पुलिस महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी ने बुधवार को सूबे के सभी पुलिस अधीक्षकों और थानेदारों से कहा कि ‘अपराधी को दौडाओ नहीं तो वह आपको दौडाएगा। चुन लो दोनों में से क्या करना है और मैं देखूंगा कि आप क्रिमिनल को दौडा रहे हो या नहीं।’ ड़ीजीपी पुलिस मुख्यालय के हॉल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी आईजी‚ पुलिस अधीक्षकों और थानेदारों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि ‘अपने काम के तरीके को बदलना होगा। चाहे बात जनता की हो या फिर अपने विभाग के ही अफसरों व जवानों की‚ हर किसी की सुननी होगी। काम में लापरवाही नहीं चलेगी।’ उन्होंने कहा कि ‘क्रिमिनल को दौडाओ‚ क्राइम कम होगा। मैं ये मानने को तैयार नहीं कि आप क्रिमिनल को दौडा नहीं सकते। उन्हें दौडाओ। यही अपराध से बचाव का तरीका है।’
भट्टी ने कहा कि ‘ पेट्रोलिंग को अपडेट करना होगा। अपराधियों और उनके ठिकानों की पहचान करनी होगी। मुझे पता है कि इंवेस्टिगेशन में बहुत विलंब हो रहा है। आपको इसे ठीक करना है और टाइमली इंवेस्टिगेशन करना है।अपना सिस्टम बनाओ। पेंडिंग केसों की संख्या देखो। कर्मचारी या साधन की कमी है तो आवश्यकता के अनुसार उसे पूरा किया जाएगा। प्राथमिकी में गलत नाम दर्ज कराने की प्रवृत्ति रहती है। लोगों में बहुत तरह की रंजिशें होती हैं। प्राथमिकी में गलत नाम आया हो तो उसे हटाओ। उसका स्पष्ट कारण भी लिखो। किसी को डरने की जरूरत नहीं है। आपको समय देना होगा। निष्पक्ष रहना होगा। अपना फैसला देना होगा। अगर आपके खिलाफ शिकायत आ रही है कि आप गलत काम कर रहे हैं और आरोप सही साबित हुए तो आपके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इसलिए न्याय करो।’ पुलिस महानिदेशक ने कहा ‘ किसी क्षेत्र में हत्या‚लूट‚डकैती‚ रेप की पहली घटना का इंवेस्टिगेशन थानेदार करेंगे। जांच की जिम्मेवारी थानेदार को पहले खुद लेनी होगी। दूसरा जघन्य अपराध होगा तो उसका इंवेस्टिगेशन थानेदार के बाद सेकेंड लीडरशिप का अफसर करेगा। इसके लिए जल्द ही एक आदेश जारी किया जायेगा। थानों में काम का बंटवारा करते वक्त थानेदार को निष्पक्ष रहना होगा। मैं थानों में आकर देखूंगा कि आप केस किस आधार पर काम बांटते हो। मनमुटाव की बात थानों में नहीं होनी चाहिए।’ भट्टी ने कहा कि ‘सभी पुलिस अधिकारी जिले में सोशल मीडिया सेल शुरू करें। इसके लिए टीम बनाकर २४ घंटे काम करना होगा। सही काम को दर्शाओ। सोशल मीडिया के जरिये उसे पब्लिक तक पहुंचाओ। हमेशा विश्वसनीय बातों को रखें।’
ड़ीजीपी ने पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को भी सख्त नसीहत दी। उन्होंने कहा कि ‘अधीनस्थों को बेवजह बचाने की मानसिकता बदलनी होगी। हर काम परिणाम मूलक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम फोर्स हैं। अनुशासन कहां से आता है। बुनियादी ट्रेनिंग के बाद रेगुलर ट्रेनिंग से अनुशासन और नैतिकता आती है। पुलिस लाइन में रेगुलर ट्रेनिंग होनी चाहिए। फील्ड और ऑफिस‚ दोनों ही जगहों पर बैठने वालों की ट्रेनिंग होनी चाहिए। जिस तरह से रिफ्रेशर कोर्स कराया जाता है‚ वैसे ही जिलों में कराना होगा। अत्याधिक काम और प्रतिनियुक्ति का बहाना नहीं चलेगा। ट्रेनिंग से महत्वपूर्ण कोई चीज नहीं है। इसके लिए जिलों में मास्टर ट्रेनर उपलब्ध होंगे। जवानों को यूनिफॉर्म पहनने पर गौरव होना चाहिए। उसे सही से पहनना चाहिए। सही रंग का खाकी यूनिफॉर्म पहनना चाहिए। जिसका जो मन आता है‚ वह पहन लेता है। यह नहीं चलेगा। निर्धारित जूता ही पहनना होगा।’