बिहार में चुनावी बयार भले बह रही हो, लेकिन जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह के दिलो दिमाग पर फगुनाहट की बयार अभी भी बह रही है। जहां एक ओर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाथ जोड़ मीडिया का अभिनंदन कर रहे हैं, वहीं ललन सिंह मीडिया को बिकाऊ कहकर जनता को यह समझा रहे हैं कि इनकी बात का भरोसा न करें। हैरतंगेज बात तो यह है कि मीडिया पर हमला करने वाले यह बताने की जुर्रत नहीं कर रहे हैं कि खरीददार कौन है? जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह शायद यह भूल गए हैं कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम आई थी। और तब जस्टिस काटजू ने क्या क्या कहा था? बहरहाल, राजनीत में जब जब ललन सिंह प्रेशर में आते हैं तो ऐसे बयानों से भड़ास मिटाने की आदत है। इसके पहले भी ललन सिंह ने पत्रकारों पर हमला करते हुए कहा था कि पत्रकारों को शराब नहीं मिलता है इसलिए विरोध में लिखते हैं।
याद होगी वह घड़ी जब नीतीश कुमार से मतभेद के कारण कांग्रेस की शरण में जाने वाले ललन सिंह ने तब नीतीश कुमार पर हमला बोलते कहा था कि नीतीश कुमार के पेट में कहां कहां दांत है हम जानते हैं। और वहीं ललन सिंह आज नीतीश कुमार की कशीदाकारी में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। राजनीतिक जगत में एक जो उक्ति है कि राजनीति में न तो सदा के लिए दोस्त होता है न सदा के लिए दुश्मन। इसके सबसे सटीक उदाहरण है ललन सिंह।
ललन सिंह जी, सवाल तो यह उठता है?
अगर मान लें कि ललन सिंह का इशारा बीजेपी या पीएम नरेंद्र मोदी हैं तो ललन सिंह को यह याद रखना होगा कि बीजेपी के साथ नमो की छाया में सबसे ज्यादा कोई राजनीतिक पेंगें ली है तो वह दल है जेडीयू। बिहार में सत्ता में बने रहे तो बीजेपी के साथ 17 वर्षों के शासन में नेतृत्व की भूमिका में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे हैं। तो ललन सिंह को बताना चाहिए कि कौन है मीडिया का सबसे बड़ा खरीदरार।
बिहार सरकार कितना देती है विज्ञापन
वरिष्ट पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि मुझे तो हैरानी हो रही है। जिस राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया का अभिनंदन करते हैं और आग्रह करते हैं कि जगह हम लोगों को भी दीजिए। वहां ललन सिंह का यह बयान हतप्रभ करने वाला है। ललन सिंह को इस बात का जवाब देना चाहिए कि विज्ञापन मद में प्रति माह 130 करोड़ अखबार पर खर्च करना क्या बिहार में सबसे बड़ा खरीदार वाली स्थिति से अलग है क्या? प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात कहने वाली जेडीयू का पार्टी बजट क्या है? यह बताएंगे ललन सिंह। आश्चर्य है कि विज्ञापन पर करोड़ों का बजट बनाने वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का यह कहना कि मीडिया बिकाऊ यानी मीडिया अभी भी स्वतंत्र नहीं है हैरानी पैदा करती है।
बिकाऊ तो मीडिया को नेताओं ने बनाया
देश प्राण के संपादक प्रवीण बागी कहते हैं ललन सिंह भूल गए हैं कि मीडिया को बिकाऊ नेताओं ने बनाया। इन्हीं की सरकार में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम बिहार आई थी। ललन सिंह को हिम्मत है तो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट को पढ़ लें। इसी रिपोर्ट में कहा गया था न कि जो अखबार विरोध में खबर छापते हैं उसका विज्ञापन रोक दिया जाता है। मन करता हो तो काटजू की रिपोर्ट पढ़ लें, पता चल जाएगा कौन है सबसे बड़ा खरीदार?
बीजेपी की सलाह मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती हो ललन सिंह
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. रामसागर सिंह ने कहा कि जेडीयू के घटते जनाधार से ललन सिंह अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। यही वजह है कि कुढ़नी में वोट मांगने के बजाए जनता को मीडिया के खिलाफ भड़का रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि ललन सिंह का इलाज कोइलवर मानसिक आरोग्यशाला में कराएं।