भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस ड़ीवाई चंद्रचूड़़ ने कहा है कि कानून के पेशे की संरचना ऐसी है‚ जिसमें सामंती और पितृसत्तात्मक बातें ज्यादा हैं। पेशागत संरचना का यही कारण है जिसके चलते महिलाओं को इस पेशे में उचित जगह नहीं मिल पाई है। शनिवार को एक मीडि़या हाउस के कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका के समक्ष कई चुनौतियां हैं‚ और इनमें पहली चुनौती उम्मीदों पर खरा उतरने की है। जस्टिस चंद्रचूड़़ ने बीते बुधवार को ही कार्यभार संभाला है। दरअसल‚ जीवन को प्रभावित करने वाले प्रत्येक क्षेत्र में परिस्थितियां बदली हैं‚ और कानून का क्षेत्रभी इसका अपवाद नहीं है। जैसा कि सीजेआई ने भी कहा है कि जो कानून आज हमारी किताबों में है‚ औपनिवेशिक काल में इन्हीं कानूनों का प्रयोग उत्पीड़़न के लिए किया जा सकता था। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कानून का प्रयोग कैसे किया जा रहा है। यदि करुणा और सहानुभूति की भावना से कानून का इस्तेमाल किया जा सके तो यकीनन कानून लोगों के दुखों को दूर करने में सक्षम हो सकेगा। करुणा और सहानुभूति ही वे बुनियादी कारक हैं‚ जो आप में अनसुनी आवाज को सुनने और अनदेखे चेहरों को देखने की क्षमता पैदा करते हैं। करुणा और सहानुभूति के साथ इंसाफ और कानून में संतुलन बना कर ही न्यायाधीश अपने मिशन को पूरा कर सकता है। न्यायाधीश इस भूमिका में सफल होते हैं‚ तो न्यायपालिका के प्रति लोगों में विश्वास जमता है‚ और अदालत लोकतंत्र में क्षमतावान संस्था के रूप में अपनी भूमिका का सार्थक निवर्हन कर सकती हैं। चूंकि आज का समय सोशल मीडि़या का है‚ और हर क्षण किसी भी जज का मूल्यांकन होता रहता है‚ सूचनाओं का प्रवाह इस कदर तेज है कि जज का हर शब्द तुरंत बाहर आ जाता है‚ इसलिए नागरिकों का विश्वास न्यायिक प्रणाली में बना रहना जरूरी है। बेशक‚ तमाम देशों की न्यायिक प्रणालियों की परस्पर तुलना किया जाना सामान्य बात है। अमेरिका‚ ब्रिटेन और भारत के संदर्भ में तो यह बेहद स्वाभाविक है क्योंकि ये देश बड़े़ लोकतांत्रिक देश हैं‚ और व्यक्ति के गरिमापूर्ण जीवन के हामी हैं। लेकिन देखना यह होगा कि अदालतें कितने दबाव में कार्य करती हैं। मामलों की सुनवाई के मद्देनजर देखें तो हमारी अदालतें महती भूमिका निभा रही हैं। भारत संवैधानिक लोकतंत्र है‚ और ऐसे में अपारदर्शिता सबसे बड़़ा खतरा है‚ इसके प्रति सतर्कता जरूरी है। जैसाकि सीजेआई ने भी ध्यान दिलाया है।
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