धनतेरस कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हर साल मनाई जाती है। इस साल धनतेरस त्रयोदशी तिथि के प्रारंभ और समापन के समय के कारण असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। इस साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 03 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 23 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 3 मिनट पर होगी इसलिए यमदीप 22 अक्टूबर को ही जलाना शुभ होगा। जबकि उदया तिथि की मान्यता के अनुसार धनतेरस 23 अक्टूबर को मनाना ज्यादा उचित रहेगा। दरअसल 23 अक्टूबर को शाम तक प्रदोष काल है। ऐसे में लोग 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाएंगे।
इस बार धनतेरस पर तीन योग एक साथ पड़ने से ये पर्व अपने आप में खास है। सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग इस पर्व के महत्व को बढ़ा रहे हैं। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:40 से 8:50 के बीच रहेगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। यह पर्व भगवान धनवंतरी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इसके साथ ही धनतेरस प्रदोष व्रत और हनुमान जयंती का संयोग भी एक साथ पड़ रहा है। ऐसा संयोग करीब 27 वर्षों के बाद हो रहा है। दूसरी खास बात यह है पिछले काफी समय से वक्री चल रहे शनि देव 23 अक्तूबर को मार्गी होंगे। शनि के मार्गी होने से कई लोगों की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आएंगे।
धनतेरस पर न खरीदें ये चीजें
धनतेरस के दिन कोई भी नुकीली चीज जैसे कैंची, चाकू आदि न खरीदें। साथ ही इस शुभ पर्व पर काले रंग की किसी भी चीज की खरीदारी न करें। आजकल प्लास्टिक से बनी चीजें भी बाजार में आती हैं लेकिन आप इनसे दूर रहें। यह स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। साथ ही एल्युमिनियम से बनी चीजों से भी दूर रहें क्योंकि इसमें भी राहु का वास होता है, जो दुर्भाग्य का सूचक है।
धनतेरस पर सभी लोगों के घर में बर्तन खरीदे जाते हैं। इस दिन सोना-चांदी और झाड़ृ खरीदने के साथ ही बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई सभी वस्तुओं में 13 गुना वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होकर आपके घर में वास करती हैं। धनतेरस का दिन भगवान धन्वंतरि के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना जरूर क्यों होता है।
बर्तन खरीदने के पीछे ऐसी है मान्यता
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन भगवान धन्वंतरि महालक्ष्मी की तरह सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ तो वह एक पात्र में अमृत लिए हुए थे। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है।
धनतेरस पर धातु खरीदना इसलिए माना जाता है शुभ
मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन धातु खरीदना सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन चांदी खरीदना सबसे शुभ होता है, अगर आप चांदी नहीं खरीद सकते तो इस दिन शुद्ध धातु जैसे पीतल, कांसा, सोना आदि भी खरीद सकते हैं। कहते हैं कि इस दिन स्टील के बर्तन और लोहा नहीं खरीदना चाहिए।
धनतेरस पर जलाया जाता है यमदीप
धनतेरस के दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओर 4 बातियों का दीपदान यानि दीप का प्रज्जवलन करना चाहिए। रात में इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि तथा समृद्धि के लिए कुबेर के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन करके भगवती लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा अवश्य अर्पित करना चाहिए।