नीतीश कुमार अक्सर सरकार और संगठन को लेकर अच्छी-अच्छी बातें करते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर महात्मा गांधी और जय प्रकाश नारायण की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन हाल के दिनों में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में उसका असर धुंधला होता दिख रहा है। आरा से लेकर छपरा तक बवाल ही बवाल नजर आ रहा है। संगठन चुनाव की प्रकिया से गुजर रही जेडीयू से जो खबर सामने आ रही है, उससे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ( Lalan Singh ) के साथ-साथ नीतीश कुमार की भी परेशानी बढ़ने वाली है। लगता है कि रामचंद्र प्रसाद सिंह ( RCP Singh ) भले ही जेडीयू से बाहर हो गए हैं, लेकिन पार्टी के अंदर उनका ‘मिशन’ आज भी काम कर रहा है।
संगठन चुनाव में हर जगह विवाद!
दरअसल, संगठन चुनाव के दौरान जेडीयू में लगातार विवाद देखने को मिल रहा है। विवाद के कारण कई जगहों पर चुनाव स्थगित करना पड़ा। यही नहीं, कई जगहों पर तो जिला अध्यक्ष के चयन के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत कर दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जेडीयू के अंदर संगठन चुनाव की प्रकिया में इतना विवाद क्यों हो रहा है? क्या पार्टी के अंदर किसी का ‘हिडन मिशन’ है जो विवाद करवा रहा है?
आखिर विवाद का कारण क्या है?
जेडीयू में प्रखंड स्तर तक संगठन चुनाव की प्रकिया शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करा ली गई। लेकिन जैसे ही मामला जिला स्तर तक पहुंचा, विवाद सामने आने लगे। पटना से भेजे गए पर्यवेक्षकों पर ही धांधली का आरोप लगने लगे। दरअसल, कई जिलों में पुराने जिला अध्यक्षों को ही जीत मिली है। बताया जा रहा है कि पार्टी के अंदर जिला अध्यक्ष की रेस में आ नए नेताओं को लगने लगा कि उनका अधिकार छीना जा रहा है। यही कारण है कि जिला अध्यक्ष के चुनाव में विवाद हो रहा है।
कहां-कहां हुआ विवाद
बताया जा रहा है कि विवाद के कारण ही मधेपुरा, शेखपुरा, औरंगाबाद, रोहतास में संगठन चुनाव को स्थगित कर दिया गया। वहीं, गया महानगर अध्यक्ष चुनाव का विवाद तो मुख्यालय तक पहुंच गया है। राजू बरनवाल के निर्वाचित होने के बाद बाकी उम्मीदवारों ने धांधली का आरोप लगाया है। इसके अलावा नालंदा, मधुबनी, बेगूसराय और छपरा में अध्यक्ष कौन होगा, इसका फैसला नीतीश कुमार के ऊपर छोड़ दिया गया है।
तो आरसीपी कर रहे खेल?
संगठन चुनाव में जो विवाद दिख रहा है क्या उसमें आरसीपी का कोई रोल है? शायद नहीं… हो भी सकता है! शायद नहीं इसलिए कि वे अब पार्टी में हैं ही नहीं तो खेल कैसे करेंगे। हां इसलिए कि जब आरसीपी जेडीयू के अध्यक्ष थे तो उन्होंने जेडीयू नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए विकल्प खड़ा करने का प्रयास किया था। बताया जाता है कि आज भी जेडीयू में कई ऐसे नेता हैं, जो आरसीपी से जुड़े हुए हैं। जिन्हें आरसीपी ने परफॉर्मेंस के आधार पर जिम्मेदारी देने का वादा किया था। कहा जा रहा है कि भले ही आरसीपी पार्टी में नहीं हैं, लेकिन जेडीयू के अंदर उनके समर्थकों की कोई कमी नहीं है। शायद यही वजह है कि नए-पुराने के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है और उसका असर संगठन चुनाव में भी दिख रहा है।