रूस ने जब यूक्रेन पर बमबारी शुरू की तो पूरी दुनिया सहम गई। परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को भी समझ में नहीं आया कि युद्ध (Ukraine Crisis) को कैसे रोका जाए। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक फोन कॉल पर जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय छात्रों के निकलने के लिए तोप के मुंह बंद कर दिए तब दुनिया को एहसास हो गया कि भारत यूक्रेन संकट का हल निकाल सकता है। दिल्ली कूटनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया। पीएम ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बात की। हाल में SCO मीटिंग में जब पुतिन से मोदी मिले तो उन्होंने खुलकर कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है। उनके इस दो टूक संदेश की गूंज संयुक्त राष्ट्र में भी सुनाई दी। आज पीएम मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए 45 घंटे के स्पेशल दौरे पर इंडोनेशिया (Indonesia) जा रहे हैं। अमेरिका और उसके सहयोगियों की कोशिश रूस को घेरने की होगी। ऐसे में बाली में जब 20 दिग्गज नेताओं के बीच मोदी बोलेंगे तो उनके सामने एक ‘धर्मसंकट’ भी होगा। दरअसल, रूस हमारा भरोसेमंद पुराना सहयोगी है और भारत उसे कभी नाराज नहीं करना चाहेगा।
रूस पर भारत का रुख
यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव आए लेकिन भारत ने हमेशा दूरी बनाई। अमेरिका के प्रस्ताव पर रूस ने वीटो किया और भारत समेत कई देशों ने वोट ही नहीं किया। महासभा ने प्रस्ताव पारित कर यूक्रेन के शहरों पर रूस के कब्जे की आलोचना की, लेकिन भारत वोटिंग में शामिल नहीं हुआ।
जल्द ही जी20 का ‘बॉस’ बनेगा भारत
पीएम बाली में दुनिया के 10 बड़े नेताओं के साथ अलग से ताबड़तोड़ बैठकें करेंगे। दुनिया के 20 बड़े देशों के इस समूह का नेतृत्व भी एक दिसंबर को भारत को मिलने वाला है। ऐसे में भारत की कूटनीति इंडोनेशिया के बाली में परवान चढ़ सकती है। यहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल होंगे। G20 की अगले साल होने वाली बैठक का लोगो और थीम जारी करते हुए पिछले दिनों पीएम ने कहा था कि पूरी दुनिया में अनिश्चितता और संकट का माहौल है। जी-20 की अगली बैठक सितंबर 2023 में नई दिल्ली में होगी।
रूस को घेरना चाहेंगे अमेरिका+ देश
पीएम ने कहा है कि जी-20 की बैठक एक अवसर है, जहां हम भारत की परंपरा और ज्ञान को एक साथ दुनिया को दिखा सकते हैं। ऐसे में बाली में जब पीएम बोलेंगे तो वह भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति की बौद्धिकता और आधुनिकता से परिचय करा सकते हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन और पश्चिमी देशों के बीच तनाव जैसे मुद्दे हावी रहने की संभावना है। समझा जा रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश मिलकर यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे। मौजूदा खाद्य और ऊर्जा संकट के लिए भी पुतिन के ऐक्शन को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश होगी। ऐसे समय में भारत के रुख पर दुनिया की नजरें होंगी।
तेल पर यूरोप-अमेरिका का ‘खेल’
दरअसल, कई बार रूस से सस्ता तेल खरीदते रहने के लिए भारत को घेरने की असफल कोशिशें की गई हैं। कभी विदेश मंत्री जयशंकर तो कभी केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने पश्चिमी मीडिया को करारा जवाब देकर बोलती बंद करा दी। एक बार जयशंकर अमेरिका में थे और उनसे रूस पर सवाल दागे गए। बाइडन ने भी कहा था कि रूस से तेल खरीद को बढ़ाना भारत के हित में नहीं है। तब जयशंकर ने पोल खोलते हुए कहा था, ‘अगर आप (भारत के) रूस से तेल खरीदने का जिक्र कर रहे हैं तो मैं कहूंगा कि आपका ध्यान यूरोप की ओर होना चाहिए। आंकड़े देख लीजिए, हम जितना तेल एक महीने में खरीदते है, यूरोप उतना एक दोपहर में खरीद लेता है।’ बाइडन ने पीएम मोदी के साथ वर्चुअल मुलाकात के दौरान रूस के साथ तेल आयात के मुद्दे को उठाया था।
कुछ दिन पहले ही सीएनएन को दिए इंटरव्यू में जब यही सवाल मोदी सरकार के मंत्री हरदीप सिंह पुरी से किया गया तो उन्होंने भी आंकड़े सामने रख दिए। उन्होंने ऐंकर को करेक्ट करते हुए कहा कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में रूसी तेल की खरीद 2 प्रतिशत नहीं मात्र 0.2 प्रतिशत की गई थी। जबकि ऐंकर यह साबित करना चाहती थी कि भारत रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री बाली में बोलेंगे तो वह भारत का तटस्थ रुख स्पष्ट करने की कोशिश कर सकते हैं।
उत्तर बनाम दक्षिण
हाल में विदेश मंत्री जयशंकर ने भी कहा था कि बाली में जी20 समिट के दौरान यूक्रेन संघर्ष पर दुनिया के देश अपनी भावनाओं को व्यक्त करेंगे। जयशंकर ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि भावनाओं का आवेग है। जो हो रहा है, उसे मजबूत विचार और ध्रुवीकरण के रूप में दर्शाया जा सकता है, लेकिन राजनीति, रणनीति या … यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में। एक तरह से इसे पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण के रूप में लिया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ हद तक यह उत्तर-दक्षिण ध्रुवीकरण बन गया है क्योंकि दक्षिण (विकसित एवं विकासशील देश) वास्तव में किसी भी निर्णय को प्रभावित किए बिना इसके प्रभाव का खामियाजा महसूस कर रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के हमारे हिस्से में और भी कई मुद्दे हैं, उनमें से कुछ आर्थिक मुद्दे हैं।
45 घंटे बाली में रहेंगे मोदी
मोदी 14 से 16 नवंबर तक बाली में रहेंगे। खास बात यह है कि इंडोनेशिया में 45 घंटे के प्रवास के दौरान मोदी 20 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों से जुड़ने के लिए पीएम एक सामुदायिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे।
क्या जिनपिंग से भी मिलेंगे?
शिखर सम्मेलन तीन सत्रों में होगा और पीएम सभी सत्रों में शामिल होंगे। दुनिया के किन नेताओं से पीएम की मुलाकात होगी, इस सवाल के जवाब में विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया है कि कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। हालांकि रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि हाल में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने भारतवंशी ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अलावा जर्मनी के चांसलर और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के साथ बैठक तय हो चुकी है। चूंकि वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी होंगे, ऐसे में पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकात की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि इंडोनेशिया में राष्ट्रपति बाइडन और पीएम मोदी की मुलाकात तय है।
क्यों इतना महत्वपूर्ण है जी-20
यह समूह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का करीब 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की लगभग दो तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष इंडोनेशिया है। एक दिसंबर से भारत को इसकी अध्यक्षता मिल जाएगी। खास बात है कि यह समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का गठजोड़ है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया से लेकर चीन, भारत, इंडोनेशिया, इटली, सऊदी अरब, ब्रिटेन तुर्किये, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।