अब तक नौ लोगों को अपना शिकार बना चुका था। नेपाल से आए शिकारियों (शफकत अली खान और असगर अली खान) ने ईंख के खेत में पांच गोलियां मारी। इसके बाद वहां मौजूद भीड़ ने तालियां बजाकर खुशी का इजहार किया।
नेपाल से आए पिता-पुत्र की जोड़ी ने मार गिराया

शफकत अली खान के बारे में बाघों के प्रेमी अच्छी राय नहीं रखते हैं। वे इन्हें दुर्दांत हत्यारा कहते हैं। जिसका पेशा और शौक दोनों ही बाघों को मारना है। बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले शोधकर्ता बताते हैं कि शफकत अली खान और असगर अली खान पिता-पुत्र हैं। दोनों बाप-बेटे बाघों के हत्यारे के रूप में जाने जाते हैं। जिनके नाम कई गैरकानूनी कामों से भी जुड़े हैं।
100 मीटर की दूरी से भी लगा सकते हैं निशाना

आदमखोर बाघ को मेनका गांधी भी नहीं बचा सकीं

बगहा में एक आदमखोर बाघ ने आज फिर 2 लोगों को अपना शिकार बनाया है। इस बाघ ने एक मां और बेटे की जान ली है। मामला बगहा के गोवर्द्धना थाना के बलुआ गांव में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का है। मृतकों की पहचान बलुआ गांव के बहादुर यादव की पत्नी सिमरिकी देवी और उसके सात साल के बेटे शिवम कुमार के रूप में हुई है। इस घटना के बाद से गांव के लोग गन्ने के खेत में बाघ की तलाश कर रहे हैं। बाघ ने अब तक 9 लोगों को मार डाला है। पिछले 48 घंटे में बाघ ने 4 लोगों को अपना शिकार बनाया है।
बगहा के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बाघ के हमले में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को भी बाघ के हमले में मां-बेटे की जान चली गई। बीते 3 दिनों में बाघ ने 4 जानें ले ली हैं। गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव में बाघ को एक गन्ने के खेत में वन विभाग और पुलिस टीम ने घेर रखा है। खेत के बाहर 8 शार्प शूटर, 4 बिहार पुलिस के ट्रेंड जवानों के साथ पटना से आए 4 STF के शूटर तैनात हैं।
इस खेत को वन विभाग के करीब 200 से ज्यादा कर्मचारियों ने घेर रखा है। हर 50 मीटर पर 10 वन विभाग के कर्मचारी तैनात हैं। 80 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी भी तैनात हैं। जो ग्रामीणों को आने से रोक रहे हैं।

9 महीने में 10 लोगों पर हमला, 9 की मौत
बाघ ने अब तक 10 लोगों पर हमला किया है। इनमें से 9 की मौत हो चुकी है। शुक्रवार सुबह बाघ ने मां-बेटे पर हमला कर दिया। इसमें दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। 10 साल के बेटे के साथ मां (35) खेत में घास काटने गई थी। तभी पीछे से बाघ ने हमला कर दिया है। इसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। वन विभाग और पुलिस की मदद से गन्ने के खेत से दोनों के शवों को बरामद किया गया।

पुलिस के मना करने पर भी गए थे खेत
बाघ के एनकाउंटर के ऑर्डर के बाद गांवों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस और वन विभाग ने गांव वालों को घरों में ही रहने की सलाह दी थी। बाघ के पकड़ने तक खेतों में अकेले जाने को भी मना किया था, लेकिन इसके बाद भी दोनों खेत में गए। दोनों के शव मिलने के बाद लोगों ने गुस्से में पुलिस टीम पर हमला कर दिया। पुलिस वालों को भागकर अपनी जान बचाई पड़ी।

जानिए कैसे आदमखोर बन गया बाघ
अब सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार यह बाघ ऐसा क्यों हो गया। बताया जा रहा है कि इस बाघ के पिता T-5 की मुलाकात वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के हड़नाटांड वन क्षेत्र में T-34 से हुई। इस दरमियां T-34 मां बन गई। चूंकी पिता T-5 का टेरिटरी वन के बाहरी हिस्से की तरफ था। ऐसे में अपने बच्चों को T-5 से बचाने के लिए गन्ने के खेतों में T-34 लेकर रहने लगी। इस दरमियान बच्चे धीरे-धीरे बड़े होने लगे। युवा अवस्था में आने के बाद T-34 अपने बच्चे के लिए टेरिटरी बनाकर दूसरे शावक के साथ अलग क्षेत्र में चली गई। इस प्रकार इस शावक का नाम T-105 पड़ गया।
पिता के डर से जंगल में नहीं जाता था आदमखोर
इसके बाद यह बाघ हड़नाटांड, चिउटाहा में गन्ने के खेतों के साथ-साथ वीटीआर डिवीजन के राघिया और गोबरधना वन रेंज में लगातार मूवमेंट कर रहा है। हालांकि, इसने कई दफा जंगल में जाना चाहा, लेकिन पिता के डर से अंदर नहीं गया। इसके बाद बाहर ही भोजन की तलाश करने लगा। इसी दरमियान झुके हुए आदमी को पहला शिकार बनाया। इसके बाद एक के बाद एक आदमी का शिकार शुरू कर दिया।

13 सितंबर को पकड़ने का दिया गया आदेश
12 सितंबर को खेत में काम करने गई बैरिया काला गांव निवासी गुलबंदी देवी की बाघ के हमले में मौत हो गई। इसके बाद 13 सितंबर को बाघ को पकड़ने का आदेश जारी किया गया। उस दिन से वन विभाग की टीम पीछा करने लगी। वहीं, 21 सितंबर को बैरिया के पास सरेह में रामप्रसाद उरांव को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद पटना और हैदराबाद की टीम बाघ को पकड़ने पहुंची।
वहीं, 25 सितंबर को वन्यजीव वार्डन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इसे बाघों के आवारा होने से उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए जारी एसओपी को व्यवहार में लाया था। बाघ की आवाजाही का लगातार पता लगाने और निगरानी करने के लिए ट्रैकर टीम, हाथी टीम, पीआईपी, कैमरा ट्रैप, ड्रोन, नाइट विजन / थर्मल इमेजिंग उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
पिंजरे में बंद मोबाइल वाहनों पर डार्ट गन से लैस विभागीय पशु चिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ जानवरों को रासायनिक रूप से रोकने के लिए जीवित चारा और बाघ को बेहोश करने के लिए यंत्रों को तैनात किया गया है। सीमांत गांवों में निगरानी दल तैनात किया गया है। पूरे ऑपरेशन को क्षेत्र निदेशक के नेतृत्व में एक टीम द्वारा चौबीसों घंटे चलाया गया।