होली से ठीक पहले देशवासियों को रसोई गैस की मूल्य वृद्धि का झटका लगा है। यही नहीं रेस्टोरेंट‚ होटल इत्यादि में खाना खाना भी अब भारी पड़़ने वाला है। १ मार्च से घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर की कीमतों में क्रमशः ५० रुपये और वाणिज्यिक इस्तेमाल वाले सिलेंड़र के दामों में ३५०.५० रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी हो गई है। दिल्ली में रसोई गैस की कीमत अब १‚१०३ रुपए प्रति सिलेंडर हो जाएगी‚ जबकि वाणिज्यिक सिलेंडर की कीमत २‚११९.५० रुपए होगी। घरेलू गैस की कीमतों में पिछली बार करीब आठ महीने पहले जुलाई २०२२ में संशोधन किया गया था। हर परिवार एक साल में रियायती दरों पर १४.२ किलोग्राम के १२ सिलेंडरों का हकदार है। इसके अलावा‚ जरूरत पड़़ने पर लोगों को बाजार मूल्य पर एलपीजी सिलेंडर लेने होते हैं। यह वृद्धि पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के बाद की गई है‚ जिसकी विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है। गैर–उज्ज्वला उपयोगकर्ताओं को अब सब्सिड़ी नहीं मिलती‚ जबकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन पाने वाले ९.५८ करोड़़ परिवारों को सरकार २०० रुपये प्रति सिलेंड़र सब्सिड़ी देती है। इसके बावजूद लाखों लोग सिलेंड़र नहीं भरा पाते। खाद्यान्न और सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण आम आदमी का रसोई–बजट पहले ही से अस्त–व्यस्त है। इस वृद्धि से तमाम परिवार प्रभावित होंगे। मूल्य वृद्धि को रोकने में भी सरकार बुरी तरह विफल रही है। पिछले एक साल में‚ घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम २०० रुपये तक बढ़ चुके हैं। कांग्रेस का दावा है कि घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए यूपीए सरकार ने १० साल में २‚१४‚४७४ करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी‚ जबकि मोदी सरकार ने नौ वर्षों में मात्र ३६‚५९८ करोड़ की सब्सिडी दी है। सब्सिडी देने की बजाय सरकार इस पर जीएसटी लगा रही है। घरेलू सिलेंडर पर सरकार ने ५ फीसद जीएसटी लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर २०२४ में उसकी सरकार बनती है तो वह ५०० रुपये से कम कीमत में सिलेंड़र उपलब्ध करवाएगी। जुलाई से सितम्बर के दौरान जीडीपी की वृद्धि ६.३ प्रतिशत थी‚ जो अक्टूबर से दिसम्बर के बीच घटकर ४.४ प्रतिशत पर आ गई।
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