अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) की रिपोर्ट के अपने जनवरी अपडेट में 2023 में वैश्विक विकास के पूर्वानुमान में मामूली सुधार किया है. यह सुधार राहत के संकेत देता है कि 2023 में वैश्विक मंदी की आशंकाओं को कमतर किया जा सकता है. इन सुधारों के तहत कई अर्थव्यवस्थाओं के अचंभित करने वाले प्रदर्शन समेत अपेक्षित लचीलेपन की बात की गई है. गौरतलब है कि आईएमएफ अपना वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक हर साल दो बार क्रमशः अप्रैल और अक्टूबर में जारी करता है. इसके अलावा इसे जनवरी और जुलाई में दो बार अपडेट करता है, जिससे नए अपडेट से तीन प्रमुख बातें निकल कर सामने आती हैं. ये हैं…
2023 में वैश्विक विकास में आने लगेगा सुधार
आईएमएफ ने अक्टूबर 2022 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में अनुमान लगाया था कि वैश्विक विकास दर 2022 में 3.4 फीसदी से घटकर 2023 में 2.7 फीसद हो जाएगी. वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह एक गंभीर परिदृश्य था. डब्ल्यूईओ रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक तिहाई से अधिक हिस्सा इस साल या अगले साल इससे प्रभावित रहेगा. साथ ही तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं क्रमशः अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की अर्थव्यवस्था में ठहराव जारी रहेगा. आईएमएफ की रिपोर्ट संक्षेप में यही आशंका जता रही थी कि सबसे बुरा अभी आना बाकी है. ऐसे में कई लोगों के लिए 2023 मंदी के पर्याय बतौर उभर रहा था. हालांकि जनवरी 2023 अपडेट में आईएमएफ प्रभावी रूप से वैश्विक मंदी को खारिज करता है. उसके मुताबिक अक्सर वैश्विक मंदी पर सामने आने वाली वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद या प्रति व्यक्ति वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में नकारात्मक वृद्धि अपेक्षित नहीं है. इसके बजाय वैश्विक विकास की अपेक्षा की जा सकती है. 2024 में इसके गति प्राप्त करने से पहले 2023 के अंत से सुधार साफ दिखने लगेगा. इस प्रकार वैश्विक विकास जो 2022 में 3.4 प्रतिशत अनुमानित था, अब 2024 में 3.1 प्रतिशत तक बढ़ने से पहले 2023 में 2.9 प्रतिशत तक गिरने का अनुमान है. आईएमएफ ने कहा, ‘अक्टूबर के पूर्वानुमान की तुलना में 2022 के लिए अनुमान और 2023 के लिए पूर्वानुमान दोनों लगभग 0.2 प्रतिशत अधिक हैं, जो सकारात्मक आश्चर्य और कई अर्थव्यवस्थाओं में अपेक्षा से अधिक लचीलापन दर्शाता है.’ चीन, रूस, अमेरिका, जर्मनी और इटली कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिनके 2023 के जीडीपी पूर्वानुमानों में संशोधन देखा गया है. हालांकि यूनाइटेड किंगडम ने अपने 2023 के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1 प्रतिशत बिंदु की गिरावट देखी है.
मुद्रास्फीति में आएगी वैश्विक स्तर पर गिरावट
वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने वाली मुद्रास्फीति के 2022 में चरम पर पहुंचने की उम्मीद रही, लेकिन अपस्फीति यानी मुद्रास्फीति दर में गिरावट धीमी होगी और 2023 और 2024 तक जाएगी. आईएमएफ के मुताबिक लगभग 84 प्रतिशत देशों में 2022 की तुलना में 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लिहाज से मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है. वैश्विक मुद्रास्फीति दर 2022 में वार्षिक औसत के 8.8 प्रतिशत से गिरकर 2023 में 6.6 प्रतिशत और 2024 में 4.3 प्रतिशत होने की उम्मीद है. कोरोना महामारी से पहले की 2017-19 के लगभग 3.5 प्रतिशत के स्तर से ऊपर रहेगी मुद्रास्फीति. मूल्य वृद्धि दो मुख्य कारणों से धीमी हो रही है. एक, दुनिया भर में मौद्रिक सख्ती से उच्च ब्याज दरें वस्तुओं और सेवाओं की समग्र मांग को नीचे लाती हैं और बदले में मुद्रास्फीति को धीमा कर देती हैं. दूसरा, लड़खड़ाती मांग के चलते विभिन्न वस्तुओं ईंधन और गैर-ईंधन दोनों वर्ग की कीमतें हाल के उच्च स्तर से नीचे आ गई हैं. ऐसे में 2023 में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में 4.6 फीसद की मुद्रास्फीति रहने की उम्मीद है, जबकि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को 8.1 फसीद मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ेगा.
भारत 2023 और 2024 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था
अक्टूबर 2022 से भारत के विकास के दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं हुआ है. आईएमएफ ने कहा, ‘2024 में 6.8 फीसदी तक पहुंचने से पहले भारत में विकास 2022 में 6.8 फीसदी से घटकर 2023 में 6.1 फीसदी हो जाएगा.’ इसका मतलब है कि भारत 2023 और 2024 दोनों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.