सचिन पायलट खेमे के लोगों का मानना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कट्टर विरोधी पायलट को एक इंच भी जगह नहीं देने वाले. इससे दोनों नेताओं के बीच परेशानी और तनाव बढ़ सकता है. गौरतलब है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 4 दिसंबर की शाम राजस्थान में प्रवेश कर रही है और 20 दिसंबर तक राज्य के कई शहरों से गुजरेगी. यात्रा के इन्हीं लगभग 16-17 दिन कांग्रेस नेतृत्व की रातों की नींद हराम रहने वाली है, क्योंकि पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि राजस्थान में ‘कौन बनेगा सीएम’ का राजनीतिक द्वंद्व राहुल गांधी के प्रयासों पर पानी न फेर दे. कांग्रेस आलाकमान को आशंका है कि यात्रा का राजस्थान चरण उसके उद्देश्य को नाकाम कर सकता है. यही कारण रहा कि संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल को पहले ही जयपुर भेज कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह दिखाने की कोशिश की गई कि दोनों के बीच सब ठीक है. उसके पहले अशोक गहलोत ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल पायलट के लिए कर चुके थे.
अभी से शुरू हो चुका है पोस्टर वॉर
यह अलग बात है कि उस फोटो ऑप के 24 घंटे के भीतर ही राज्य के प्रमुख शहरों में अशोक गहलोत के नए पोस्टर सामने आ गए. ये पोस्टर गहलोत को राज्य के वास्तविक और एकमात्र नेता के रूप में पेश कर रहे थे. सचिन पायलट के समर्थकों ने गहलोत के इस पोस्टर दावे को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन ने सचिन पायलट के पोस्टर हटा दिए. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान चरण में कई शहरों से गुजरेगी. इस दौरान वह 521 किलोमीटर की दूरी तय कर 18 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों से जुड़ने का प्रयास करेगी. इनमें झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, दौसा और अलवर जिले के विधानसभा क्षेत्र प्रमुख हैं. गौरतलब है कि झालावाड़ और दौसा को पायलट के गढ़ के रूप में देखा जाता है. हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा में झालावाड़ और दौसा को शामिल करना ‘सुविधा’ थी, कोई ‘राजनीतिक मंशा’ नहीं. यह अलग बात है कि इन दो जिलों को शामिल करना ही वह एकमात्र कारण होगा, जिसके तहत गहलोत समर्थक यह सुनिश्चित करना चाहेंगे की इन जिलों में सीएम की उपस्थिति सचिन पायलट पर भारी पड़े.
सचिन पायलट के इस ट्वीट ने दिया कयासों को जन्म
सत्ता की इस खींचतान के बीच शनिवार को पायलट का एक ट्वीट आया, जिसमें वह अपने जूते के फीते बांध रहे हैं. बाद में नन्हे समर्थकों के साथ दौड़ रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इसी अंदाज में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने ट्वीट किए थे. गौरतलब है कि राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के तहत अपने समर्थकों के साथ दौड़ते और लोगों को यात्रा में शामिल होने के आह्वान वाले वीडियो काफी शेयर किए गए. ऐसे में राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में सवाल तैरने लगे हैं कि क्या सचिन पायलट राजस्थान में यात्रा पर हावी होना चाहते हैं या इस वीडियो के जरिये वह महज अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं? पायलट के करीबी लोगों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अशोक गहलोत अपने कट्टर विरोधी को मंच पर एक इंच भी जगह नहीं देंने वाले. गहलोत खेमा यह हर हाल में सुनिश्चित करना चाहेगा कि सचिन पायलट को जरा भी भाव नहीं मिलने पाए. वास्तव में कुछ लोगों को डर है कि नेताओं के एक वर्ग को पायलट पर दोष मढ़ने के लिए परेशानी खड़ी करने के लिए कहा जा सकता है. हालांकि गहलोत के समर्थक इसे बेबुनियाद आरोप बताते हैं. वे तर्क देते हैं कि यह बेहद स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री के रूप में राहुल गांधी के बाद अशोक गहलोत यात्रा का नेतृत्व करें.
कांग्रेस आलाकमान रख रहा है फूंक-फूंक कर कदम
सचिन पायलट के इस ट्वीट और दोनों पक्षों के बीच पोस्टर वार ने यह साफ कर दिया है कि केसी वेणुगोपाल की उपस्थिति में गहलोत-पायलट के मिलाए गए हाथ की पकड़ मजबूत नहीं है. दोनों नेताओं और समर्थक खेमों के बीच भरोसे का नितांत अभाव है. यहां तक कि शीर्ष नेतृत्व भी जानता है कि दोनों पक्ष कभी एक साथ नहीं आ सकते हैं. अगले साल राजस्थान में आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह कोई शुभ संकेत नहीं है. सचिन पायलट को लगता है कि उनके पक्ष में फैसला आना तय है, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें भरोसा दिया था कि उनका समय भी आएगा. हालांकि इस फेर में हो रही देरी ने उन्हें अधर में छोड़ दिया है. गौरतलब है कि भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश चरण के दौरान ही अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर ‘गद्दार’ के रूप में जोरदार हमला बोला था. वह भी तब जब वह सोनिया गांधी से माफी मांग चुके थे. सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने दोनों नेताओं से कहा है कि मुख्यमंत्री कौन रहेगा या बनेगा, इस पर फैसला 20 दिसंबर के बाद ही लिया जाएगा. यानी जब भारत जोड़ो यात्रा रेगिस्तानी राज्य से विदा हो चुकी होगी. ऐसे में तब तक उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई नया राजनीतिक तूफान न उठे खासकर यात्रा के राजस्थान में रहते हुए.