कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में केंद्र सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर दिया, जिन्हें बाद में स्पीकर ने कार्यवाही से बाहर निकाल दिया. दरअसल, संसद में उन्हें शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो मर्दाया में होते हैं और नियमों के तहत उन्हें इस्तेमाल करने की छूट मिली हो. क्योंकि लोक सभा स्पीकर हर साल ऐसे शब्दों की सूची जारी करते हैं, जो असंसदीय होते हैं और उनका सदन की कार्यवाही के दौरान इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ये सब नियम 381 के तहत स्पीकर के आदेश पर किया जाता है.
सदन की कार्यवाही से भाषण के हिस्सों को बाहर निकालने की प्रक्रिया
आम तौर पर संसद में दिये गए किसी भी बयान के खिलाफ संसद के बाहर किसी तरह का मामला नहीं चलाया जा सकता. संसद में बोले गए हरेक शब्द का हिसाब लिखा रहता है. ऐसे में कुछ शब्दों या भाषण के कुछ हिस्सों को अगर नियमों के खिलाफ पाया जाता है, तो उसे कार्यवाही से हटा दिया जाता है. उसकी जगह पर नियम 381 के तहत एक फुटनोट अटैच कर दिया जाता है, कि अमुक सांसद के भाषण का ये हिस्सा असंसदीय पाया गया है और स्पीकर के आदेश पर इसे कार्यवाही से बाहर किया गया है. इसके लिए बाकायदा सांसद को सूचित भी किया जाता है.
स्पीकर के आदेश पर होती है सारी प्रक्रिया
बता दें कि देश की संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियमों की पूरी किताब मौजूद रहती है. संसद सत्र शुरू होने से पहले ये किताब सभी सांसदों को दी जाती है. किसी भी सदस्य को अपने भाषण के दौरान असंसदीय घोषित किए शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती है. अगर कोई सांसद ऐसा करता है, तो स्पीकर सीधे चेतावनी देते हुए कहते हैं कि वो इन शब्दों को कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा देंगे. आम तौर पर किसी भी ऐसे शब्द को अमर्यादित और असंसदीय कहा जाता है जो अभद्र, अश्लील या अपमानजनक हो. ऐसे शब्द या वाक्यों का प्रयोग जो मानवीय गरिमा के अनुकूल न हो उन्हें संसद के नियमों के मुताबिक असंसदीय, अमर्यादित घोषित किया जा सकता है.