हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के 68 सीटों पर मतगणना शुरू हो गई है। प्रदेश के शुरुआती रुझानों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यहां की सभी 68 सीटों के रुझान सामने आ गए हैं। शुरुआती रुझानों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। बता दें कि यहां 12 नवंबर को 68 सीटों पर हुए चुनाव में करीब 66 फीसदी मतदान हुआ था। मतगणना के लिए 59 स्थानों पर 68 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग जारी है। रुझानों में कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है। भाजपा 31 सीटों पर आगे चल रही है तो कांग्रेस को 34 सीटों पर बढ़त मिली है। वहीं, निर्दलीय और अन्य उम्मीदवार 4 सीटों पर आगे चल रहे हैं। AAP अभी खाता नहीं खोल पाई है। प्रदेश में 37 साल पुरानी परंपरा कायम रहेगी या नया इतिहास बनेगा, ये आज दोपहर तक साफ हो जाएगा। हिमाचल में 12 नवंबर को वोटिंग हुई थी।
राज्य में 1985 के बाद कोई पार्टी अपनी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है। तब कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे वीरभद्र सिंह। इस बार सबकी नजर इसी बात पर है कि क्या पहाड़ पर सरकार बदलने का ट्रेंड जारी रहेगा या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सहारे भाजपा इस रिवाज को बदलने में कामयाब रहेगी।
अपडेट्स….
- शिमला ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व CM दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह कुल 7233 मतों से आगे चल रहे हैं।
- CM जयराम ठाकुर अपने निर्वाचन क्षेत्र सेराज में कुल 14,921 मतों से आगे चल रहे हैं।
- निर्दलीय उम्मीदवार केएल ठाकुर, नालागढ़ और और हितेश्वर सिंह बंजार विधानसभा क्षेत्रों से आगे चल रहे हैं।
- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिले की चार में से 2 सीटों पर BJP और दो सीटों पर कांग्रेस आगे है।
- हिमाचल में 9.25 बजे तक वोट शेयर: कांग्रेस-44.7% वोट, BJP-40.8% और अन्य -12.1%।
- शुरुआती रुझान में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद हिमाचल BJP अध्यक्ष सुरेश कश्यप प्रदेश पार्टी कार्यालय पहुंच गए हैं
शुरुआती रुझान के बाद कांग्रेस के टेंट सूने
पोलिंग के बाद कांग्रेस ने EVM में गड़बड़ी की आशंका जताते हुई कई जगह स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर टेंट लगाए थे। स्ट्रॉन्ग रूम से EVM काउंटिंग सेंटरों पर ले जाए जाने के बाद कांग्रेस के यह तंबू खाली हो गए। बिलासपुर जिले की घुमारवीं सीट की EVM घुमारवीं कॉलेज में रखी गई थी। गुरुवार सुबह यह टेंट खाली नजर आया।
राजनीति में बागी हो जाना आम बात है. खासकर उन छोटे राज्यों में, जहां विधानसभा सीटों की संख्या कम है. हिमाचल प्रदेश की जनता हर बार अपने लिए नई सरकार चुनती है. पिछले 5 साल से हिमाचल में BJP का राज है. लिहाजा, जब टिकट बंट रहे थे तो बीजेपी ने 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए. वजह सिर्फ यही थी कि किसी भी तरह बीजेपी दोबारा सत्ता में आना चाहती थी. हालांकि, कांग्रेस भी नाराज और बागी नेताओं से परे नहीं थी. दोनों ही पार्टियों को बागी नेताओं का सामना करना पड़ा. हमने इस खबर में 5 बागी नेताओं के बारे में बता रहे हैं, जो हिमाचल की राजनीति में रसूख रखते हैं लेकिन इस बार टिकट न मिलने पर निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
इंदु वर्मा, सीट-ठियोग
इंदु, पिछले दो दशक से हिमाचल की राजनीति में सक्रिय हैं. वह तीन बार के विधायक राकेश वर्मा की पत्नी हैं, जिनका हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया था. जुलाई में ही इंदु ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस जॉइन की थी. इंदु को उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें ठियोग से चुनाव लड़ाएगी, लेकिन अंतिम समय पर उन्हें टिकट नहीं मिली. इसलिए इस चुनाव में वह ठियोग सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ रही हैं. कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व कांग्रेस नेता जेबीएल खाची के बेटे विजय पाल खाची को टिकट दिया है. इस सीट पर सुबह 10 बजे तक कोई अपडेट चुनाव आयोग की की वेबसाइट पर नहीं दिखा.
कृपाल सिंह परमार, सीट-फतेहपुर
कृपाल सिंह बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. पहले उन्हें जिले और फिर राज्य में बड़ी जिम्मेदारी मिली. उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा भी भेजा और हिमाचल में वाइस प्रेसिडेंट भी बनाया. लेकिन फतेहपुर पर बाईपोल इलेक्शन में उन्हें टिकट नहीं मिली. इसके बाद उन्हें राज्य की लीडरशिप पर सवाल खड़े किए. बीजेपी ने बाईपोल में बलदेव ठाकुर को टिकट दिया, हालांकि वह कांग्रेस के भवानी पठानिया से 5800 वोटों से हार गए. इस बार के चुनाव में कृपाल सिंह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से कृपाल सिंह परमार, बीजेपी और कांग्रेस दोनों से करीब 7000 हजार वोटों से पीछे हैं.
हितेश्वर सिंह, सीट-बंजर
कुल्लू में रॉयल फैमिली से आने वाले महेश्वर सिंह के बेटे हैं हितेश्वर सिंह. महेश्वर हिमाचल लोकहित पार्टी के जरिए विधानसभा सीट जीत चुके हैं. हिमाचल लोकहित पार्टी बाद में बीजेपी में मिल गई. अब, हितेश्वर सिंह ने कहा कि वह बंजर सीट से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ेंगे. इसी के चलते उनके पिता महेश्वर सिंह का टिकट भी पार्टी ने काट दिया है. हितेश्वर सिंह का परिवार काफी समय से राजनीति में है. देखना ये है कि इस चुनाव में हितेश्वर क्या कमाल दिखाते हैं. इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हितेश्वर सिंह दूसरे नंबर पर चल रहे हैं.
दयाल प्यारी और गंगू राम मुसाफिर, सीट-पछाड़
हिमाचल के सिरमौर में एक विधानसभा सीट है पछाड़. ये सीट एससी के लिए रिजर्व है. दयाल प्यारी बीजेपी की बागी नेता हैं. इस बार वह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव में हैं. उनका मुकाबला इस बार बीजेपी की मौजूदा एमएलए रीना कश्यप से है. 2019 के बाई इलेक्शन में दयाल प्यारी बीजेपी से टिकट की दावेदार थीं लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. इस सीट पर कांग्रेस से ही बागी हुए 7 बार के विधायक गंगू राम मुसाफिर भी चुनाव लड़ रहे हैं. फिलहाल बीजेपी की रीना इस सीट से आगे हैं और दयाल प्यारी इस सीट से दूसरे नंबर पर चल रही हैं.
के एल ठाकुर, सीट-नालागढ़
ठाकुर, इरिगेशन और पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट से वॉलेंटरी रियाटरमेंट लेकर बीजेपी में आए थे. उन्होंने बीजेपी के टिकट पर 2012 में चुनाव लड़ा और जीते. लेकिन इस बार वो टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. अपनी हर रैली में वो लोगों से पूछते हैं- मेरा क्या कसूर? इस सीट पर के एल ठाकुर सबसे आगे चल रहे हैं.