नवगठित राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उनकी जदयू के साथ बंधी आखिरी डोर भी टूट गई। हालांकि, कुशवाहा विधान परिषद में मनोनीत सदस्य थे।
एमएलसी पद से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू पर तंज भी कसा। इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट साझा की। इस पोस्ट में कुशवाहा ने संस्कृत के मंत्र को लिखते हुए अपनी बात कही है।
कुशवाहा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि मुख्यमंत्री जी, “त्वदीयं वस्तु तुभ्यमेव समर्पये।” आज मैंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। मन अब हल्का है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है। याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं।
इस पोस्ट में उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के साथ इस्तीफा सौंपते समय ली गई तस्वीर भी साझा की है। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा ने नए दल के गठन के दिन ही विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा की थी।
उस दिन विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर पटना से बाहर थे, इसलिए कुशवाहा का त्यागपत्र नहीं सौंप सके थे। सभापति गुरुवार को पटना लौटे। इसके बाद शुक्रवार को इस्तीफा सौंपने को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने उनसे बातचीत भी की थी।
कुशवाहा 17 मार्च, 2021 को विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से नामित हुए थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च, 2027 तक था। इस सीट के रिक्त होने की घोषणा के बाद बचे हुए कार्यकाल के लिए किसी नए सदस्य का मनोनयन होगा।
संस्कृत के मंत्र में से एक शब्द गायब
उपेंद्र कुशवाहा ने जो मंत्र अपनी पोस्ट में लिखा है, उसमें से एक शब्द गायब कर दिया है। दरअसल, यह एक नैवेद्य मंत्र यानी भगवान को भोग लगाने का मंत्र है। पूरा मंत्र कुछ इस प्रकार है- त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।। इसका हिंदी में अर्थ है- हे गोविन्द, आपका ही सब दिया हुआ है, जो आपको ही समर्पित कर रहे हैं, हे परमेश्वर, आपके मुख के सामने जो भी है, उसे प्रसन्नता से ग्रहण करें।