दूनिया में भारतीय समुदाय बढ़ता जा रहा है‚ लेकिन जिस तरह बढ़ रहा है उसे उत्साहजनक कहना तो कतई ठीक नहीं होगा। वस्तुस्थिति यह है कि वर्तमान में भारतीय नागरिकों में देश छोड़़ने की होड़़ सी लगी है‚ जो कतई अच्छा समाचार नहीं है। सरकारने बृहस्पतिवार को राज्य सभा में जो जानकारी दी है उसके अनुसार २०११ से १६ लाख से अधिक लोगोंें ने भारतीय नागरिकता छोड़़ दी है। इनमें से सर्वाधिक २‚२५‚६२० भारतीयों ने तो पिछले साल ही नागरिकता को तिलांजलि दी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वर्ष वार भारतीय नागरिकता छोड़़ने वाले लोगों का ब्योरा रखा है। जिस गति से लोग नागरिकता छोड़़ रहे हैं वह देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वर्ष २०१६ में १‚४१‚६०३ लोगों ने नागरिकता छोड़़ी जबकि २०१७ में १‚३३‚०४९ लोगों ने नागरिकता छोड़़ी। साल २०१८ में यह संख्या १‚३४‚५६१ थी‚ जबकि २०१९ में १‚४४‚०१७‚ २०२० में ८५‚२५६ और २०२१ में १‚६३‚३७० भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़़ दी थी। वर्ष २०२२ में यह संख्या २‚२५‚६२० हो चुकी थी। जयशंकर ने उन १३५ देशों की सूची भी सामने रखी‚ जिनकी नागरिकता भारतीयों ने हासिल की है। बेहतर जीवन की तलाश में विदेश जाने वालों को वहां पहुंचकर सुख सुविधाएं ही मिलती हों इसका कोई अध्ययन तो उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसे वक्त में जब भारत निरंतर विकास की ओर उन्मुख है और जब भारत वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में निर्णायक भूमिका में आता जा रहा है यह प्रव्रजन ठीक नहीं है। जिस समय दुनिया के देश भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं और हमारे लोग स्वदेश छोड़़ रहे हैं‚ यह गंभीर मसला है। जिन देशों में सर्वाधिक भारतीय जाना पसंद करते हैं वे सभी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं। हाल के महीनों में अमेरिकी कंपनियों द्वारा पेशेवरों की छंटनी एक बड़़ा मुद्दा बनी है‚ जिससे सरकार भी भली भांति अवगत है। इस छंटनी में एक निश्चित प्रतिशत एच–१बी और एल१ वीजा धारक भारतीय नागरिकों के होने की संभावना है। भारत सरकार अमेरिकी सरकार के समक्ष आईटी पेशेवरों सहित उच्च कुशल श्रमिकों से संबंधित मुद्दों को लगातार उठा रही है। स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार को इस दिशा में और गंभीर हो जाना चाहिए।
चेन्नई के आसमान में राफेल और सुखोई ने दिखाई ताकत, वायुसेना के एयर शो में दिखा अद्भुत नजारा
अपनी 92वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारतीय वायु सेना ने आज तमिलनाडु के चेन्नई मरीना एयरफील्ड में एक एयर एडवेंचर...