बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर हो रहे उप चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार का आधिकारिक तौर पर एलान कर दिया है। केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने पुराने कार्यकर्ता केदार गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई है। वे पहले भी भाजपा से विधायक रह चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी डा. संजय मयूख ने इसकी जानकारी दी है।
दूसरी बार होंगे कुशवाहा और गुप्ता आमने सामने
आपको बता दें कि महागठबंधन की ओर से जदयू ने इस सीट पर मनोज कुमार सिंह कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले 2015 विधानसभा चुनाव में जदयू की ओर से बतौर महागठबंधन प्रत्याशी मनोज और भाजपा के केदार गुप्ता का मुकाबला हो चुका है। 2015 में केदार गुप्ता को 73227 मत मिले थे। वहीं जदयू के मनोज कुमार सिंह (कुशवाहा) को 61657 मत मिले थे। इस तरह से 11570 मतों से जदयू कैंडिडेट मनोज सिंह की हार हो गई थी।
बसावन भगत के नाम की भी थी चर्चा
मिली जानकारी के अनुसार, कुढ़नी उपचुनाव को लेकर शुक्रवार को बिहार भाजपा कोर ग्रुप की बैठक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के आवास पर दिल्ली में हुई थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा संजय जायसवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूर्व विधायक केदार गुप्ता पर फिर से एक बार दांव लगाने पर कई सदस्यों ने नेतृत्व का ध्यान आकृष्ट किया। वहीं, कुछ सदस्यों की राय थी कि पूर्व मंत्री बसावन भगत को लड़ाना चाहिए।
केदार गुप्ता का नाम शुरू से रहा आगे
हालांकि इसके अलावा भी कुछ नामों पर चर्चा हुई, लेकिन शुरू से इसी बात की ज्यादा संभावना थी कि पार्टी केदार गुप्ता पर ही दांव लगा सकती है। इसके अलावा बैठक में कुढ़नी उपचुनाव लड़ने को लेकर पार्टी की रणनीति और सामाजिक समीकरण पर चुनाव समिति के सदस्यों ने विचार-विमर्श किया। केदार गुप्ता मंगलवार को ही अपना नामांकन पत्र दाखिल करने वाले हैं।
बैठक में ये नेता भी रहे थे मौजूद
साथ ही संगठनात्मक गतिविधियों पर चर्चा हुई। बैठक में विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय सिन्हा, विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सम्राट चौधरी, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े, पूर्व मंत्री मंगल पांडेय और भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ मौजूद थे।
महागठबंधन में पड़ी मतभेद की नींव
असर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। फिर भी कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव के बहाने महागठबंधन में मतभेद की नींव पड़ गई है। राजद के पूर्व विधायक डा. अनिल सहनी ने इस क्षेत्र के जदयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अत्यंत पिछड़ा प्रेम पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा-नीतीश कुमार अति पिछड़ों के नेता कहे जाते हैं। देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। लेकिन, उन्हें कुढ़नी में जदयू के लिए एक अदद अति पिछड़ा नेता नहीं मिला। इस क्षेत्र में अति पिछड़े का अधिकार छीन लिया गया।
अनिल सहनी की सदस्यता जाने के कारण हो रहा उपचुनाव
मालूम हो कि फर्जी बिल के आधार पर राज्यसभा से यात्रा भत्ता लेने के आरोप में सीबीआई अदालत ने डा. सहनी को तीन साल की सजा सुनाई है। इसी आधार पर उनकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई है। इसीलिए कुढ़नी में पांच दिसम्बर को मतदान हो रहा है। सहनी पर फर्जी तरीके से यात्रा भत्ता लेने का आरोप 2013-14 में लगा, जब वे जदयू के राज्यसभा सदस्य थे। बाद में सहनी राजद में शामिल हुए और उसके टिकट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में विधायक बन गए।
परिवार के सदस्य नहीं लड़ेंगे चुनाव
डा. सहनी ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने दोषमुक्त होने तक चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। इस अवधि में पत्नी या परिवार के दूसरे सदस्य भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। हां, यह इच्छा जरूर थी कि किसी अति पिछड़े को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाता। उन्होंने कहा कि अगर उनसे विमर्श होता तो किसी अति पिछड़े के नाम की सिफारिश करते। लेकिन, किसी ने उम्मीदवार के बारे में पूछा ही नहीं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीट जदयू को दे दी गई थी। इसलिए उम्मीदवारी तय करने का अधिकार भी उसी को था।
तेजस्वी के कहने पर प्रचार भी करेंगे
डा. सहनी ने कहा कि उनके नेता उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव हैं। उनके कहने पर कुढ़नी में जदयू उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार भी करेंगे। यह अलग बात है कि गैर अति पिछड़ा को उम्मीदवार बनाने से अति पिछड़़ा समाज आहत है। राज्य भर के लोग हमको फोन कर रहे हैं। अफसोस जाहिर कर रहे हैं। हमको न्यायालय पर पूरा भरोसा है। अपनी लड़ाई हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे। निर्दोष साबित होने के बाद जनता का आशीर्वाद लेने फिर जनता के बीच जाएंगे।