बिहार में पार्टियों के अंदर अनुशासन का सवाल इन दिनों खूब उठ रहा है। जेडीयू के अंदर उठापटक की स्थिति दिख रही है। आरजेडी के अंदर सुधाकर सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उन पर अनुशासनहीनता का आरोप है।
कांग्रेस के कार्यकर्ता भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पटना साहिब गुरुद्वारा में भिड़ गए। सरकार चला रही महागठबंधन की तीन बड़ी पार्टियों में अनुशासन का सवाल सबसे ऊपर है।
कांग्रेस- दो सप्ताह पहले दी गई अखिलेश सिंह की नसीहत हवा में!
27 जनवरी को कांग्रेस की ओर से सदाकत आश्रम में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, प्रभारी भक्त चरण दास, वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय, तारिक अनवर, शकील अहमद, मदन मोहन झा, अनिल शर्मा, प्रेमचंद मिश्रा, आनंद माधव, डॉ.ज्योति आदि मौजूद थे। बड़ी संख्या में जिला से भी कार्यकर्ता आए थे।
उस संवाद कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने नसीहत देते हुए कहा था कि ‘ कांग्रेस में अनुशासन का इतिहास रहा है, लेकिन इधर के दिनों में दिख रहा है कि जूनियर कार्यकर्ता, सीनियर के आने पर सीट भी नहीं छोड़ रहे हैं।’
इस नसीहत के बावजूद स्थिति यह रही कि पटना सिटी में जब कांग्रेस की भारत यात्रा शुक्रवार को पहुंची तो वीआईपी लॉबी में कुर्सी पर बैठने के लिए मारपीट हो गई। एक-दूसरे की गिरेबां पकड़कर जान से मारने की धमकी भी आपस में देने लगे। मारपीट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और विधायक दल के नेता अजीत शर्मा के सामने ही हुई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कांग्रेस के शम्मी कपूर और पप्पू त्रिवेदी के साथ तू -तू, मैं-मैं के बाद जमकर मारपीट हुई। बताया जाता है कि ऐसी स्थिति देख अखिलेश प्रसाद सिंह वहां से निकल गए।
शनिवार को पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में जब ये सवाल अखिलेश सिंह से पूछा गया तो उनका जवाब रहा कि ‘हंगामा करने वाले कांग्रेस कार्याकर्ता था कि नहीं यह पता करवाएंगे, अनुशासनहीनता करने वाले को तलब करेंगे।’
जेडीयूः लगातार दिख रहा अनुशासन का सवाल, पहले आरसीपी, अब उपेंद्र उठा रहे नीतीश पर सवाल
नीतीश कुमार की पार्टी में तो लगातार अनुशासनहीनता का सवाल उठ रहा है। पहले आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप हुआ वह तो सभी ने देखा ही। वर्षों का राजनीतिक संबंध तार-तार हुआ। आरसीपी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अब उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच सवाल-जवाब का दौर चल रहा है। इस बीच नीतीश कुमार का भाषायी अनुशासन भी खूब दिख रहा है।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने साफ कह दिया है कि उपेंद्र कुशवाहा अब जेडीयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन नहीं हैं। इस बीच उपेंद्र कुशवाहा ने कई तरह के आरोप नीतीश कुमार पर लगाए हैं। मिट्टी में मिल जाएंगे पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे या मर जाएंगे, लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे जैसे बयान राजनीति में नजीर पेश कर रहे हैं। इससे पहले अजय आलोक, अनिल कुमार, विपिन यादव जैसे नेताओं को प्राथमिक सदस्यता से अनुशासनहीनता के आरोप में ही प्राथमिक सदस्यता से जेडीयू हटा चुकी है।
आरजेडीः पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा, कारण बताओ नोटिस का जवाब देना पड़ा
आरजेडी के अंदर कई नेताओं के अनुशासन पर सवाल उठता रहा है। तेजप्रताप यादव ने पार्टी कार्यालय के मंच से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को हिटलर कहा तो कई दिनों तक जगदानंद सिंह पार्टी कार्यालय नहीं आए।
आरजेडी महानगर के रामराज ने पिटाई का आरोप लगाया तब भी अनुशासन का सवाल उठा था। ताजा मामला सुधाकर सिंह से जुड़ा है। सुधाकर सिंह मंडी कानून सहित किसानों से जुड़े अन्य सवालों पर लगातार मुखर हैं। उन्हें नीतीश-तेजस्वी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया था, लेकिन नीतीश कुमार के कृषि रोड मैप पर सवाल उठाने और पीत पत्र लिखने पर उन्हें कृषि मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भी रामगढ़ के आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह मुखर रहे। शिखंडी तक कह दिया।
अब तक कोई कार्रवाई सुधाकर पर नहीं हुई
आखिरकार सुधाकर सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कारण बताओ नोटिस का जवाब भी उन्होंने दे दिया। अब तक कोई कार्रवाई सुधाकर पर नहीं हुई है। आरजडी को लगता है सुधाकर अनुशासन तोड़ रहे हैं और सुधाकर का कहना है वे पार्टी लाइन पर बात कर रहे हैं।
किसानों के सवाल विधान सभा से सड़क तक पर उठा रहे हैं। आरजेडी में रहकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह कई बार नाराज दिखते रहे हैं। उनकी पहचान ‘अनुशासन पुरुष’ के रूप में रही है, लेकिन वे पार्टी के अनुशासन से आहत भी कई बार दिख चुके हैं। उनके लिए मित्र धर्म निभाना सबसे बड़ा है!