दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल में एक बार फिर से राजशाही को वापस लाने की मांग जोर पकड़ रही है। यही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाकर प्रधानमंत्री का सीधा जनता से चुनाव कराया जाए। दरअसल, नेपाल आम चुनाव के लिए प्रचार तेज हो गया है और सारे ही दल मतदाताओं को साधने के लिए एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं। इन्हीं राजनीतिक दलों में एक दक्षिणपंथी पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) भी है जिसने देश को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने का वादा किया है। यही नहीं नेपाल के धुर वामपंथी नेता केपी शर्मा ओली ने संकेत दिए हैं कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने का समर्थन कर सकते हैं। आरपीपी और ओली की पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रही है।
नेपाली मतदाताओं में बहुत तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रही राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के चेयरमैन राजेंद्र लिंगडेन ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि राजतंत्र को देश का संरक्षक बनाया जाए। नेपाल को एक हिंदू राज्य बनाया जाए जहां प्रधानमंत्री का सीधे चुनाव हो।’ उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम सत्ता हासिल करने की बजाय अपनी प्राथमिकताओं को हासिल करने पर करेंगे। रोचक बात यह है कि इस चुनाव में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने वामपंथी नेता केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन- यूएमएल के साथ समझौता किया है।
नेपाल में तेजी पकड़ रहा है हिंदू राष्ट्र बनाने का मुद्दा
आरपीपी का कहना है कि प्रधानमंत्री का चुनाव सीधे जनता करे। पार्टी ने नेपाल को हिंदू राज्य बनाने का आह्वान किया है जो सनातन धर्म पर आधारित हो जहां सभी धर्मों को पूरी आजादी हो। आरपीपी ने यूं ही नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग नहीं की है। नेपाल में पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी दल शासन में रहे हैं और वहां लोकतंत्र जनता की उम्मीदों को पूरा करने में फेल साबित हुआ है। इससे पहले नेपाल के पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रेम अले ने कुछ समय पहले ही देश को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने की मांग का समर्थन किया था।
पिछले साल अगस्त महीने में नेपाली सेना के पूर्व जनरल रुकमांगुड कटवाल ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र फिर से बनाने के लिए एक अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने इसे हिंदू राष्ट्र स्वाभिमान जागरण अभियान नाम दिया था। उन्होंने कहा था कि यह अभियान धर्म के आधार पर पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देगा। कटवाल साल 2006 से 2009 के बीच नेपाली सेना के प्रमुख रह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि मेरा लक्ष्य हिंदू पहचान को फिर से बहाल करना है न कि हिंदू कट्टरवाद को। यही नहीं नेपाल के 20 हिंदू धार्मिक संगठनों ने एक संयुक्त मोर्चा बनाया है ताकि नेपाल का हिंदू राष्ट्र का दर्जा बहाल किया जा सके।
केपी ओली ने पशुपतिनाथ मंदिर में की थी पूजा
नेपाल की 81.3 प्रतिशत आबादी हिंदू है। साल 2007 के पहले तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र था। माओवादी हिंसा से जूझ रहे नेपाल को एक अंतरिम संविधान के जरिए साल 2007 में एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया। इस कदम से बहुत से गुट खुश नहीं हैं, उनमें आरपीपी भी शामिल है। साल 2013 में हुए संविधान सभा के चुनाव में राजा समर्थकों को मात्र 7 फीसदी वोट हासिल हुआ। इससे नेपाल के सेकुलर देश होने की फिर से पुष्टि हो गई। इसके बाद से ही राजतंत्र के समर्थक नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की उम्मीद को संजोए हुए हैं।
नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग राजशाही की वापसी से पूरी तरह से जुड़ी हुई है। इसकी वजह यह है कि नेपाल के राजा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। जनता में भी अब राजशाही को फिर से वापस लाने की मांग तेज हो गई है। इससे पहले केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री रहने के दौरान राजशाही समर्थकों को साधने की कोशिश की थी। ओली ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि अयोध्या नहीं बल्कि नेपाल का माडी भगवान राम का जन्मस्थान है। यही नहीं ओली ने माडी में भगवान राम की मूर्ति भी लगवा दी। यही नहीं ओली पहले वामपंथी नेता हैं जिन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की और लाखों रुपये मंदिर को सरकारी खजाने से दिया था।
नेपाल में जातीय और भाषाई राष्ट्रवाद का मुद्दा गरम
पिछले दिनों ऐसी भी चर्चा थी कि ओली की पार्टी नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने को अपने चुनावी वादे में शामिल कर सकते हैं। हालांकि यह अभी हुआ नहीं है। अब उनके सहयोगी दल आरपीपी ने हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की है। विश्लेषकों का कहना है कि ओली हिंदू राष्ट्रवाद का कार्ड अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। वह भी तब जब उन्हें ‘सेकुलर’ राज्य से कोई खास लगाव नहीं है। ओली जब भी पार्टी के अंदर फंसते हैं तो धार्मिक और राष्ट्रवाद का कार्ड खेलने लगते हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में हिंदू राष्ट्र का कार्ड इसलिए भी उछाला जा रहा है, क्योंकि देश में जातीय और भाषाई राष्ट्रवाद का मुद्दा तेजी से उठ रहा है। नेपाल में ईसाई मिशनरी भी बहुत तेजी से सक्रिय हो रहे हैं। इन सबसे निपटने के लिए भी हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर जोर दिया जा रहा है।