उमेश कुशवाहा एक बार फिर जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष चुने गए हैं। अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की मौजूदगी में उमेश कुशवाहा ने निर्वाचन पदाधिकारी के सामने अपना नामांकन किया। वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ पार्टी के तमाम नेताओं को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि पार्टी ने एक बार फिर हमें बड़ी जिम्मेदारी दी है इसलिए हम अध्यक्ष पद पर एक बार फिर से नामांकन किए हैं। उन्होंने कहा हमारी पार्टी जेडीयू ‘लव-कुश’ के साथ साथ सभी समीकरण को लेकर काम करती है संगठन हो या सरकार सभी में सभी वर्ग के लोगों को बराबरी का हिस्सेदारी भी मिलती है।
नॉमिनेशन करने के बाद उमेश कुशवाहा ने कहा कि पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुझ पर भरोसा जताया है तो मैं आगे अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी से निर्वहन करूंगा। दुबारा मुझे प्रदेश अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया है।
चुनावी प्रक्रिया पर मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन हमारे नेता ने मुझ पर जो उम्मीद जताई है, उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। नीतीश कुमार ने जो विकास के साथ न्याय की, जो नींव रखी है, उस पर में पूरी तरह से खरा उतरूंगा।

उमेश को लेकर कोई विवाद नहीं
उमेश कुशवाहा को लेकर पार्टी में कोई गतिरोध नहीं है। उमेश कुशवाहा स्मूथ तरीके से पार्टी का संचालन कर रहे हैं। ना उनके खिलाफ कोई गुट बना है और ना ही वह किसी गुट में शामिल है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर वह उतना ही काम करते हैं जितना उन्हें कहा गया है वैसे भी उमेश कुशवाहा का पूरा टेन्योर नहीं हुआ था।
बीच में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को हटाकर उमेश कुशवाहा को जिम्मेदारी दी गई थी। ऐसे में महज 22 महीने ही उमेश कुशवाहा इस पद पर रहे हैं। इस मुताबिक उमेश कुशवाहा का निर्वाचन होना एक बार फिर से तय माना जा रहा है।

उमेश के सहारे लव-कुश समीकरण को साधेगा जदयू
जदयू का समीकरण के मुताबिक उमेश कुशवाहा इस पद पर फिट बैठते हैं। लव-कुश समीकरण को लेकर चलने वाली जदयू के लिए प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा हो यह जरूरी है। क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं। वह जदयू के सर्वमान्य नेता है। वहीं अगड़ों के नाम पर अध्यक्ष ललन सिंह हैं।
ऐसे में जरूरत एक कुशवाहा नेता की है, जो की-पोस्ट पर हो और उमेश कुशवाहा इसके लिए मुनासिब नाम है। इनके नाम पर कोई विरोध भी नहीं है। सूत्रों की माने तो उमेश कुशवाहा से बड़ा प्रदेश स्तर पर कुशवाहा में कोई नेता नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा ने पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बनने से मना कर दिया है। वह जदयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन हैं।
संगठन में बहुत फेरबदल की गुंजाइश नहीं
चर्चा में यह है कि जदयू और राजद का विलय होना है। ऐसे में जदयू कोई बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहती है। जिस तरह से पार्टी स्मूथ तरीके से चल रही है। उसमें कोई भी व्यवधान नहीं डालना चाह रही है।
आने वाले महीनों में यदि जदयू और आरजेडी का विलय हो जाता है तो, उमेश कुशवाहा को प्रदेश स्तर का ही कोई पोस्ट देकर लव-कुश समीकरण को नीतीश कुमार आगे भी साधेंगे। फिलहाल प्रदेश स्तर पर संगठन में बहुत फेरबदल की गुंजाइश नहीं दिख रही है।