प्रेस की आजादी को एक बार फिर ‘नाथने’ की तैयारी है। केंद्र सरकार ने फेक न्यूज (झूठी खबर) हटाने के लिए नया संशोधन मसौदा जारी किया है। नये मसौदे के मुताबिक‚ डि़जिटल मीडि़या के लिए एक नई कैटिगरी शुरू किए जाने का प्रस्ताव है। इसमें प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) या केंद्र सरकार की कोई एजेंसी झूठी खबर की पहचान करेगी। फिलहाल इस मसौदे को राय के लिए जारी किया गया है। दरअसल‚ ये सारी कसरत सोशल मीडि़या में चल रही किसी खबर और रिपोतार्ज को खत्म करने या हतोत्साहित करने की है। कोई एक पक्ष खासकर सरकार और उसके अंग कैसे किसी खबर को फेक साबित करेंगेॽ क्या यह प्रेस की आजादी पर सुनियोजित हमला नहीं हैॽ क्या सरकार के इस कदम को जायज ठहराया जा सकता हैॽ होना तो यह चाहिए कि कौन सी खबर झूठी है या भ्रामक है‚ इस बारे में मीडि़या संगठनों से पहले सलाह लेनी चाहिए। यह अकेले सरकार तय नहीं कर सकती। यह मीडि़या पर सेंसरशिप है और अगर समय रहते इस साजिश के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं की जाएगी तो आगे चलकर मीडि़या की कमर हमेशा के लिए झुक जाएगी और आत्मविश्वास गहरे तक धंस जाएगा। यह कवायद इसलिए ज्यादा हड़़बड़़ी और एक खास मकसद का संदेश दे रही है क्योंकि फेक न्यूज को रोकने या उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पहले से कई कानून मौजूद हैं। खुद पीआईबी ने फेक न्यूज २०१९ में अपनी फैक्ट चेकिंग यूनिट का गठन किया था। इस यूनिट का मुख्य काम था सरकार या सरकार से जुड़़ी किसी भी खबर को जांचना और पता लगाना कि खबर सही है या गलत। बहरहाल‚ पत्रकारों के संगठन एडि़टर्स गिल्ड़ ऑफ इंडि़या ने इसे मसौदे से हटाने की मांग की है। दरअसल‚ सरकार को जब भी लगता है कि मीडि़या में उसके खिलाफ खबरें ज्यादा प्रसारित होने लगी है या उसके खिलाफ माहौल बनाया जाने लगा है तो वह सबसे पहले मीडि़या को दिव्यांग करना चाहती है। इस कदम को मोदी सरकार की ओर से बड़़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। हां‚ भडकाऊ और देश विरोधी खबरों के खिलाफ सरकार का एक्शन जरूरी है‚ मगर पीछे के दरवाजे से मीडि़या को कमजोर करने की सरकार की यह पहल उसके लिए जी का जंजाल न बन जाए।
महाकुंभ-प्रयागराज की सड़कों पर लगा जाम ,सुबह 10 बजे तक 40.02 लाख लोगों ने किया स्नान
महाकुंभ में आज शुक्रवार को फिर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है। सुबह 10 बजे तक 40.02 लाख लोगों ने...