ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी मांगलिक कार्य में शुक्र ग्रह की उपस्थिति आवश्यक है। शुक्र ग्रह के अस्त होने से अभी शादी–विवाह पर विराम लगा हुआ है। दो अक्टूबर से अस्त शुक्र ग्रह के अग्रहण कृष्ण एकादशी रविवार २० नबंवर को उदित होते ही वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे। उत्पन्ना एकादशी के साथ सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग‚ जयद् योग‚ प्रीति योग का हस्त नक्षत्र विद्यमान रहेगा। इस वर्ष नवंबर–दिसंबर में कुल १३ दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। १६ दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान एक मास तक मांगलिक कार्य पर विराम लग जाएगा।
शुक्र के राशि परिवर्तन से बदल जाएगा मौसम
शुक्र के राशि परिवर्तन का प्रभाव अगले २३ दिनों तक देश–दुनिया‚ मौसम और अर्थव्यवस्था पर पडेगा। ज्योतिष शास्त्र में कोमल ग्रह शुक्र को भौतिक सुख‚ वैवाहिक सुख‚ शोहरत‚ कला‚ प्रतिभा‚ सौन्दर्य‚ रोमांस‚ धन‚ ऐश्वर्य‚ संपन्न‚ आकर्षण आदि का कारक माना जाता है। इसलिए जब भी शुक्र अस्त होता है तो शुभ परिणामों की कमी हो जाती है। शुक्र के राशि परिवर्तन से सर्दी बढने और देश के कुछ हिस्सों में तेज बारिश होगी। कीमती धातुओं में तेजी और राजनीति में उतार–चढाव देखने को मिलेगा। शुक्र के राशि परिवर्तन से मेष‚ कर्क‚ सिंह‚ कन्या‚ तुला‚ वृश्चिक‚ धनु‚ मकर और मीन राशि के जातकों को लाभ मिलेगा।
सांसारिक और भौतिक सुखों के कारक हैं शुक्र
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को सांसारिक व भौतिक सुखों का कारक माना गया है। किसी ग्रह के सूर्य के करीब आते ही वह ग्रह कमजोर पडÃने लगता है। उस ग्रह के सकारात्मक प्रभाव समाप्त होने लगते हैं। इसी कारण इसे अस्त कहते हैं। शुक्र को भोर का तारा कहा जाता है। जब ये सूर्य के पास आता है तो इसकी ऊर्जा मलीन हो जाती है और दिखना बंद कर देता है।
शुक्र अस्त में विवाह करने से रिश्तों में खटास
शुक्र अस्त होने के बाद शादी–विवाह व अन्य मांगलिक कायोंर् पर रोक लग जाती है। शुक्र अस्त के समय विवाह करने से कुछ समय के बाद ही रिश्तों में खटास उत्पन्न हो जाती है। शादी टूटने तक की भी स्थिति बन जाती है। जीवनसाथी की तरक्की और सेहत पर भी बुरा असर पडÃता है। इसलिए शुक्र अस्त होने पर विवाह करने की मनाही होती है।