष २०२३–२४ के लिए राज्य के बजट आकार २‚६१‚८८५.४० करोड रुपये से भी अधिक है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के कारण एसीपी और बजटीय व्यय को मिलाकर वित्तीय वर्ष २०२३–२४ में राज्य में ५‚२५‚००० करोड रुपये के वित्त प्रवाह का अनुमान है। बैंकों को निर्देश दिया गया कि राज्य के सीड़ी रेसियो को राष्ट्रीय औसत (लगभग ७५ प्रतिशत) तक ले जाने के लिए सतत् प्रयास किया जाये। राज्य सरकार उद्योगों के विकास के लिए कृतसंकल्प है। नवीन अवसरों के मद्ेनजर एमएसएमई क्षेत्र में एसीपी के लक्ष्य को गत वित्तीय वर्ष २०२१–२२ की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष २०२२–२३ में दोगुना कर ७० हजार करोड रुपये कर दिया गया था। दिसम्बर २०२२ तक एमएसएमई क्षेत्र में ४४‚१२१ करोड रुपये का साख वितरित किया गया है। यह वार्षिक लक्ष्य का ६३.०३ प्रतिशत है। निर्देश दिया गया कि बैंकों के द्वारा उद्योग लगाने की इच्छुक इकाइयों एवं स्टार्ट–अप इकाइयों को सुविधापूर्ण ढंग से तत्परतापूर्वक ऋण उपलब्ध कराया जाये। समीक्षा के दौरान कृषि संबद्ध क्षेत्रों –पशुपालन‚ मत्स्यपालन‚ मुर्गीपालन इत्यादि में ऋण वितरण का प्रतिशत काफी कम पाया गया है। इस क्षेत्र में ऋण प्रवाह को बढाने के लिए बैंकों को अतिरिक्त प्रयास करने के लिए निर्देशित किया गया है। बैंकिंग के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए तथा बैंकों से संबंधित लूटपाट की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस–प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग बैंकों को दिया जाएगा। राज्य विकास की ओर तेजी से उन्मुख है।