पिछले 7 दिनों से बीजिंग में चल रही चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की हाई लेवल मीटिंग आज खत्म हो गई। इस दौरान पार्टी कॉन्स्टिट्यूशन (संविधान) में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। ये संशोधन चीन के नेता के रूप में शी जिनपिंग की लीडरशिप को बढ़ा सकता है।
दरअसल बैठक के दौरान पार्टी के मेंबर्स ने नई सेंट्रल कमेटी के लिए वोटिंग की। इसमें 205 मेंबर्स हैं जिनमें 11 महिलाएं हैं। यही कमेटी पोलितब्यूरो मेंबर्स का सिलेक्शन करती है। बैठक खत्म होने के बाद सेंट्रल कमेटी की मीटिंग होती है। इसमें पोलितब्यूरो के 25 मेंबर्स और स्टैंडिंग कमेटी के 7 मेंबर्स चुने जाते हैं। ये मेंबर्स कौन होंगे इसका ऐलान 23 अक्टूबर को किया जा सकता है।
जिनपिंग के आजीवन चीन का राष्ट्रपति बने रहना लगभग तय होने के बाद अब चार पॉइंट में यह जान लेते हैं कि जिनपिंग का राष्ट्रपति बने रहना भारत के लिए खतरा कैसे है…
1. भारत-चीन बॉर्डर पर टकराव बढ़ सकता है
भारत और चीन के बीच चार हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबा बॉर्डर है। इसमें कई जगह पर विवाद है। डोकलाम और गलवान घाटी के विवाद भी इसी तरह के थे। जिनपिंग को आजीवन प्रेसिडेंट बने रहने की आजादी से असीमित ताकत मिल जाएगी। ऐसे में चीन बॉर्डर के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर अपनी ताकत दिखा सकता है। इससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
2. BRI और पाकिस्तान में कॉरिडोर को बढ़ावा
जिनपिंग के प्रेसिडेंट रहने के दौरान ही चीन का बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव यानी BRI प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। इसके जरिए वन बेल्ट वन रोड के जरिए चीन दुनिया भर के देशों को जोड़ रहा है। भारत के पड़ोसी देशों में इस सड़क से चीनी सैन्य बलों की आवाजाही आसान हो जाएगी। वहीं, जिनपिंग की अगुआई में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को बढ़ावा मिलेगा, जिसका भारत विरोध करता रहा है।
3. भारत को तीन तरफ से घेरने की रणनीति
चीन के कर्ज तले दबकर श्रीलंका बदहाल हो चुका है। अब चीन उसका हंबनटोटा पोर्ट इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में चीन का जासूसी जहाज भी वहां पहुंचा था। इधर, पाकिस्तान को चीन लगातार सैन्य सहायता दे रहा है। इनमें आधुनिक हथियार भी शामिल हैं, जिनका सीधा टारगेट भारत ही है। वहीं, नेपाल में भी चीन BRI के जरिए अपना दखल बढ़ा रहा है। इससे भारत की तीन तरफ से घेराबंदी होने का खतरा बढ़ गया है।
4. इंडो-पेसिफिक और हिंद महासागर में दखल
हिंद महासागर में चीनी नौसेना का दखल तो है ही, साथ ही साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) में उसका जापान, वियतनाम, फिलिपींस और मलेशिया से भी टकराव है। शेनकाकू आईलैंड्स को लेकर उसका जापान से पुराना टकराव है। चीन इन आईलैंड्स पर कब्जा करके वहां फाइटर जेट्स और मिसाइल तैनात करना चाहता है। इससे भारत की सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।
पिछले साल CCP में जिनपिंग को हीरो दिखाया
चीन में 2021 में हुई CCP कांग्रेस के दौरान जिनपिंग के लिए खास तौर पर संकल्प पत्र लाया गया था। इसमें बतौर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उपलब्धियां गिनाई गई थीं, तो वहीं उन्हें भविष्य के लीडर के तौर पर भी प्रोजेक्ट किया गया था। CCP के 100 साल के इतिहास में इससे पहले केवल दो संकल्प पत्र लाए गए थे।
इन चार पॉइंट से समझिए कि कैसे चीन में जिनपिंग की लार्जर दैन लाइफ इमेज बनाई जा रही है…
1. जिनपिंग के खिलाफ बयान देने पर सजा
पिछले साल यानी 2021 में चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का कॉनक्लेव हुआ था। इसमें ‘ऐतिहासिक संकल्प-पत्र’ जारी किया गया था। तमाम प्रस्तावों के अलावा इस मीटिंग की खास बात यह रही कि जिनपिंग के खिलाफ बयानबाजी को अपराध की कैटेगरी में डाल दिया गया। यानी जिनपिंग के खिलाफ बोलने पर सजा का प्रावधान है।
2. दो टर्म ही राष्ट्रपति रहने की कंडीशन खत्म
जिनपिंग 2012 में सत्ता में आए थे। उनसे पहले राष्ट्रपति रहे सभी नेता पांच साल के दो कार्यकाल या 68 साल की उम्र होने पर रिटायर होते रहे हैं। 2018 में चीन ने राष्ट्रपति पद के लिए दो टर्म की बाध्यता खत्म कर दी। ऐसे में जिनपिंग पूरी उम्र राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। जिनपिंग का दूसरा कार्यकाल 2023 में खत्म हो रहा है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वे तीसरा कार्यकाल भी लेंगे।
3. चीन के सबसे ताकतवर नेता बने जिनपिंग
शी जिनपिंग 2012 में पहली बार चीन के राष्ट्रपति चुने गए थे। पहला टर्म खत्म होने के बाद CCP की बैठक में उन्हें दोबारा राष्ट्रपति चुन लिया गया। राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा खत्म होने के बाद जिनपिंग अब माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए हैं।
4. जिनपिंग के विचार संविधान में शामिल किए
चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) कांग्रेस ने जिनपिंग के लिए अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बनने की शर्त तो हटाई ही, उन्हें दूसरी बार पार्टी प्रमुख भी चुना गया। वहीं, CCP ने उनके विचारों को संविधान में शामिल करने का फैसला किया था।
100 साल के इतिहास में केवल दो संकल्प-पत्र
जुलाई 1921 की बैठक में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की नींव रखी गई थी। सौ सालों के इतिहास में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी सिर्फ दो संकल्प-पत्र लेकर आई है। पहला 1945 में और दूसरा 1981 में। इन संकल्पों के जरिए माओत्से तुंग और देंग जियाओपिंग को शक्तियां बढ़ाने में मदद मिली थी।